प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (1 अक्टूबर, 2022) दिल्ली के प्रगति मैदान से इंडियन मोबाइल कॉन्ग्रेस कार्यक्रम में 5G सेवाओं की शुरुआत की। देश में 5G के आने से विकास के पहिए को रफ्तार मिलेगी, लेकिन आपको याद दिला दें कि भारत में ही कुछ लोग ऐसे भी थे जो इस तकनीक के खिलाफ थे।
बीते साल बॉलीवुड अभिनेत्री और कथित पर्यावरणविद जूही चावला, सोशल वर्कर वीरेश मालिक और टीना वाचनी ने देश में 5G के विस्तार के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
5G का विरोध
कहते हैं कि नई तकनीक के आने से पहले हमेशा रूढिवादी लोग उसका विरोध करते हैं।
भारत के पूर्व वित्तीय मंत्री पी. चिदंबरम ने संसद में बाकायदा बयान दिया था कि डिजिटल पेमेंट से फायदा नहीं होगा क्योंकि गाँव और देहात के लोग इसे नहीं समझ पाएंगे। ठीक इसी तरह 5G का भी विरोध होगा, यह कई विशेषज्ञों ने पहले ही अनुमानित कर लिया था, लेकिन मामले का सीधा हाईकोर्ट पहुंचना अप्रत्याशित था।
जूही चावला की याचिका
पिछले साल जून में बॉलीवुड अभिनेत्री जूही चावला ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 5G की तनिक-भर की समझ ना रखने के बावजूद जूही चावला ने अपनी याचिका में बताया कि इससे इंसानों और प्रकृति को भयंकर नुकसान होगा।
याचिका के अनुसार, “यदि 5G के लिए दूरसंचार इंडस्ट्री की योजनाएँ फलीभूत होती हैं, तो कोई भी व्यक्ति, जानवर, पक्षी, कोई कीट और पृथ्वी पर कोई भी पौधा आरएफ रेडिएशन से नहीं बच पाएगा”।
सुप्रीम कोर्ट का करारा जवाब
एक मिसाल पेश करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले को ना सिर्फ खारिज किया बल्कि सभी याचिकाकर्ताओं पर ₹20 लाख का जुर्माना भी लगाया गया।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अभिनेत्री के मुकदमे का कोई ठोस आधार नहीं है और यह “अनावश्यक, निंदनीय और कष्टप्रद तर्क” से भरा है। अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचने के लिए, अदालत ने कहा कि उन्हें पहले इस मुद्दे के बारे में सरकार को लिखना चाहिए था।
कोर्ट ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि यह पूरा मामला सिर्फ पब्लिसिटी पाने के लिए था। ध्यान देने वाली बात है कि मामले की वर्चुअल सुनवाई से पहले जूही चावला ने इसकी लिंक अपने सोशल मीडिया पर भी डाल दी थी।
कथित पर्यावरणविद पर जुर्माना लगा, जुर्माना बाद में कम हुआ, समाज सेवा का आदेश मिला और अंतत: पब्लिसिटी भी मिल गई। इस याचिका के कारण कई लोगों का ध्यान 5G पर भी गया, लोगों ने सवाल पूछना शुरू किया कि आखिर 5G से हमें कोई खतरा तो नहीं?
सरकार का रुख
भारतीय सरकार ने पिछले साल बताया था कि भारत में मोबाइल टावरों से इलेक्ट्रिक और मैग्नेटिक फील्ड एमिशन से सुरक्षा के लिए सख्त मानदंड अपनाए गए हैं।
गैर-आयनीकरण विकिरण संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय आयोग द्वारा निर्धारित सुरक्षा सीमा से एमिशन का स्तर 10 गुना अधिक कठोर होना तय किया गया है।
दूरसंचार विभाग (DoT) के शीर्ष अधिकारियों ने बताया था कि WHO सहित दुनिया भर में उपलब्ध जानकारी के विभिन्न स्रोत स्पष्ट रूप से कहते हैं कि यह कहने का कोई आधार नहीं है कि 5G से रेडिएशन लोगों के लिए हानिकारक होगा।
भारत जैसे विकासशील देश के लिए 5G तकनीक एक वरदान साबित होगी। नागरिक जहां अब काम इंटरनेट स्पीड से परेशान नहीं होंगे तो वहीं उद्योग भी इसका लाभ उठाएंगे।