वक्फ! एक ऐसा नाम, जो भारत में एनिग्मा है, रहस्य है। जिसे हम सुनते तो हर जगह हैं, पर इसके बारे में जानते हम बहुत कम हैं।
आज हम वक्फ बोर्ड के रहस्यमय ताले खोल रहे हैं।
राज्यों के वक्फ बोर्ड, भारत में मुस्लिमो की सार्वजनिक उपयोग वाली जमीनों, मस्जिदों, दरगाहों और कब्रिस्तानों का प्रबंधन करने वाली संस्थाएँ हैं।
‘वक्फ’ शब्द का अर्थ होता है, ‘किसी संपत्ति को एक पवित्र या धार्मिक कार्य के लिए समर्पित करना’।
वक्फ को जानिए
भारत में सर्वप्रथम वक्फ को वैधानिक मान्यता 1913 में ब्रिटिश राज के दौरान ‘मुसलमान वक्फ वैधीकरण अधिनियम’ के द्वारा मिली थी। जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने वर्ष 1954 में एक क़ानून के द्वारा विभिन्न वक्फ बोर्डों को मान्यता दी।
वर्ष 1964 में ही सभी राज्यों के वक्फ बोर्ड को नियमित करने के लिए एक केंद्रीय वक्फ परिषद का निर्माण किया गया।
आखिरी बार इस क़ानून में वर्ष 2013 में संशोधन किया गया था।
वक्फ से जुड़े कुछ तथ्य
2013 का संशोधन वक्फ बोर्ड को किसी भी जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित करने के सम्बन्ध में असीमित शक्तियां देता है।
वक्फ किसी ऐसी सम्पत्ति, जिस पर लम्बे समय से धार्मिक गतिविधि हो रही हो, को अपनी सम्पत्ति घोषित कर सकता है, बगैर वर्तमान मालिक से अनुमति लिए।
ऐसी स्थिति में यह सम्पत्ति के मालिक की जिम्मेदारी होगी कि वह अपना अधिकार सिद्ध करे।
ना सिद्ध कर पाने की स्थिति में सम्पत्ति पर वक्फ बोर्ड का अधिकार हो जाएगा।
इसके अतिरक्त, वक्फ द्वारा कब्ज़ा की हुई सम्पत्ति के विरुद्ध सर्वप्रथम अपील वक्फ ट्रिब्यूनल में की जाएगी, जिसके कारण फैसला अधिकतर वक्फ के ही पक्ष में जाता है
सोचने की बात यह है कि आखिर वक्फ की इतनी बेशकीमती जमीनों का होता क्या है?
वक्फ बोर्ड भारत में रेलवे और सेना के बाद जमीनों का सबसे बड़ा मालिक है। 2009 की एक संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, वक्फ बोर्ड के आधिपत्य में करीब 6 लाख एकड़ जमीन है।
जमीन हैं, तो घोटाले हैं, घोटाले हैं तो मुकदमे हैं, मुकदमे हैं तो ….रंजिशें भी हैं।
वक्फ बोर्ड पर जमीनों के दुरुपयोग, उनमें घोटाले करने और अवैध तरीके से बहुत सी जमीनों को हथियाने के आरोप लगते रहे हैं।
ऐसे ही एक मामले में कर्नाटक के वक्फ बोर्ड पर 27000 एकड़ जमीन का वाणिज्यिक गतिविधियों में उपयोग करने का आरोप लगा था।
जिन जमीनों का दुरुपयोग किया गया, उनका बाज़ार मूल्य लगभग 2 लाख करोड़ था।
2016 में उस समय के दिल्ली वक्फ बोर्ड के चैयरमैन और अपने साम्प्रादयिक बयानों के कारण चर्चा में रहने वाले विधायक अमानतुल्लाह खान पर वक्फ बोर्ड के धन के भारी दुरुपयोग के आरोप में एंटी करप्शन ब्यूरो ने दिल्ली वक्फ बोर्ड दफ्तर पर छापा मारा था।
इंडिया टुडे की 2017 में एक रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में वक्फ की जमीनों को अवैध तरीके से बेचने का खुलासा किया था।
2017 में एक सामाजिक कार्यकर्ता शब्बीर अंसारी ने महाराष्ट्र के वक्फ बोर्ड में आंतरिक लड़ाई और भ्रष्टाचार का खुलासा किया था।
वक्फ में मुस्लिमों की हिस्सेदारी कितनी?
वक्फ बोर्ड में पैसा है, ताकत है, सब कुछ है…नहीं हैं तो पसमांदा मुसलमानों की रहनुमाई।
पसमांदा वे मुसलमान हैं, जो सबसे नीचे तबके के होते हैं, यानी हलालखोर, जुलाहा, कलवार, कसाई, जो मुस्लिम समाज के सबसे नीचे तबके के लोग हैं। अधिकतर राज्यों में वक्फ बोर्ड की कमान अशराफ मुस्लिमों के हाथो में ही है।
अशराफ तथाकथित तौर पर मुसलमानों की उच्च जातियों के नुमाइंदे होते हैं। वक्फ संस्थाओं में पसमांदा मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व न के बराबर है बजाय इसके कि पसमांदा वर्ग मुस्लिम आबादी का 85% हैं।
2006 में एक हास्यास्पद मामले में वक्फ बोर्ड ने ताजमहल के स्वामित्व पर दावा ठोंक दिया था
हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड की इस अपील को खारिज कर दिया।
वक्फ बोर्ड के सदस्यों पर अज़ान, नमाज़ के स्थान, कर्नाटक हिज़ाब जैसे विवादों को भी हवा देने के आरोप लगते रहे हैं।