प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 अगस्त, 2024 को यूक्रेन पहुंचे। यह पहली बार है जब दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री यूक्रेन की धरती पर उतरा है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने इस मुलाकात को ऐतिहासिक करार दिया है। यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी इसी साल जुलाई महीने में रूस की यात्रा पर थे।
उस समय मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की गले मिलने वाली एक तस्वीर खूब चर्चा में रही। जेलेंस्की ने तब नाराजगी जताते हुए लिखा भी था कि “आज रूस के मिसाइल हमले में यूक्रेन के 37 लोग मारे गए, जिनमें तीन बच्चे थे। यूक्रेन में बच्चों के सबसे बड़े अस्पताल पर रूस ने हमला किया। ऐसे दिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता को मॉस्को में दुनिया के सबसे खूनी अपराधी को गले लगाते देखना बहुत बड़ी निराशा है और यह शांति स्थापित करने के प्रयासों के लिए बड़ा झटका है।”
हालांकि, गले मिलने वाली ऐसी ही एक तस्वीर अब यूक्रेन से भी सामने आई है।
एक और तस्वीर में पीएम मोदी यूक्रेनी राष्ट्रपति के कंधे पर हाथ रख उन्हें ढाढ़स बंधाने का प्रयास कर रहे हैं।
वहीं, जेलेंस्की इस मुलाकात पर यह भी कहते हैं कि, “हम इस बात की गहराई से सराहना करते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा की शुरुआत उन यूक्रेनी बच्चों की स्मृति को सम्मानित कर की, जिनकी जान रूसी हमले में चली गई थी।”
उधर, पीएम मोदी भी मृत बच्चों की याद में बने संग्रहालय को लेकर भावुक होते हुए कहते हैं, “हम लंबे समय से एक बात सुनते आए हैं कि युद्ध की सबसे पहली हानि ट्रूप्स (सेना) की होती है लेकिन आज मेरा मन भर आया था और दिल को बहुत गहरी चोट पहुंची थी।”
वे आगे कहते हैं, “अब मुझे लगता है कि युद्ध की सबसे पहली हानि इन निर्दोष बालकों की होती है और वो बहुत दर्दनाक होता है। किसी भी सुसंस्कृत समाज में इस प्रकार की घटनाएं कतई स्वीकार नहीं हो सकती हैं।”
युद्ध की शुरूआत में भारत ने चुने दो मार्ग
रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख को स्पष्ट करते हुए पीएम मोदी ने यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की को बताया कि हमनें युद्ध के समय दो प्रकार की भूमिकाओं का रास्ता अपनाया। पहली भूमिका रही है, मानवीय दृष्टिकोण की और दूसरी भूमिका रही है, युद्ध से दूर रहने की।
मानवीय दृष्टिकोण पर पीएम मोदी ने कहा, “ऐसे संकट की घड़ी में बहुत सारी जरूरतें होती हैं और भारत ने उन्हें पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास किया। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मानवीय दृष्टिकोण से जिस प्रकार की मदद की आवश्यकता होगी, भारत हमेशा आपके साथ खड़ा रहेगा और दो कदम आगे चलेगा।”
भारत के दूसरे मार्ग को विस्तार देते हुए पीएम मोदी ने कहा, “हम बड़े विश्वास के साथ युद्ध से दूर रहे हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम तटस्थ थे। हम तटस्थ नहीं थे। हम पहले दिन से ही पक्षकार रहे हैं और हमारा पक्ष है शांति का।”
वे आगे कहते हैं, “हम बुद्ध की धरती से आते हैं, जहां युद्ध का कोई स्थान नहीं होता है। हम महात्मा गांधी की धरती से आते हैं, जिन्होंने पूरे विश्व को शांति का संदेश दिया है।”
शांति का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने शांति की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए जेलेंस्की से कहा, “मैं आज यूक्रेन की धरती पर शांति का संदेश लेकर आया हूं। शांति के हर प्रयास में भारत अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है। व्यक्तिगत रूप से मैं भी अगर इसमें कोई योगदान कर सकता हूं तो मैं जरूर करना चाहूंगा, एक मित्र के रूप में आपको यह विश्वास दिलाता हूं।”
पीएम मोदी ने एक महत्वपूर्ण बात कही है वो यह है कि संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंड़ता का सम्मान हमारे लिए सर्वोपरि है और हम उसका समर्थन करते हैं।
पुतिन से मुलाकात पर क्या कहा?
साल 2022 में समरकंद एससीओ बैठक की ओर इशारा करते हुए पीएम मोदी ने जेलेंस्की से कहा, “कुछ समय पहले समरकंद में जब राष्ट्रपति पुतिन से मैं मिला तब मीडिया के सामने आंख से आंख मिलाकर मैंने उनसे कहा था, यह युद्ध का समय नहीं है।”
पीएम मोदी ने जेलेंस्की से अपनी हालिया रूस यात्रा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “मैं पिछले दिनों मुलाकात के लिए रूस गया था। वहां भी मैंने कहा था कि किसी भी समस्या का समाधान रणभूमि में कभी भी नहीं होता है।”
वो जेलेंस्की को बातचीत की मेज पर आने का संकेत देते हुए कहते हैं, “समाधान का रास्ता बातचीत से ही निकलता है, कूटनीति से निकलता है और हमें बिना समय गंवाए उस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।”
आपका आभार जेलेंस्की
भारतीय मूल के हजारों शिक्षार्थी पढ़ने के लिए यूक्रेन में जाते रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के शुरूआती दिनों में ऐसे ही कई हजारों शिक्षार्थी वहां फंस गए थे।
इस घटना का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने जेलेंस्की से कहा, “भारतीय बच्चों को बाहर निकालने में आपने जो मदद की और जिस संवेदनशीलता के साथ हमारी चिंताओं को आपने समझा और सुलझाने के लिए भरसक प्रयास किया, इसके लिए मेरे देश के 140 करोड़ नागरिकों की तरफ से और उस संकट की घड़ी से निकलकर आए हुए उन बच्चों की, उनके परिवारजनों की तरफ से आपका आज मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।”