ज्योतिर्मठ एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती 99 वर्ष की आयु में बीते रविवार (11 सितम्बर, 2022) को ब्रह्मलीन हो गए।
स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती बद्रीनाथ स्थित ज्योतिर्मठ और द्वारका स्थित शारदा मठ दोनों मठों के शंकराचार्य रहे हैं। अब दोनों मठों की गद्दी खाली हो गई है। ऐसे में कयास लगने शुरु हो गए हैं कि दोनों मठों के शंकराचार्य कौन होंगे?
शंकराचार्य बनने के नियम और परम्परा
मठ के शंकराचार्य जीवित रहते ही अपने सबसे योग्य शिष्य को उत्तराधिकारी बनाते हैं। साथ ही, सनातन धर्म के 13 अखाड़ों के प्रमुख, आचार्य महामंडलेश्वर और संतो की सभा शंकराचार्य के नाम पर सहमति जताती है, जिस पर काशी विद्वत परिषद की मुहर लगाई जाती है।
कौन बनेंगे शंकराचार्य
तमाम मीडिया रिपोर्ट के अनुसार स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती के दोनों शिष्य स्वामी सदानन्द सरस्वती और स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती अगले शंकराचार्य बनें, इसकी संभावना है।
स्वामी सदानन्द सरस्वती को द्वारका स्थित शारदा पीठ के प्रमुख के तौर पर स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने पहले ही जिम्मेदारी दी है, जबकि स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती वाराणसी में श्री विद्या मठ के मठाधीश हैं। इसके अलावा बद्रीनाथ स्थित ज्योतिर्मठ बद्रिका आश्रम की भी जिम्मेदारी संभालते हैं। स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती के दोनों शिष्यों के अलावा उनके निजी सचिव स्वामी सुबुद्धानन्द सरस्वती के नाम की भी चर्चा है।
सबसे ज्यादा चर्चा में अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती रहते हैं
स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। हाल के कुछ सालों में अविमुक्तेश्वरानन्द राजनीतिक चर्चाओं में भी रहे हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान अविमुक्तेश्वरानन्द काफी चर्चा में रहे थे। लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी के खिलाफ श्रीभगवान पाठक भी चुनावी मैदान में थे। हालांकि, उनका नामांकन रद्द हो गया था। इसके बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द जिला मुख्यालय परिसर स्थित नामांकन कक्ष में ही धरने पर बैठ गए। स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने कहा था, “यह सब मोदी सरकार के इशारे पर हो रहा है, यह लोकतंत्र की हत्या हो रही है।”
किसान आन्दोलन के दौरान भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए नजर आए थे। स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने कहा था, “आज लाखों किसान मर रहे हैं। उनकी क्या हालत है। आपने उनके लिए लोहे की कीले सड़कों में धंसा कर रखी हैं और आप जय श्री राम का नारा लगा रहे हो। थू है ऐसे मुंह पर जो राम का नाम राजनीति के लिए इस्तेमाल कर रहा है। नरेन्द्र मोदी और अमित शाह दोनों राजनीति के लिए राम के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं”।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भी आरोप लगाते हुए कहा था, “आरएसएस हिन्दू-मुस्लिम घालमेल का काम कर रहा है। आरएसएस कहता है एक तरफ मुस्लिमों का विरोध करो और दूसरी तरफ मुस्लिम राष्ट्रीय मंच बनाया हुआ है।”
काशी कॉरिडोर के जीर्णाद्धार के समय भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती धरने पर बैठ गए थे। इस दौरान भी इन्होंने काशी के प्राचीन मन्दिरों, देव विग्रहों की रक्षार्थ आन्दोलन शुरु किया था।