पिछले चुनाव में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जो बायडेन से हार गए थे। लेकिन पद छोड़ने से पहले डोनाल्ड ट्रम्प ये प्रयास कर रहे थे कि महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर उनके करीबी लोग बैठें। इसमें उनकी एक वो कोशिश भी नाकामयाब हुई जिसमें वो अपने एक करीबी साथी को रक्षा मंत्रालय में ऊँचे पद पर बिठाना चाहते थे। हुआ कुछ ऐसा था कि चुनाव हारने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प बेहद कमजोर हो चुके थे। उस समय ट्रम्प को तत्कालीन अमेरिकी जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ़ मार्क मिली ने चेतावनी दी थी कि “अगर वे ऐसा करते हैं तो ये मामला अदालत तक जाएगा।”
इसके बाद एक बार फिर इसी शख़्स को ट्रम्प ने ऑफिस के अपने आखिरी महीनों में FBI या CIA में उप निदेशक के रूप में नियुक्त करने का विचार सामने रखा। लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स ने तब अपनी एक रिपोर्ट में लिखा था कि “CIA निदेशक गिना हास्पेल द्वारा इस्तीफे की धमकी देने और अटॉर्नी जनरल विलियम बर द्वारा इसका विरोध करने के बाद ट्रंप ने इस विचार को छोड़ दिया।”
अटॉर्नी जनरल बिल बार ने धमकी देते हुए कहा था कि ऐसा उनकी लाश पर ही हो पाएगा, और ट्रम्प इस बार भी सफल नहीं हो पाए। उपराष्ट्रपति माइक पेंस और दूसरे बड़े नेताओं के हस्तक्षेप के बाद ट्रम्प को इस बार भी अपने हाथ पीछे खींचने पड़े।
अब सवाल आता है कि आखिर वो कौन व्यक्ति है जिन्हें अपॉइंट करने के लिए डोनाल्ड ट्रम्प इतने प्रयास कर रहे थे? तो उस व्यक्ति का नाम कश्यप ‘काश’ पटेल है। प्रवासी भारतीय परिवार में जन्मे काश पटेल, ट्रम्प के इतने खास कैसे बने? तमाम अधिकारियों के उनसे डरने की वजह क्या थी? इस बारे में आज बात करते हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प आगामी 20 जनवरी, 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। इससे पहले ट्रम्प और उनकी टीम अपने नए मंत्रिमंडल के लिए अधिकारियों को चुनने की प्रक्रिया शुरू करेगी। ट्रम्प प्रशासन में काश पटेल के अलावा भारतवंशी विवेक रामास्वामी,, और बॉबी जिंदल को भी जगह मिलने की संभावना है। इन्हें अहम पद दिया जा सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप के 47वें राष्ट्रपति बनने के बाद कश्यप पटेल का नाम सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी यानी… CIA के निदेशक के पद के लिए सामने आ रहा है। ट्रंप के दोबारा सत्ता संभालने के बाद उनकी कैबिनेट के उच्च पदों पर नियुक्ति की उम्मीद की जा रही है, और काश पटेल का नाम इनमें से एक है। पटेल ने ट्रंप के पहले कार्यकाल में रक्षा और खुफिया क्षेत्र में कई प्रमुख पदों पर काम किया है और चुनाव अभियान में ट्रंप के लिए समर्थन जुटाने के लिए सामने आए हैं। मैगजीन ‘द अटलांटिक’, काश पटेल के बारे में लिखती है कि “The Man Who Will Do Anything for Trump यानी ट्रम्प के लिए कुछ भी करने वाला शख्स”।
पूर्व रिपब्लिकन हाउस स्टाफ काश पटेल ने पहले कार्यवाहक रक्षा सचिव क्रिस्टोफर मिलर के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं।
वकील होने के साथ ही, पटेल का भारत स्थित गुजरात के वडोदरा से संबंध है। उनका जन्म 1980 में हुआ और उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई यूनिवर्सिटी ऑफ रिचमंड से की है। इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से कानून की डिग्री और अंतरराष्ट्रीय कानून में एक सर्टिफिकेट हासिल किया। अपने करियर के शुरुआती दौर में उन्होंने पब्लिक डिफेंडर के रूप में काम शुरू किया। उन्होंने मियामी की अदालतों में लगभग 9 वर्षों तक हत्या, मादक पदार्थों की तस्करी और वित्तीय अपराध जैसे गंभीर मामलों को संभाला। धीरे-धीरे, काश पटेल का करियर डोनाल्ड ट्रंप के राजनीतिक सफर के साथ जुड़ता गया।
पटेल ने आतंकवाद अभियोजक के रूप में अमेरिकी न्याय विभाग में भी काम किया, जहां उन्होंने अल-कायदा और ISIS से जुड़े आतंकियों की जांच और अभियोग का सुपरविजन किया। पटेल ने ज्वाइंट स्पेशल ऑपरेशंस कमांड के साथ मिलकर वैश्विक आतंकवाद विरोधी अभियानों में भाग लिया। आतंकी संगठन ISIS के लीडर्स, अल-कायदा के बगदादी और कासिम अल-रिमी जैसे नेताओं के खात्मे के अलावा कई अमेरिकी बंधकों को वापस लाने के मिशन में भी काश पटेल की भूमिका रही है।
जब डोनल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रपति पद छोड़ा था उसके बाद काश पटेल उनके एजेंडा को आगे रखने का काम करते रहे। इसी क्रम में काश पटेल ने एक किताब लिखी, जिसका शीर्षक है, “गवर्नमेंट गैंगस्टर्स: द डीप स्टेट, द ट्रुथ, एंड द बैटल फॉर अवर डेमोक्रेसी” जिसके माध्यम से उन्होंने अमेरिकी सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार को सामने रखा।
काश पटेल भारतीय मूल के तो हैं ही, साथ ही साथ वो अपनी हिन्दू पहचान को लेकर भी बहुत लोकप्रिय रहे हैं। उन्होंने भारत में श्रीराम मंदिर को लेकर भी बयान दिया था और अमेरिकी मीडिया पर उनके पक्षपातपूर्ण रवैए को लेकर प्रश्न भी उठाए थे। (Photos) काश पटेल ने कहा कि जब अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन हुआ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां गए, तो अमेरिकी मीडिया ने केवल पिछले 50 सालों के इतिहास पर ध्यान दिया। पटेल ने कहा कि मीडिया ने 500 साल के संघर्ष को नजरअंदाज किया, जो हिंदुओं की राम मंदिर को फिर से अपने पास लेने की लड़ाई को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यहाँ पर एक हिन्दू मंदिर को क्षतिग्रस्त किया गया था जिसे अब वापस लिया जा रहा है और अमेरिकी मीडिया को इससे परेशानी है।
राजनीतिक रूप से काश पटेल के करियर में साल 2017 में उछाल देखा गया जब पटेल रिपब्लिकन सांसद डेविन नून्स के नेतृत्व वाली ‘हाउस परमानेंट सेलेक्ट कमेटी ऑन इंटेलिजेंस’ में शामिल हुए, यहाँ उन्होंने साल 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस के कथित हस्तक्षेप की जाँच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने ‘नून्स मेमो’ तैयार करने में भी मदद की, जिसने FBI पर डोनाल्ड ट्रंप अभियान की जांच के दौरान सर्विलांस एजेंसीज के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।
ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान, पटेल ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कई उच्च पदों पर काम किया। फरवरी 2020 में उन्होंने नेशनल इंटेलिजेंस कार्यालय में प्रिंसिपल डिप्टी के रूप में काम किया और बाद में रक्षा सचिव के चीफ ऑफ स्टाफ के पद पर नियुक्त हुए।
अब हर किसी की नजर काश पटेल पर टिकी हुई है कि अगर उन्हें डोनाल्ड ट्रम्प CIA या फिर FBI का कंट्रोल देते हैं तो फिर वे ट्रम्प के अनुसार ही काम को अंजाम दे सकते हैं। काश पटेल के इन अहम् पदों पर आने के कारण क्या कुछ बदल सकता है। इसका अंदाजा उनके द्वारा डोनाल्ड ट्रम्प पर दिए गए उनके बयान से चलता है जिसमें उन्होंने कहा था कि वे सरकार और मीडिया में मौजूद षड्यंत्रकारियों को खत्म कर देंगे। उन्होंने कहा था कि वे उन लोगों को नहीं छोड़ेंगे जिन्होंने अमेरिकी नागरिकों से झूठ बोला, जिन्होंने बायडेन को राष्ट्रपति चुनाव में धांधली करने में मदद की थी, वे उनका भी हिसाब करेंगे।