खालिस्तान समर्थक कनाडा में हिंदुओं पर हमले कर रहे हैं। हिन्दू मंदिरों को निशाना बना रहे हैं और ऐसा नहीं कि यह सब पहली बार नहीं हो रहा बल्कि लम्बे समय से हो रहा है। लम्बे समय से हम देख रहे हैं कि यह खालिस्तान समर्थक विदेशी धरती पर भारत को बदनाम करने का काम कर रहे हैं भारत सरकार को बदनाम करने का काम कर रहे हैं हर तरफ से विदेशी धरती पर भारत की छवि को धूमिल करने का काम किया जा रहा है और अब क्योंकि ये हमले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं इसीलिए प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इन हमलों की कड़ी निंदा की गई।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर कनाडा में रह रहे हिन्दुओं पर हमलों के खिलाफ आवाज़ उठाई है ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि कनाडा में लगातार हिन्दुओं पर हो रहे हमलों को लेकर भारत का विपक्ष मौन क्यों हैं? क्या इस विपक्ष को कनाडा में रह रहे हिन्दुओं की फ़िक्र नहीं? आख़िर ऐसा क्या है कि विपक्ष के नेता खालिस्तान समर्थकों द्वारा किए जा रहे हमलों के प्रति मौन हैं?
ये खालिस्तान समर्थक न केवल हिंदुओं पर हमला कर रहे हैं, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का भी मजाक उड़ा रहे हैं। अभी बहुत पुरानी बात नहीं जब इन्हीं खालिस्तान के समर्थन ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुतले को गोलियों से भूनते हुए परेड निकाली थी। ऐसा भी पहली बार नहीं हो रहा बल्कि बीते कुछ समय से लगातार देखा गया है।
ऐसे में सवाल उठेंगे और ज़रूर उठेंगे कि कांग्रेस नेता राहुल गाँधी और उनकी बहन प्रियंका गाँधी वाड्रा क्यों एक शब्द भी कनाडा के मुद्दे पर नहीं बोलना चाहते ? क्या ये भाई बहन अपनी दादी इंदिरा गाँधी के लिए भी आवाज़ नहीं उठाना चाहते ?
सवाल उन सभी लोगों से है जो राहुल गाँधी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। अगर आपको राहुल गाँधी इतने ही ज़िम्मेदार लगते हैं तो क्या यह राहुल गाँधी का फर्ज नहीं था कि वो कनाडा में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर दो शब्द कहें? उसकी निंदा ही कर दें?
देखने वाली बात यह है कि दोनों भाई बहन इज़राइल और फिलिस्तीन संघर्ष के वक्त गाज़ा के समर्थन में खूब बात करते नज़र आते हैं पर भारतीय मूल के हिंदुओं पर हो रहे हमले पर चुप्पी साध लेते हैं। प्रियंका गाँधी ने तो न जाने कितने ही पोस्ट गाज़ा और हमास जैसे आतंकी संघटन के समर्थन में किये मगर आज कनाडा में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर एक पोस्ट तक नहीं किया गया। चलिए हिन्दुओं को भूल भी जाएँ कम से कम अपनी दादी इंदिरा गाँधी के लिए तो आवाज़ उठाए।
मगर नहीं अपनी वोट बैंक की राजनीति के लिए ये इतने स्वार्थी हो गए हैं कि अपनी दादी को भी शायद भूल गए हैं। यह बात और है कि कांग्रेसी हर दो महीने में एक बार प्रियंका गांधी और इंदिरा गांधी के नाक का मिलान जरूर करते हैं।
ऐसे में अगली बार जब चुनाव में ये दोनों भाई बहन आपको मंदिर जाते दिखे या हिन्दू हिन्दू चिलाते दिखे तो सवाल ज़रूर उठने चाहिए कि खालिस्तान समर्थकों के ख़िलाफ़ ये आवाज़ क्यों नहीं उठाते, जो कनाडा में रह रहे हिन्दुओं पर लगातार हमले कर रहे हैं।
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