Veer Savarkar का नाम आते ही कांग्रेस पार्टी और उनका पूरा इकोसिस्टम ऐसे तिलमिलाने लगता है मानो मधुमक्खी का छत्ता सिर पर आकर गिरा हो।
अब दिल्ली के नजफगढ़ के रोशनपुरा में दिल्ली यूनिवर्सिटी के नए कॉलेज की नींव पीएम मोदी ने रखी है। कॉलेज का नाम स्वातंत्र्य Veer Savarkar के नाम पर रखा जा रहा है।
वीर सावरकर का नाम आते ही कांग्रेस पार्टी ने कॉलेज का विरोध करना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि सावरकर के नाम पर कॉलेज का नाम नहीं होना चाहिए।
सवाल सीधा है कि क्यों नहीं होना चाहिए? क्या देश के सभी कॉलेजों के नाम, यूनिवर्सिटीज़ के नाम, संस्थानों के नाम नेहरू, इंदिरा और राजीव के नाम पर ही रखे जाने चाहिए?
पूरे देश में आप किसी भी राज्य में, किसी भी शहर में चले जाइए- इंदिरा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और राजीव गांधी के नाम पर ही आपको संस्थानों, सड़कों, एयरपोर्ट्स, बस स्टेशन और पार्कों के नाम मिलेंगे।
इससे भी बढ़कर दस साल पहले देश की तमाम योजनाएं भी इन्हीं नामों से चलाई जाती थी। नवंबर, 2013 की एक रिपोर्ट के अनुसार 450 स्किम्स, प्रोजेक्टस् और इमारतें नेहरू-गांधी परिवार के नाम पर थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण राजधानी दिल्ली है- आइए, ज़रा दिल्ली घूमते हैं।
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दिल्ली आप फ्लाइट से आते हैं तो इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरेंगे। इसके बाद जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी, जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, इंदिरा गांधी नेशनल कल्चरल सेंटर, राजीव चौक, राजीव गांधी भवन, कमला नेहरू कॉलेज, राजीव गांधी कैंसर हॉस्पिटल समेत ऐसी तमाम सड़कें, भवन, संस्थान आपको मिलेंगे जो नेहरू, इंदिरा और राजीव के नाम पर हैं।
इनके अलावा भी आप दिल्ली के किसी भी हिस्से में चले जाइए- हर तरफ नेहरू, इंदिरा और राजीव के नाम पर या फिर गांधी-नेहरू परिवार के नाम पर आपको कुछ न कुछ ज़रूर मिलेगा।
सवाल सीधा है कि स्वतंत्रता आंदोलन का पूरा क्रेडिट गांधी-नेहरू परिवार को देने के लिए जिस पार्टी ने दशकों तक प्रोपेगेंडा किया।
उनके इकोसिस्टम ने दशकों तक सॉफ्ट नैरेटिव बनाया। इतिहास को अपने अनुसार लिखा और स्वतंत्रता के बाद से लेकर आजतक गांधी-नेहरू परिवार को छोड़कर किसी दूसरे स्वतंत्रता सेनानी की ओर देखा तक नहीं वो Veer Savarkar के नाम पर तिलमिला क्यों रहे हैं?
वीर सावरकर जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश की स्वतंत्रता के लिए खपा दिया- जिन्हें अंग्रेजों ने दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
जिन्हें अंडमान की अंधेरी कोठरी में छह-छह महीने के लिए बंद कर दिया जाता था। वहाँ उनके ऊपर कैसे-कैसे अत्याचार किए जाते थे यह अब देश को पता है। वर्षों तक इस बात को छिपाया गया, Veer Savarkar के पूरे सच को सामने नहीं आने दिया गया लेकिन आज देश जानता है कि वीर सावरकर का त्याग किसी भी नेहरू से कम नहीं था।
यही कारण है कि भगत सिंह भी वीर सावरकर के विचारों से बहुत प्रभावित थे। वे सावरकर के कथनों को अपनी डायरी में लिखकर रखते थे। वे सावकर को लेकर कहते थे, “सावरकर तो विश्वप्रेमी हैं, जिन्हें भीषण विप्लववादी, कट्टर अराजकतावादी कहने में हम लोग तनिक भी लज्जा नहीं समझते, जबकि वे घास पर चलते-चलते रुक जाते हैं कि कहीं कोमल घास पैरों से मसल न जाए।”
ऐसे थे सावरकर और आज देश यह बात जानता है- समझता है- इसलिए सवाल पूछता है कि नेहरू को कालापानी की सजा क्यों नहीं हुई? कांग्रेस के किसी भी बड़े नेता को अंग्रेजों ने अडंमान की जेल में क्यों नहीं भेजा?
इसके साथ ही सवाल ये भी है कि कांग्रेस पार्टी वीर सावरकर से इतनी नफरत क्यों करती है? राहुल गांधी कई बार वीर सावरकर को लेकर आपत्तिजनक बयानबाजी कर चुके हैं। उनके नेता तो अक्सर महान स्वतंत्रता सेनानी का अपमान करते दिखाई देते हैं और अब जब उनके नाम पर एक कॉलेज बनाया जा रहा है तो उससे भी उन्हें आपत्ति क्यों है?
कांग्रेस पार्टी की छात्र ईकाई NSUI ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि कॉलेज का नाम पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के नाम पर रखा जाए। सवाल है क्यों? कांग्रेस नेता और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने ऐसा क्या किया है जो उनके नाम पर भाजपा सरकार कॉलेज का नाम रख दे?
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मनमोहन सिंह के सरकार के आर्थिक तंत्र का हिस्सा रहते हुए देश दिवालिया होने की कगार पर पहुँचा था। उनके वित्त मंत्री रहते हुए देश को अपना सोने गिरवी रखना पड़ा था।
पीवी नरसिम्हा राव के दवाब डालने पर उन्होंने आर्थिक सुधारों का काम किया और राव का पूरा क्रेडिट कैसे कांग्रेस ने डॉ. सिंह को दिया, ये आज किसी से छिपा नहीं है।
याद रखिए, 1991 के आर्थिक सुधार तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की वज़ह से संभव हुए थे। मनमोहन सिंह की जगह अगर कोई दूसरा वित्त मंत्री होता तब भी राव यही निर्णय करते।
इसके बाद जब डॉ. सिंह को सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री बना दिया तो उन्होंने संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए सोनिया गांधी को रिमोट से सरकार चलाने दी- कैबिनेट के ऊपर NAC को बैठे रहने दिया- ऐसे में उनके नाम पर कॉलेज क्यों होना चाहिए?