वर्ष 2020 के बाद पहली बार भारत का थोक मूल्य सूचकांक (WPI) नकारात्मक हो गया है। सोमवार (मई १५, २०२३) को जारी किए गए सूचकांक में अप्रैल माह में देश के अंदर थोक मूल्यों में महंगाई की दर -.92% हो गई। थोक मूल्य सूचकांक में गिरावट पिछले वर्ष से जारी है। यह मार्च माह में 1.३४% थी।
थोक मूल्य सूचकांक, मई 2022 में 15.38% के उच्च स्तर पर रहा था। रिजर्व बैंक द्वारा अपनी मौद्रिक नीति के माध्यम से ब्याज दरें बढ़ाने और सरकार द्वारा आपूर्ति को मजबूत करने के कारण महंगाई दर में लगातार गिरावट जारी है।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य पदार्थों में महंगाई की दर अप्रैल माह में 3.54% रही है जबकि ईंधन और बिजली की कीमतों में महंगाई मात्र .93% रही है। पिछले वर्ष अप्रैल माह के दौरान यह क्रमशः 8.48% और 38.84% रही थी।
खाद्य पदार्थों में कमी के पीछे गेंहू की अधिक पैदावार का बाजार पहुंचना है। अब तक सामने आए आँकड़े के अनुसार केन्द्रीय विपणन एजेंसियां लगभग 300 लाख टन गेंहू खरीद चुकी हैं जो पिछले वर्ष आँकड़ों से कहीं अधिक है।
इसके अतिरिक्त, देश में इस बार तिलहन की पैदावार भी अच्छी रही है और उसकी भी कीमतें घटी हैं। यह दोनों पदार्थ सूचकांक में लगभग 2% का हिस्सा रखते हैं। तिलहनों की कीमतों पर आयात होने वाले पाम तेल का भी असर है, इसकी कीमतों में भी गिरावट देखी गई है।
सब्जियों में देखा जाए तो आलू की बम्पर पैदावार ने इसकी महँगाई में कमी लाने का कार्य किया है। नवम्बर-दिसम्बर 2022 में इसमें महंगाई लगभग 20% बनी हुई थी जो नई पैदावार के बाजर में आते ही कम हो गईं और इस समय महंगाई नकारात्मक स्तर पर है।
तिलहनों की कीमत में पिछले वर्ष लगभग 16% की महँगाई थी जो इस बार -15% की मंदी में बदल चुकी है। इसके अतिरिक्त तैयार उत्पादों में भी महँगाई की दर 11.39 % से घट कर -2.42% पर आ गईं हैं। इससे पहले उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में भी गिरावट देखी गई थी। यह मार्च माह के 5.66% के स्तर से 4.7% पर आ गई थी।
WPI के लगातार गिरावट के कारणों को देखा जाए तो समझ आता है कि कोरोना महामारी से उबरने के बाद विश्व में बढ़ी मांग और उसके सप्लाई चेन की समस्याओं के कारण वस्तुओं की कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई थी। इसके पश्चात फरवरी 2022 में यूक्रेन और रूस के बीच छिड़े युद्ध के कारण पूरी दुनिया में ऊर्जा कीमतों ने नया रिकॉर्ड बनाया था। इस कारण महंगाई में अप्रत्याशित तेजी देखी गई थी।
जहाँ एक और पूरा विश्व कम मांग से परेशान है, वहीं भारत में स्थानीय स्तर पर मांग लगातार बनी हुई है। भारत में खाद्य पदार्थों समेत सब्जियों एवं अन्य सामानों की आपूर्ति मजबूत होने के कारण थोक महंगाई निचले स्तर पर है।
मौद्रिक नीति में मजबूती लाने के अतिरिक्त केंद्र सरकार ने महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए समय समय पर आवश्यक वस्तुओं के निर्यात पर भी रोक लगाई है। केंद्र सरकार ने खाद्य पदार्थों में महंगाई में कमी के लिए अपने स्टॉक से गेंहू की नीलामी खुले बाजार में भी की है जिससे आपूर्ति बनी रहे।
खाद्य पदार्थों के अतिरिक्त देखा जाए तो केमिकल, रबर, सीमेंट और अन्य खनिज पदाथों की कीमतों में कमी भी WPI की गिरावट का एक बड़ा कारण रही है।
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