NDTV की एक रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि; जिस तरह अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर स्थल को 500 साल बाद राम मंदिर के निर्माण के साथ पुनः प्राप्त किया गया, उसी तरह भारत पाकिस्तान के सिंध प्रांत को भी वापस लेने में सक्षम है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोनों स्थलों के बीच एक तुलना की, जिसका अर्थ था कि यदि हिंदू विवादित अयोध्या भूमि पर नियंत्रण हासिल कर सकते हैं, जहां सदियों से एक मस्जिद थी, तो सिंध पर भी इसी तरह का दावा किया जा सकता है, जो पहले ब्रिटिश शासन के तहत भारतीय उपमहाद्वीप का हिस्सा था।
पाकिस्तान की ओर से आई प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस टिप्पणी को ‘अत्यधिक गैर-जिम्मेदाराना’ और भारत की ‘विस्तारवादी मानसिकता’ की अभिव्यक्ति करार दिया।
कश्मीर के विवादित क्षेत्र को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है और भारत द्वारा कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। पाकिस्तान की ओर से ऐसी प्रतिक्रिया शायद इसलिए भी आई है क्योंकि तमाम प्रयासों के बावजूद पाकिस्तान भारत को बातचीत के लिए तैयार नहीं कर पाया।
योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी पर पाकिस्तान प्रतिक्रिया में कहा गया कि इस तरह के विभाजनकारी विचारों को आरएसएस जैसे हिंदू राष्ट्रवादी समूहों द्वारा पड़ोसियों के साथ शांति स्थापित करने के बजाय अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए प्रचारित किया जा रहा है।
साथ ही भारत से ‘वर्चस्ववादी महत्वाकांक्षाओं’ को पोषित करने के बजाय एक समृद्ध दक्षिण एशिया के निर्माण के लिए बातचीत और सहयोग के माध्यम से विवादों को हल करने का आग्रह किया। साथ ही अपनी प्रतिक्रिया में पाकिस्तान ने इसे क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन बताते हुए योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी की कड़ी निंदा की।
पाकिस्तान द्वारा बातचीत और सहयोग की बात करना इस मायने में दिलचस्प है कि पाकिस्तान कई दशकों से भारत के खिलाफ आतंकवाद पर निर्भर रहता आया है।