हाल ही में रिलीज हुए आदिपुरुष के टीजर से देश में श्रीराम और रावण की वेशभूषा पर बहस छिड़ी हुई है। इसी बीच फिल्म के डायलॉग रायटर मनोज मुन्तशिर को भी डिबेट में कूदना पड़ा है। उन्होंने हिन्दू धर्म की उदारता और विराटता की बात कही है, कुछ ग्रन्थों के कोट्स भी दिए हैं।
चूँकि लोगों को आदिपुरुष के रावण का लुक कहीं न कहीं अलाउद्दीन खिलजी से मैच करता लग रहा है, इसपर कहा जा रहा है कि, दोनों ही अपने अपने समय की बुराई के प्रतीक थे।
फिल्म में रावण को त्रिपुंड्रधारी और रुद्राक्ष पहने दिखाया गया है, पर सभी जगह ऐसा नहीं है। चलिए थोड़ा भगवान श्री राम के जीवन के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रन्थ से देखते हैं, फिल्म के कौन कौनसे दृश्यों और पहलुओं पर क्या लिखा है महर्षि वाल्मीकि के रामायण में :-
वाल्मीकि रामायण में ऐसा दिखता था रावण
‘आदिपुरुष’ के टीजर में रावण बने सैफ अली खान की दाढ़ी मूंछे दिखाई गई हैं, हालाँकि कुछ लोगों का कहना है कि यह रावण अलाउद्दीन खिलजी जैसा लग रहा है। वैसे रावण और अलाउद्दीन दोनों ही अत्याचारी थे और इनमें एक और समानता थी। वाल्मीकि रामायण के सुंदरकाण्ड के सर्ग 9 और 10 में रावण के महल में बहुत सारी अपहरण की गई स्त्रियों का वर्णन आया है।
इसे देखकर हनुमानजी कहते हैं कि, “मेरी दृष्टि अब तक कभी पराई स्त्रियों पर नहीं पड़ी थी। यहाँ आने पर मुझे पराई स्त्रियों का अपहरण करने वाले रावण का भी दर्शन हो गया है। (सुन्दरकांड 12.39)” अलाउद्दीन और अन्य मुगलों के हरम के बारे में सभी को पता है।
अब आते हैं दाढ़ी पर, तो रावण की दाढ़ी के बारे में बताया है आनंद रामायण के सारकाण्ड के सर्ग 9 में जब हनुमान जी की पूँछ में आग लगाने की सारी कोशिश नाकाम हो रही होती हैं तो हनुमान जी कहते हैं शायद रावण फूंक मारे, तो हो सकता है आग जल जाए।
ये सुनकर रावण खुद आग में फूंक मारने लगा और इसी कोशिश में रावण की दाढ़ी में ही आग लग गयी।(“तावत्तच्छिरजा: श्मश्रुकूर्चां दग्धा तदाsभवन्।”) दाढ़ी में लगी आग बुझाने के लिए रावण अपने दसों मुखों पर अपने बीस हाथों से थप्पड़ मारने लगा और ये देखकर सारे राक्षस और हनुमान जी हंसने लगे! इसपर रावण को बड़ा गुस्सा आया।
इस तरह रावण की दाढ़ी के प्रूफ तो मिल ही जाते हैं, पर वेशभूषा ? सभी के मन में हजारों सालों से एक निश्चित वेशभूषा रची बसी है, जो कुछ सांस्कृतिक और कलात्मक परिवर्तनों के साथ देश की सभी प्राचीन मूर्तियों में दिखती है, सभी चित्रों में दिखती है, रामलीलाओं में दिखती आई है, पुराने सीरियल्स में दिखती है, अंतर्मन में भी दिखती आई है, परंपरा में भी, पर अलाउद्दीन खिलजी का गेटअप?
भगवान् राम बने प्रभास को मूंछों में दिखाया गया है, इसमें ऐसा कुछ गलत भी नहीं है क्योंकि वन में भगवान राम तपस्वी जीवन में रहे थे, दक्षिण भारतीय मूर्तियों और चित्रों में हमेशा से भगवान राम को मूंछों सहित दिखाया जाता रहा है। पर राम की केवल मूंछें होना और लक्ष्मण की दाढ़ी मूंछें होना थोड़ा अस्वाभाविक जान पड़ता है।
रावण के रथ में जुते हुए थे गधे
‘आदिपुरुष’ फिल्म के टीजर में रावण को एक चमगादड़ और ड्रैगन के बीच के जीव के ऊपर बैठा हुआ दिखाया गया है, हालाँकि वाल्मीकि रामायण रावण के रथ के बारे में कुछ और ही बताती है। वाल्मीकि रामायण में बताया गया है कि माँ सीता का हरण करने जाते समय रावण के रथ में गधे जुते हुए थे।
कामगं रथमास्थाय कांचनं रत्नभूषितम्।
पिशाचवदनैर्युक्तं खरैः कनकभूषणैः।।
– वाल्मीकि रामायण, 3.35.6
वह रथ इच्छानुसार चलने वाला और सोने का बना हुआ था। उसमें सोने के आभूषण पहने हुए पिशाचों जैसे दिखने वाले गधे जुते हुए थे। रावण उस रथ पर आरूढ़ होकर चला। आगे कहा है,
स च मायामयो दिव्यः खरयुक्तः खरस्वनः।
प्रत्यदृश्यत हेमांगो रावणस्य महारथः।।
– वाल्मीकि रामायण, 3.49.19
यानि, इतने में ही गधों से जुता हुआ और गधों की तरह आवाज करने वाला रावण का विशाल सोने का मायानिर्मित दिव्य रथ वहाँ दिखाई दिया।
हालाँकि टीजर छोटा सा ही है, शायद पूरी मूवी में कहीं रावण का ऐसा रथ भी दिखाया गया हो, पर चमगादड़ जैसे ड्रैगन वाला रथ कुछ अलग ही लग रहा है!
अगर पुष्पक विमान की भी बात करें तो, उसका वर्णन हनुमान जी ने खुद सुंदरकांड में किया है, पुष्पक विमान पूरे भवन जैसा था और हंसों से जोता गया था न कि ड्रैगन से, उस विमान में सोने चांदी, रत्न मणियाँ, पुष्प, सुंदर घोड़े, सुंदर हाथी, सरोवर और वन भी थे। देवता उस पुष्पक विमान का सबसे ज्यादा आदर करते थे। (वाल्मीकि रामयाण, सुंदरकांड, सर्ग 7-8)
वह जो टीजर में नहीं दिखाया पर डायलॉग राइटर ने कर दिया खुलासा
‘आदिपुरुष’ मूवी के टीजर में रावण द्वारा माँ सीता के हरण का दृश्य नहीं दिखाया गया है, पर अपने इंटरव्यू में मनोज मुन्तशिर ने बताया कि ओम राउत ने मूवी में सीता हरण का दृश्य कुछ इस तरह दिखाया है कि, “रावण एक क्षण के लिए भी माँ सीता का स्पर्श नहीं करता, माया से हरण करता है। जबकि बाकी सभी रामायण और रामलीलाओं में रावण माँ सीता को हाथ पकड़के खींचकर ले जाता हुआ दिखाया जाता है।” इसपर ओम राउत कहते हैं, “सर, शीज माय मदर, नोबडी कैन टच हर।”
ओम राउत की भावना अच्छी है पर इससे कहीं न कहीं रावण की क्रूरता ढक जाती है, और ये वाल्मीकि रामायण या अन्य रामायणों से भी न्याय नहीं कर पाता। कुछ समय से रावण के कुछ प्रशंसकों ने यह प्रोपेगेंडा भी किया है कि रावण ने माँ सीता का स्पर्श तक नहीं किया था और उन्हें सताया नहीं था, पर सच इससे उलट है।
सीता हरण के समय रावण ने रोती और छटपटाती हुईं माँ सीता के बड़ी निर्ममता से बाल पकड़कर और स्पर्श कर अपहरण किया था..
इत्युक्त्वा मैथिलीं वाक्यं प्रियार्हां प्रियवादिनीम्।।
अभिगम्य सुदुष्टात्मा राक्षसः काममोहितः।
जग्राह रावणः सीतां बुधः खे रोहिणीम् इव।।
वामेन सीतां पद्माक्षीं मूर्धजेषु करेण सः।
ऊर्वोस्तु दक्षिणेनैव परिजग्राह पाणिना।।
ततस्तां परुषैर्वाक्यैरभितर्ज्य महास्वनः।
प्रत्यदृश्यत हेमाङ्गो रावणस्य महारथः।।
– वाल्मीकि रामायण, 3.49.15-17, 20
सबसे प्रिय वचन बोलने वाली सीता से अप्रिय वचन कहकर काम से मोहित हुए उस अत्यंत दुष्ट राक्षस रावण ने निकट जाकर सीता को पकड़ लिया, मानो बुध ने आकाश में अपनी माता रोहिणी को पकड़ने का दुःसाहस किया हो। उसने बाएं हाथ से माँ सीता के बालों सहित मस्तक को पकड़ा और दाहिना हाथ उनकी दोनों जंघाओं के नीचे लगाकर उसके द्वारा उन्हें उठा लिया। रावण ने कठोर वचनों द्वारा सीता को डांटा और गोद में उठाकर तत्काल रथपर बिठा दिया।
इन 5 जानवरों से की थी माँ सीता ने रावण की तुलना
इसके बाद भी रावण ने सीता माँ के बाल पकड़े थे, इस अपमान को देखकर ब्रह्माजी ने कहा था, “बस अब कार्य सिद्ध हो गया! रावण ने अपना विनाश तय कर लिया।”
क्रोशन्तीं राम रामेति रामेण रहितां वने।
जीवितान्ताय केशेषु जग्राहान्तकसन्निभः।।
प्रधर्षितायां सीतायां बभूव सचराचरम्।
जगत्सर्वममर्यादं तमसान्धेन संवृतम्।।
न वाति मारुतस्तत्र निष्प्रभोऽभूद्दिवाकरः।
दृष्ट्वा सीतां परामृष्टां दीनां दिव्येन चक्षुषा।।
कृतं कार्यमिति श्रीमान्व्याजहार पितामहः।
प्रहृष्टा व्यथिताश्चासन्सर्वे ते परमर्षयः।।
वन में माँ सीता को राम-राम की रट लगाते देखकर विकराल राक्षस रावण ने अपने ही विनाश के लिए उनके केश पकड़ लिए। सीता माँ के इस अपमान से सारे संसार में अंधकार छा गया, वायु की गति रुक गई, सूर्य की चमक फीकी पड़ गई, दण्डकारण्य के सब ऋषि भी ये देखकर बहुत दुखी हुए, तब पितामह ब्रह्मा रावण द्वारा सीता जी के बाल खींचे जाने का यह अपमान देखकर बोले, “बस अब कार्य सिद्ध हो गया।”
इसी पाप के कारण रावण का अंत तय हो गया था।
यहाँ ये साफ हो जाता है कि रामायण में रावण ने बेरहमी से माँ सीता के बाल पकड़कर अपहरण किया था। इसके आगे लंका में प्रवेश करते समय भी रावण ने उन्हें जबरन उठा लिया था ताकि वह उनकी पकड़ से न छूट जाएं, क्योंकि वह लगातार रावण से छूटने की कोशिश कर रही थीं।
स तु सीतां विचेष्टन्तीमङ्केनादाय रावणः।
प्रविवेश पुरीं लङ्कां रुपिणीं मृत्युमात्मनः।।
– वाल्मीकि रामायण, 3.54.11
सीता छटपटा रही थीं। रावण ने अपनी साकार मृत्यु की तरह उन्हें अंक में लेकर लंकापुरी में प्रवेश किया।
अब देखना ये होगा, कि ‘आदिपुरुष’ में बिना स्पर्श के कैसे हरण दिखाया गया है, और कहीं इससे दर्शकों के मन में रावण के प्रति कोई सहानुभूति तो नहीं उपजेगी।
भारत में वर्तमान तक रामानन्द सागर द्वारा बनाया गया रामायण सीरियल लोगों के हृदय में रचा बसा है, क्योंकि उसमें भगवान राम सम्बन्धी सभी ग्रन्थों को सही रूप में दिखाने की कोशिश की गई थी, ऐसे में ‘आदिपुरुष’ क्या कमाल दिखा पाती है यह तो इसकी रिलीज के बाद ही पता चलेगा।
सप्तशती सिखाती है अपराध और अपराधियों के अंत पर प्रसन्न होना
सप्तशती में देवों ने गाई है देवी की तलवार की भी महिमा
सिंह पर प्रहार नहीं सह सकीं देवी, सप्तशती में है सिंह का भरपूर वर्णन