“We are now fighting BJP, the RSS and the Indian State itself” लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद Rahul Gandhi के इस बयान का हिंदी अनुवाद है कि “अब हम BJP, RSS और भारतीय राज्य से लड़ रहे हैं।”
सवाल उठता है कि राहुल गांधी भारतीय राज्य से क्यों लड़ रहे हैं? वे तो लोकसभा में नेता विपक्ष हैं। वे देश के चुने हुए सांसद भी हैं। देश की संवैधानिक प्रक्रियाओं के तहत- लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के तहत चुनी हुई संसद का वे हिस्सा हैं।
लोकसभा का सांसद होते हुए वे संसद की कई समितियों के सदस्य भी हैं, ऐसी समितियां जो सरकार के कामकाज का मूल्यांकन करती हैं। वे उस पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं जिसका संसद सदस्य पब्लिक अकाउंट कमेटी का अध्यक्ष है।
देश की उसी व्यवस्था का वे एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जिसके तहत शासन और प्रशासन काम कर रहा है। फिर वे उसी शासन और प्रशासन के विरुद्ध, उसी राज्य के विरुद्ध लड़ाई के बात कैसे कर सकते हैं?
राज्य के विरुद्ध लड़ाई की बात तो कोई अपराधी करता है? कोई आतंकी या फिर उग्रवादी करता है? नेता विपक्ष कैसे यह बात कह सकते हैं कि उनकी लड़ाई भारतीय राज्य से है? भारतीय राज्य से लड़ने वाला क्या देशद्रोही नहीं है? क्या लोकतंत्र विरोधी नहीं है? क्या संविधान विरोधी नहीं है?
राहुल गांधी भाजपा से लड़ाई की बात बार-बार कहते हैं कोई सवाल नहीं उठते। भाजपा कांग्रेस की राजनीतिक विरोधी है, राजनीतिक लड़ाई आप कीजिए।
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आरएसएस से भी अगर आपका वैचारिक विरोध है और आप एक सांस्कृतिक संगठन के विरुद्ध भी लड़ाई की बात करते हैं तब भी आपके ऊपर सवाल खड़े नहीं होते लेकिन आप उस व्यवस्था के विरुद्ध- उस सिस्टम के विरुद्ध- उस संविधान के विरुद्ध- उस लोकतंत्र के विरुद्ध लड़ाई की घोषणा कैसे कर सकते हैं जिसके अंतर्गत आप खुद एक पद पर बैठे हैं। जिसके अंतर्गत आप और आपकी पार्टी के कई सांसद काम कर रहे हैं?
जिस संविधान की आप कसमें खाते नहीं थकते। जिसे वोटों के लिए जनता में लहराते नहीं थकते। उस संविधान के तहत बनी हुई व्यवस्था के विरुद्ध नेता विपक्ष लड़ाई की बात कैसे कर सकते हैं? लोकसभा में नेता विपक्ष का “भारतीय राज्य के विरुद्ध लड़ाई” का बयान बहुत गंभीर और डरावना बयान है।
इसलिए हर देशवासी को उनसे पूछना चाहिए, कांग्रेसी नेताओं से पूछना चाहिए कि Rahul Gandhi ने ऐसा बयान क्यों दिया?
क्या राहुल गांधी लगातार मिल रही हार की हताशा में पूरी तरह से बौखला गए हैं? उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा भी निकालकर देख ली। सबकुछ मुफ्त देने की घोषणा करके भी देख ली।
पैसे बांटने की घोषणा करके भी देख ली। सभी दलों के साथ गठबंधन करके भी देख लिया लेकिन जनता ने उन्हें नहीं चुना। जनता ने उनकी पार्टो को नहीं चुना। Rahul Gandhi पीएम मोदी को नहीं हरा पाए। क्या इसलिए अब वे सीधे-सीधे भारतीय राज्य के विरुद्ध लड़ाई की बात कर रहे हैं?
सवाल यह भी कि क्या उन्होंने विदेशी शक्तियों के इशारों पर, सोरोस समूह के इशारों पर यह बयान दिया है?
यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि हाल ही में राहुल गांधी विदेश से लौटे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब देश पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के निधन का राष्ट्रीय शोक मना रहा था, तभी नई साल के मौके पर राहुल गांधी विदेश गए थे। विदेश से लौटते ही उन्होंने भारतीय राज्य से लड़ने की बात कही है।
इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी और गांधी-नेहरू परिवार के कई तरह के कनेक्शन सोरोस के साथ भी सामने आए हैं।
याद रखिए भारत विरोधी अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस तमाम तरह से देश के लोकतंत्र को बर्बाद करने के लिए- पीएम मोदी को किसी भी तरीके से सत्ता से हटाने के लिए- देश के अंदरुनी मामलों में दखल देने के लिए काम कर रहा है।
बड़ी बात ये है कि सोनिया गाँधी Forum of the Democratic Leaders in Asia Pacific नाम के एक संगठन की को-प्रेसिडेंट हैं और इस संगठन को सोरोस फंडिंग करता है।
सोनिया गांधी ही नहीं बल्कि राहुल गांधी भी कई बार विदेशों में बैठकर दूसरे देशों से भारत के लोकतंत्र मे हस्तक्षेप करने की बात कर चुके हैं।
साल 2021 में राहुल गांधी ने कहा था कि इंडिया में जो कुछ हो रहा है उस पर अमेरिका चुप क्यों है? अमेरिका कुछ करता क्यों नहीं? उनका सीधा अर्थ था कि अमेरिका, भारत के मामले में हस्तक्षेप क्यों नहीं करता?
सिर्फ यही नहीं मार्च 2023 में लंदन दौरे पर भी राहुल गांधी ने यही किया था। तब भी उन्होंने इसी तरह से अमेरिका और यूरोप से भारत के लोकतंत्र में दखल देने की अपील की थी। उन्होंने साफ-साफ कहा कि अमेरिका और यूरोप भारत में लोकतंत्र बहाल करने के लिए पर्याप्त काम नहीं कर रहे हैं।
इसके साथ ही यह भी मत भूलिए कि राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच 2008 में एक गुप्त समझौता हुआ था। आज तक यह जानकारी पब्लिक डोमेन में नहीं है कि उस समझौते में क्या था?
इसलिए यह सवाल और गंभीर हो जाता है कि क्या राहुल गांधी किसी बाहरी शक्ति के इशारे पर भारतीय राज्य से लड़ाई की बात कर रहे हैं? क्या विदेश में उन्हें किसी तरह के निर्देश गए हैं?
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निश्चित तौर पर कांग्रेस पार्टी को Rahul Gandhi के बयान पर स्पष्टता देनी चाहिए और उन्हें देश के सामने बताना चाहिए कि क्या राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को संविधान पर- देश के लोकतंत्र पर- देश की संसदीय व्यवस्था पर विश्वास है या नहीं?
यह ज़रूरी इसलिए भी है क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में भले ही कांग्रेस की कुछ सीटें बढ़ी हों लेकिन उसके बाद से लगभग सभी चुनावों में चाहे हरियाणा हो या महाराष्ट्र हो- सभी में कांग्रेस को बुरी हार मिली है।
ऐसे में क्या लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव न जीत पाने की फ्रस्ट्रेशन में राहुल इस तरह का बयान दे रहे हैं? हम फ्रस्ट्रेशन पर ज़ोर इसलिए दे रहे हैं क्योंकि अमेरिका में ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद दुनिया भर में वामपंथी इकोसिस्टम और उनका डीप स्टेट कमजोर पड़ा है।
हाल ही में डीप स्टेट के एक और हथियार अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग ने भी अपनी दुकान बंद करने की घोषणा कर दी है।
मजे की बात ये है कि हिंडनबर्ग ने जब अपना शटर डालने का ऐलान किया, उससे बिल्कुल पहले Rahul Gandhi ने भारतीय स्टेट से लड़ने की बात कही थी। सवाल ये भी कि क्या राहुल गांधी को पहले से पता था कि हिंडनबर्ग बंद होने जा रहा है?
ऐसे में निश्चित तौर पर कांग्रेस पार्टी को राहुल गांधी के बयान पर देश के सामने सफाई देनी चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि राहुल गांधी ने इस तरह का बयान क्यों दिया?