पश्चिम बंगाल में ममता सरकार के कथित भ्रष्टाचार पर भाजपा ने मंगलवार (13 सितंबर, 2022) को ‘नबन्ना चलो’ रैली का आयोजन किया। प्रदर्शन को जनता का बेहिसाब सहयोग मिलते देख राज्य सरकार ने पुलिस को मोहरा बना, इसे कुचलने का प्रयास किया। आम कार्यकर्ताओं पर जहां बेहिसाब बर्बरता दिखाई गई तो वहीं शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार कर दिया गया।
नबन्ना चलो
हाल ही में पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार के कई नेताओं पर कथित भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी इन दिनों कोयला स्कैम के चलते ईडी के दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं। इस से पहले भी कई महीनों से केंद्रीय जांच एजेंसी, पश्चिम बंगाल में छापे मार रही है, जिनमे बेहिसाब धन मिला है।
ममता सरकार और टीएमसी नेताओं के भ्रष्टाचार पर पश्चिम बंगाल की भाजपा यूनिट ने नबन्ना में राज्य सचिवालय के घेराव का आह्वाहन देते हुए ‘नबन्ना चलो’ प्रदर्शन रैली का बिगुल बजाया।
मंगलवार (13 सितंबर, 2022) को नंदीग्राम से भाजपा एमएलए शुभेंदु अधिकारी को पश्चिम बंगाल पुलिस ने जबरन गिरफ्तार कर लिया। साथ ही, भाजपा नेता राहुल सिन्हा, एमपी लॉकेट चटर्जी और पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांता मजूमदार को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
राज्य सचिवालय की तरफ जाते रास्ते पर पुलिस ने बैरिकेड लगा दिए और पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया।
पश्चिम बंगाल पुलिस की बर्बरता
पश्चिम बंगाल के भाजपा नेताओं ने पुलिस पर अत्यधिक बर्बरता के आरोप लगाए हैं। सोशल मीडिया में हमें कई वीभत्स वीडियो मिले, जिसमे पश्चिम बंगाल पुलिस के कारनामे साफ-साफ देखे जा सकते हैं।
सोशल मीडिया में कई भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा साझा किए वीडियो में देखा जा सकता है कि लाल टीशर्ट में भाजपा कार्यकर्ता को किस तरह पीटा जा रहा है। उम्र का लिहाज ना करते हुए बंगाल पुलिस का एक सिपाही बड़ी बेशर्मी से अपने से बड़े को थप्पड़ जड़ रहा है।
लोकसभा सदस्य और भाजपा नेता अमित बिस्ता द्वारा एक वीडियो साझा किए गए एक वीडियो में पश्चिम बंगाल की पुलिस की हैवानगी साफ झलक रही है। वीडियो में कोलकाता नगर निगम की पूर्व डिप्टी मेयर नेता मीना देवी पुरोहित बेहद जख्मी हालत में लेटी हुई दिख रही हैं। अमित बिस्ता के अनुसार पश्चिम बंगाल पुलिस ने भाजपा नेत्री के साथ बेरहमी से मारपीट की है।
पश्चिम बंगाल में विपक्षी दलों के साथ बर्बरता कोई नया किस्सा नहीं है लेकिन बीते कुछ समय में एक पूर्वनिर्धारित मर्यादा का भी टीएमसी ने जमकर उल्लंघन किया है।
भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले
दशकों से वामपंथी शासन का दंश झेल कर जब बंगाल की जनता ने ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस को सत्ता सौंपी थी तो उन्हें कतई यह उम्मीद नहीं थी कि विकल्प के तौर पर उभरी यह पार्टी भी लेफ्ट की राह पर निकल पड़ेगी।
2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा ने पश्चिम बंगाल में अपना जनाधार बढ़ाना शुरू कर दिया था। 2021 में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने टीएमसी को कड़ी टक्कर दी, लेकिन सत्तधारी पार्टी एक बार फिर चुनाव जीत कर सत्ता में वापस आ गई।
चुनाव जीतने के बाद टीएमसी ने भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ एक जमीनी युद्ध छेड़ दिया। जॉय प्रकाश यादव जैसे ना जाने कितने भाजपा कार्यकर्ताओं को बेरहमी से मारा गया।
सिर्फ पुरुष ही नहीं, महिलाएं भी इस हिंसा का शिकार बनी। भाजपा कार्यकर्ता चंदना हलदार के सर पर लाठी से हमला किया गया जिसमे उनकी मृत्यु हो गई। कई महिलाओं के साथ टीएमसी कार्यकर्ताओं ने सिर्फ इसलिए बलात्कार किया क्योंकि उनका भाजपा की विचारधारा में विश्वास था।
जून, 2021 में कई भाजपा महिला कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर यह आरोप लगाया की टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने उनके साथ बलात्कार किया और जब उन्होंने पुलिस से FIR दर्ज करने की मांग की तो उल्टा उन्होंने उन पर रिपोर्ट ना करने का दबाव बनाया।
यह काफी दुख की बात है कि स्वामी विवेकानंद जैसे महान दार्शनिक देने वाली भूमि —पश्चिम बंगाल में आज अभिव्यक्ति की आजादी को कुचला जा रहा है।