भारत में न्याय पाना आज एक जंग से कम नहीं रह गया है। देश में मुकदमों का पहाड़ बड़ा ही होता जा रहा है। एक आंकड़े के मुताबिक़ देश के जिला न्यायालयों से लेकर उच्चतम न्यायायालय तक करीब 4.8 करोड़ मुकदमे लंबित हैं। वहीं इन मुकदमों की तुलना में न्यायधीशों की संख्या काफी कम है।
हालांकि, एक रिपोर्ट के मुताबिक उच्चतम न्यायालय में मुख्य न्यायमूर्ति यूयू ललित के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण करने के बाद मुकदमों के निपटारे में तेजी देखी गई है। मुकदमों के निपटारे में यह तेजी उच्चतम न्यायालय में मुकदमों की सुनवाई के तरीके में किए गए कुछ बदलावों की वजह से आई है।

देश में न्यायिक मामलों के बारे में खबरें बताने वाली वेबसाइट बार एंड बेंच में सितम्बर 14, 2022 को छपी एक खबर के अनुसार, श्री ललित के पदभार ग्रहण करने के 13 दिनों में 5,113 मुकदमों का निपटारा हुआ है। इसी के साथ ही इस दौरान 1,135 नए केस दायर हुए।
भले ही यह बदलाव अब उच्चतम न्यायालय में लंबित मुकदमों के मामले में देखने को मिला हो पर कमोबेश अन्य न्यायालयों में लटके मुकदमों में पुरानी स्थिति ही बरकरार है।
आंकड़े बताते हैं बुरा हाल
जहाँ एक ओर उच्चतम न्यायालय में मुकदमों के निपटारों में तेजी देखी गई है, वहीं देश में मुकदमों का पहाड़ छोटा होने का नाम नहीं ले रहा है। संसद में दिए गए एक उत्तर में बताया गया था कि उच्चतम न्यायालय में 72,000 से ज्यादा मुकदमे लंबित हैं।

इसी के साथ ही देश के उच्च न्यायालयों का और भी बुरा हाल है, देश के उच्च न्यायालयों में 55 लाख से ज्यादा मुकदमे लंबित हैं, सबसे बुरी स्थिति में देश के जिला व अधीनस्थ न्यायालय हैं। वहीं देश के जिला व अधीनस्थ न्यायालयों में 4.2 करोड़ से अधिक मुकदमे लंबित हैं। इनमें से कई मुकदमे बहुत लम्बे समय लटके हैं।
न्याय देने वालों की ही कमी, कैसे हो इन्साफ?
संसद में ही दिए एक और जवाब में ही सरकार ने बताया कि जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायधीशों के कुल 24,631 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 5,000 से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। देश की न्याय व्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले इन न्यायालयों में न्यायधीशों की खाली कुर्सियां आम आदमी के न्याय पाने के सपने को और क्षीण कर रहीं है।

इसी के साथ ही देश के 25 उच्च न्यायालयों में 1108 पद न्यायधीशों के स्वीकृत हैं, इसमें से वर्तमान में 350 से ज्यादा पद खाली हैं। सबसे बड़ी जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्वीकृत 160 पदों में 100 से भी कम पद भरे हुए हैं। इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश और पंजाब एवं हरियाणा जैसे उच्च न्यायालयों में स्वीकृत संख्या की करीब आधी ही संख्या में न्यायधीश कार्यरत हैं।
देश के उच्चतम न्यायालय में भी स्थिति इससे कुछ अलग नहीं है, उच्चतम न्यायालय में न्यायधीशों के कुल पद 34 स्वीकृत हैं, जिनमें से वर्तमान में मुख्य न्यायधीश यूयू ललित को मिलाकर 30 न्यायधीश कार्यरत हैं।