सांसद पद की बहाली के बाद राहुल गांधी पहली बार संसद पहुंचे और अपने औसत भाषण का अंत सदन से निकलते हुए एक फ्लाइंग किस के साथ किया। शायद राहुल गांधी संसद भवन में मोहब्बत की दुकान खोलना चाहते थे पर उन्हें इसका लाइसेंस नहीं मिला है। इसलिए उनके खिलाफ महिला सांसदों ने शिकायत भी दर्ज करवा दी है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इसे महिला विरोधी करार दिया। उनका कहना है कि सिर्फ एक महिला विरोधी व्यक्ति ही संसद में महिला सांसदों को फ्लाइंग किस दे सकता है। ऐसा उदाहरण पहले कभी नहीं देखा गया। इससे पता चलता है कि वह महिलाओं को लेकर क्या सोचते हैं। यह अभद्रता है।
भ्रदता और संसदीय आचरण की कमी राहुल गांधी में इसलिए भी हो सकती है क्योंकि सदन में उनकी उपस्थिति न के बराबर रही है। फिर भी महिला अधिकार, सुरक्षा और उनके सम्मान की बात करने वाले गांधी परिवार के उत्तराधिकारी को सदन की गंभीरता तो बरकरार रखनी ही चाहिए थी। इससे पहले भी राहुल गांधी प्रधानमंत्री को गले लगाकर या संसद भवन में आंख मारकर अपने संसदीय आचरण की गरिमा का खंडन कर चुके हैं।
मोहब्बत की दुकान के प्रसार के नाम पर सदन में फ्लाइंग किस राहुल गांधी के महिला सम्मान की समझ के स्तर को दर्शाता है। उनके समर्थक इसे प्यार जताने का तरीका बताए पर प्रश्न तो यह है कि सामने बैठी महिलाएं उनके तरीके को क्यों स्वीकार करें?
मणिपुर पर महिला सुरक्षा और अधिकार की बात राहुल गांधी किस प्रकार कर सकते हैं जब वे अपनी उपस्थिति से अन्य महिलाओं को असहज कर दें। महिला सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है। इसका हल किसी मोहब्बत की दुकान से नहीं निकलेगा। ऐसा संभव होता तो राजस्थान में महिला अत्याचारों में बढ़ोतरी नहीं हुई होती। मणिपुर और संसद में मोहब्बत बांट रहे राहुल गांधी को इसकी दुकान कर्नाटक के उडुपी और राजस्थान के किशनगढ़, करौली में भी खोलनी चाहिए थी। उडुपी की पीड़ित छात्राओं को क्या प्यार की आवश्यकता नहीं है?
संसद भवन में महिला अत्याचारों पर राजस्थान का नाम आने पर राहुल गांधी ने कहा कि वे वहां जा रहे हैं और वे गए भी। पर वहां जाकर क्या किया, यह हर महिला को देखना चाहिए।
आश्चर्यजनक है कि कुछ देर पहले सदन में मणिपुर की एक मां की भावुक कहानी सुनाने वाले गांधी राजस्थान पहुंचते-पहुँचते चुनावी मोड में आ गए। 6 दिन पहले ही भीलववाड़ा में 14 वर्षीय बच्ची की दुष्कर्म के बाद भट्टी में जलाने के संज्ञान भी कांग्रेस के युवराज ने लेना जरूरी नहीं समझा। यह मोहब्बत की कैसी दुकान है और उस पर कैसी भावुकता डिब्बे में सजी रखी है जो महिला-महिला में फर्क करती है?
दरअसल, यह फर्क महिला-महिला का नहीं बल्कि राहुल गांधी की राजनीतिक समझ का है। उन्हें मणिपुर की महिला का दर्द समझ आता तो वे राजस्थान पर मौन नहीं हो जाते। यह चयनित मोहब्बत की दुकान राजनीतिक स्टंट से अधिक कुछ और नहीं। महिला अधिकारों के प्रति राहुल गांधी और उनकी पार्टी कभी गंभीर रही ही नहीं है। इसी का उदाहरण बनकर राजस्थान से कांग्रेस के नेता महेश जोशी का बेटा और भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास बिना किसी कानूनी बाधा के अपना बाहर घूम रहे हैं।
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