भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने एशिया कप-2023 में पाकिस्तान के खिलाफ टॉस जीतकर पहले बारिश के खतरे के बावजूद आश्चर्यजनक रूप से पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। भारतीय टीम के बल्लेबाज विराट कोहली इस मैच में सस्ते में निपट गए और इस बीच उनकी एक वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा में आ गई।
सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो में भारतीय खिलाड़ी विराट कोहली के साथ पाकिस्तान के तेज गेंदबाज हारिस रउफ नजर आ रहे हैं। विराट कोहली और आतंकवाद की फैक्ट्री पड़ोसी देश पाकिस्तान के हारिस रउफ इस वीडियो में गर्मजोशी के साथ एक-दूसरे से मिलते नजर आते हैं। दोनों ही खिलाड़ी एक-दूसरे को गले भी लगाते हैं।
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने शुक्रवार देर शाम एक वीडियो जारी की जिसमें भारतीय खिलाड़ी विराट कोहली और पाकिस्तानी गेंदबाज़ हारिस रऊफ़ की मुलाक़ात दिखाई गई है। इसमें हारिस रऊफ़ शुरू में ही कहते हैं, “जिधर से गुज़रता हूँ कोहली-कोहली होता है।”
भारत-पाकिस्तान मैच से पहले दोनों देशों के खिलाड़ियों का इस प्रकार एक दूसरे से मिलना-जुलना कोई नई बात नहीं है लेकिन आतंकवाद का पोषण करने वाले पाकिस्तान से इस प्रकार के संबंध देखकर भारतीय क्रिकेट प्रशंसक थोड़ा नाराज़ भी नज़र आ रहे हैं। जब दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं और विराट कोहली मैच में 7 गेंदों में 4 रन बनाकर पवेलियन लौट गए हों।
इस निराशाजनक प्रदर्शन के बीच एक ‘एक्स’ यूजर ने लिखा है, “विराट कोहली को अब सद्भावना अंबेसेडर बना देना चाहिए… क्योंकि रन बनाने से ज्यादा इंस्टा व्यू जरूरी है..”
‘ बाला’ नाम के एक्स यूजर ने लिखा है कि प्रिय विराट कोहली, इस प्रकार की हरकतें आपके खेल में कोई भी योगदान नहीं करती हैं।”
‘बेफिटिंग फैक्ट्स’ ने लिखा है, “विराट कोहली पाकिस्तानी खिलाडियों के साथ क्रीज से ज्यादा समय फोटोबाजी में बिताते हैं।”
खेल के बीच दो देशों की सीमा क्यों ले आते हैं प्रशंसक?
वास्तव में विराट कोहली का पाकिस्तानी खिलाड़ी से हलके-फुल्के अंदाज में मिलने में कुछ भी गलत नहीं है। हालाँकि, भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के लिए यह चिंता का विषय इसलिए अवश्य हो जाता है क्योंकि आर्थिक बदहाली से लेकर तमाम किस्म के प्रतिबंध झेल रहे पाकिस्तान के पास भारतीय खिलाड़ियों से ‘दोस्ताना’ होने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं है।
यह भी नहीं भूलना चाहिए कि आज तक भी किसी पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी द्वारा कभी भी भारत में किए गए किसी आतंकवादी हमले की निंदा नहीं की है। पाकिस्तान के ही खिलाड़ी शाहिद अफ़रीदी कश्मीर की तुलना फ़िलिस्तीन से कर चुके हैं।
पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर तो यह भी कह चुके हैं कि मुस्लिम पहले कश्मीर पर कब्जा करेंगे और इसके बाद भारत पर हमला करेंगे। अख्तर स्पष्ट रूप से गजवा-ए-हिंद की बात कर रहा था। गजवा-ए-हिंद का सीधा अर्थ ‘भारत के खिलाफ युद्ध’ है, जिसका उल्लेख कई हदीस में किया गया है।
वही पाकिस्तान, जहाँ धार्मिक अल्पसंख्यकों के हितों की बात नहीं की जाती। ऐसा शायद ही कोई दिन हो जब पाकिस्तान में हिन्दुओं के उत्पीड़न, उनके इस्लामी धर्मान्तरण की ख़बरें न आती हों। लेकिन तब इन्हीं पाकिस्तानी खिलाड़ियों द्वारा कभी ऐसी घटनाओं की निंदा में स्वर नहीं सुनाई देते हैं। निश्चित तौर पर खेल के बीच दो देशों की सीमाओं का कोई महत्त्व नहीं होना चाहिए, लेकिन यह अंतिम शर्त भी नहीं है।
लेकिन कोहली के इस ‘दोस्ताना’ माहौल से शायद ही उन्हें कुछ ‘वोक पॉइंट’ मिल सकें। भारतीय क्रिकेटरों की प्राथमिकताएं उनके पाकिस्तानी साथियों की तरह तय नहीं हैं। भारतीयों के लिए यह सिर्फ एक और क्रिकेट मैच है, पाकिस्तानी खिलाड़ियों के लिए यह ‘जिहाद’ है, जैसा कि उन्होंने खुद भी समय-समय पर स्वीकार किया है। ‘अमन की आशा’ और ‘गजवा ए हिन्द’, दोनों ही रेखाएं विपरीत दिशा में जाती हैं।
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