कल्पना कीजिए कि अगर रोहिंग्या “शरणार्थियों” से भरी बस को अगर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी के घर दस जनपथ या ममता बनर्जी के घर के बाहर छोड़ दिया जाए तो क्या होगा? अटपटा लग रहा है न? कहीं आपको ऐसा तो नहीं लगता कि रोहिंग्या “शरणार्थियों” की हिमायती कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी जी भारत जोड़ो यात्रा के तहत रोहिंग्या को भी भारत में जोड़ देंगे! दस जनपथ पर ऐसा हो न हो अमेरिका में ऐसा जरुर हो गया है। चौंक गए ना, वह भी कमला हैरिस के साथ।
कमला हैरिस के घर के बाहर छोड़े शरणार्थी
अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में हो रहे राजनीतिक सर्कस में पिछले शनिवार को हैरान करने वाली घटना हुई जब टेक्सास शहर के गवर्नर ग्रेग एबॉट के आदेश पर वेनेजुएला के 50 शरणार्थियों से भरी बस को उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के घर के बाहर खाली कर दिया गया। यह फैसला एबॉट ने कमला हैरिस की शरणार्थी नीति के विरोध में लिया जिससे अमेरिका में तेजी से घुसपैठ बढ़ रही है
इसके पहले ही एबॉट प्रवासियों की दो बसें गुरुवार को हैरिस के घर भेज चुके थे, जिसमें कोलंबिया, क्यूबा, गुयाना, निकारागुआ, पनामा और वेनेजुएला के लगभग 100 लोग शामिल थे।
इससे पहले मार्था वाइनयार्ड में भेजे जा चुके हैं शरणार्थी
इस खेल की शुरुआत पिछले सप्ताह तब शुरू हुई जब फ्लोरिडा के दक्षिणपंथी गवर्नर रॉन डेसेंटिस ने मैसाचुसेट्स के मार्था वाइनयार्ड में शरणार्थियों से भरे दो विमान उतरवा दिए थे। मार्था वाइनयार्ड अमेरिका का सबसे ज्यादा पॉश इलाका है। अमेरिका के अमीर, हॉलीवुड के लोग, लिबरल जमात छुट्टी मनाने के लिए यहीं पर आती है।
इससे मार्था वाइनयार्ड के लोगों में अप्रत्याशित रूप से आए इन शरणार्थी मेहमानों के खाने पीने और रहने की व्यवस्था करने में अफरा तफरी मच गई। बाद में मार्था वाइनयार्ड में भेजे गए प्रवासियों को मैसाचुसेट्स के गवर्नर चार्ली बेकर ने शरणार्थी कैम्प में भेजा।
रॉन डेसेंटिस ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि बाइडेन की सीमा नीति विफल हो गई है और उसके कारण अमेरिका में जो अप्रवासियों की बेलगाम घुसपैठ हो रही है, उसे केवल सीमावर्ती मैक्सिको ही क्यों भुगते? अमेरिका के हर समुदाय को उससे निपटने का “भार” साझा करना चाहिए। जब तक कि बाइडेन और हैरिस अमेरिकी सीमा की सुरक्षा पर काम नहीं करेंगे तब तक वह इन घुसपैठियों को “सुरक्षित शहरों” में भेजना जारी रखेंगे।
रॉन डेसेंटिस ने ये हमला लिबरल जमात पर बोला जो अमेरिका में घुसपैठ रोकने की ट्रम्प नीति का लम्बे समय से विरोध करती आ रही है। मानवता, समानता और वामपंथ के नाम पर अमेरिका के डेमोक्रेट, लिबरल, हॉलीवुड अभिनेता, वामपंथी मीडिया आप्रवासियों शरणार्थियों को अपनाने की वकालत करती रही है। हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार बाइडेन के 18 महीनों के कार्यकाल में अमेरिका में लगभग 50 लाख अप्रवासी घुसपैठ कर चुके हैं, जिनमें गंभीर आतंकवादी भी चिह्नित किए जा चुके हैं।
बाइडेन के 18 महीनों में अमेरिका में लगभग 50 लाख ने की घुसपैठ
मार्था वाइनयार्ड के लोग समर जॉब्स भरने के लिए अमेरिका में बड़े पैमाने पर विदेशी श्रमिकों के अप्रवासन की भीख मांगते रहे हैं। मार्था वाइनयार्ड के एक मालिक ने वॉल स्ट्रीट जर्नल में कहा था कि वह स्थानीय हाई स्कूल के छात्रों की जगह विदेशी अप्रवासियों को काम पर रखना पसंद करता है। वाशिंगटन पोस्ट ने अगस्त 2016 में एक कहानी चलाकर कहा था कि मार्था वाइनयार्ड की अर्थव्यवस्था के पीछे यह विदेशी अप्रवासी इंजन न कि अमेरिकी। कम मजदूरी के नाम पर विदेशी शरणार्थियों को लाने का ट्रम्प ने विरोध किया था। पर अब अप्रवासी भेजे जाने पर मार्था वाइनयार्ड के लोगों की समस्या बढ़ गई है।
मार्था वाइनयार्ड, मैसाचुसेट्स और कमला हैरिस के घर के बाहर अप्रवासियों को भेजे जाने के बाद अमेरिका में एक बार फिर आव्रजन मुद्दे पर जोरदार बहस चल पड़ी है।
देशहित से समझौता करने वाली लिबरल गैंग मुश्किल में
रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं ने कहा कि बतौर राष्ट्रपति हमारे नेता डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका में आने वाले अप्रवासियों को लम्बे समय से बड़ा खतरा बता रहे थे। तब डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता ट्रम्प के खिलाफ प्रोपेगेंडा कर रहे थे और देशहित से समझौता कर मानवता और समानता की डींगे हाँककर घुसपैठियों का समर्थन कर रहे थे। अब जब डेमोक्रेटिक राज्यों और राजधानी वॉशिंगटन में अप्रवासियों को भेज दिया तो इनके हाथ पैर फूल रहे हैं और हकीकत सामने आ रही है।
टेक्सास अप्रैल से अब तक लगभग 8,000 अप्रवासियों को वाशिंगटन भेज चुका है, जिसमें हैरिस के घर भेजे गए लोग भी शामिल हैं। टेक्सास ने अब तक न्यूयॉर्क में 2,200 और शिकागो में 300 कथित आप्रवासियों को बसों से पहुंचा दिया है।
अमेरिका का एरिजोना राज्य भी मई से अब तक 1,800 से अधिक अप्रवासियों को वाशिंगटन भेज चुका है। टेक्सास के एलपासो शहर भी अगस्त से अब तक 28 बसों में 1,135 अप्रवासियों को न्यूयॉर्क भेज चुका है। अप्रवासियों के इस तरह आगमन से डेमोक्रेटिक प्रशासन चकरा गया है, इन शहरों में सुरक्षा संकट भी उत्पन्न हो गया है क्योंकि बहुत से अप्रवासी पहचान छिपाकर रह रहे हैं
भड़की हैरिस बोलीं अप्रवासियों को देंगे नागरिकता
हैरिस ने वाइस न्यूज पर इंटरव्यू में इसे रिपब्लिकन गवर्नरों का “राजनीतिक स्टंट” करार दिया। पर प्रवासी संकट और सीमा सुरक्षा के मुद्दे पर हैरिस कुछ नहीं बोलीं और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को यह कहकर दोषी ठहरा दिया, कि ट्रंप प्रशासन ने आव्रजन प्रणाली को “नष्ट” कर दिया। हैरिस ने संकेत दिया कि देश में अवैध रूप से रह रहे लोगों को नागरिकता का मार्ग प्रदान करने वाला बिल भी समाधान का हिस्सा होगा।
बाइडेन ने भी लोगों का राजनीतिक इस्तेमाल करने के लिए रिपब्लिकन गवर्नरों की निंदा कर इसे “गैर-अमेरिकी व्यवहार” करार दिया।
भारत में भी घुसपैठियों के हिमायती हैं वामपंथी
भारत में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और वामपंथी रोहिंग्या आप्रवासियों / शरणार्थियों / घुसपैठियों के पक्ष में बोलते रहे हैं। इसके सिवाय बहुतसे लिबरल विचारक भी रोहिंग्या को शरण देने की बात करते रहे हैं। 2019 में पड़ोसी देशों के पीड़ित शरणार्थियों को शरण देने के लिए CAA कानून लाया गया था तो कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने बांग्लादेश और पाकिस्तान के मुसलमानों समेत रोहिंग्या को भी शरण देने की वकालत कर डाली थी।
रोहिंग्या की संदिग्ध हरकतें सामने आती रही हैं, 20 सितंबर 2022 को ही जम्मू के सिदड़ा से रोहिंग्या नागरिक के घर से 2.28 लाख की पुरानी करंसी पुलिस ने बरामद की थी जिसपर बांग्लादेश से युवतियों को रोजगार दिलाने के नाम पर चोरी छिपे लाने का आरोप है।
आतंकी संगठनों के साथ रोहिंग्या की शरण लेने के नाम पर घुसपैठ ने देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती खड़ी की हुई है। रोहिंग्या ने मेरठ, अलीगढ़, बुलंदशहर, देवबंद, जम्मू, पश्चिम बंगाल के शहरों, दिल्ली और अनेक जगहों पर अपना नेटवर्क खड़ा कर लिया है। सुरक्षा एजेंसियाँ जनवरी 2021 से 22 जून 2022 तककेवल पश्चिमी यूपी से 16 संदिग्ध रोहिंग्या मुसलमानों को गिरफ्तार कर चुकी है।
पिछले साल दिल्ली बॉर्डर पर यूपी सरकार की जमीन पर अवैध रुप से बसे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों पर कार्रवाई को लेकर योगी सरकार के विरोध में आ.आ.पा. विधायक अमानतुल्ला खान खड़े हो गए थे। यूपी कांग्रेस ने भी कार्रवाई को गलत ठहराया था। लिबरल गैंग की मानवता भी घुसपैठियों के लिए जागती रही है। ऐसे में अगर अमेरिका की तर्ज पर भारत में भी रोहिंग्या और अन्य घुसपैठियों को उनके पैरोकारों के घरों के सामने उनके भरोसे छोड़ दिया जाए तो क्या प्रतिक्रिया होगी ?