कोलकाता में डॉक्टर के साथ मर्डर और रेप के मामले में नए-नए विवाद सामने आ रहे हैं। एक तरफ़ डॉक्टर्स प्रोटेस्ट करके पीड़िता के लिए न्याय मांग रहे हैं तो वहीं इसी बीच राज्य द्वारा करीब 42 प्रोफेसर्स और डॉक्टरों का ट्रांसफर कर दिया गया है। इन ट्रांसफर्स में दो डॉक्टर, डॉ. संगीता पॉल और डॉ. सुप्रिया दास – भी शामिल हैं, जो अस्पताल में उस दिन तैनात थीं, जब मृतका डॉक्टर का शव मिला था।
फिलहाल राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने उनके तबादले के कारण पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि इन ट्रांसफर्स को लेकर हर और विवाद खड़ा हो गया है। राज्य सरकार के इस फैसले पर डॉक्टर्स फेडरेशन और विपक्षी दल भाजपा ने बड़े सवाल उठाए हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इन ट्रांसफर्स के जरिए उनको डराने की कोशिश की जा रही है।
इस सबंध में यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट एसोसिएशन ने ट्वीट करके लिखा है कि वे इस लड़ाई में लगे रहेंगे और वे ममता बनर्जी सरकार के फैसले की निंदा करते हैं।
ममता बनर्जी सरकार के इस फैसले के बाद प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, एक प्रदर्शनकारी डॉक्टर, डॉ किंजल नंदा ने इसकी टाइमिंग को लेकर सवाल उठाया है। एकतऱफ जहां मृतका के लिए डॉक्टर न्याय मांग रहे हैं तो उसी समय ट्रांसफर ऑर्डर क्यों दिए गए हैं? उन्होंने कहा कि डॉ संगीता पॉल उनका समर्थन देने के लिए आती थीं। हमें नहीं पता कि उनका ट्रांसफर क्यों किया गया। हम अभी भी न्याय के लिए डटे रहेंगे।
वहीं, ट्रांसफर ऑर्डर की आलोचना करते हुए बीजेपी आईटीसेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया कि पश्चिम बंगाल सरकार प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर और उन्हें सपोर्ट कर रहे सीनीयर्स को डराने का गंभीर प्रयास कर रही है। आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार का यह ऑर्डर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा पीड़िता के लिए न्याय और डॉक्टरों की सुरक्षा बढ़ाने की मांग करते हुए शनिवार को 24 घंटे के राष्ट्रव्यापी काम बंद विरोध प्रदर्शन बुलाने के बाद सामने आया है।
एक बार फिर से याद दिला दें कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक डॉक्टर के बलात्कार और हत्या का मामला सामने आया था। जिसके बाद कोलकाता पुलिस से जुड़े एक सिविल वॉलिंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला था कि डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया और गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी गई। फिलहाल डॉक्टर और नर्सेस कोलकाता और देश के अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें आरोपियों को मृत्युदंड और डॉक्टर्स की सुरक्षा में सुधार के लिए कदम उठाने की मांग की जा रही है। वहीं, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले को आगे की जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया है।
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