पटना उच्च न्यायालय द्वारा मंगलवार (24 जनवरी, 2023) को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर राज्य से अनुदान प्राप्त करने वाले मदरसों से संबंधित जनहित याचिकाओं की सुनवाई हुई। अब इस मामले में उच्च न्यायालय ने बिहार के कुल 2,459 मदरसों की जांच के आदेश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को आदेश जारी करते हुए 14 फरवरी तक रिपोर्ट देने को कहा है। अब मामले की अगली सुनवाई 14 फरवरी को की जाएगी। इसके साथ ही जांच पूरी होने तक हाईकोर्ट द्वारा 609 मदरसों के राज्य सरकार द्वारा अनुदान पर रोक लगा दी है।
वहीं बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने हलफनामे के जरिए बताया कि जिन 609 मदरसों को सरकारी अनुदान प्राप्त हो रहा था, उनकी जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। हालांकि तय समय पर जांच रिपोर्ट विभाग को नहीं भेजी गई। इसके बाद सभी जिलों के डीएम को पत्र लिखकर रिपोर्ट मांगी गई थी जिसमें सिर्फ सीतामढ़ी की रिपोर्ट प्राप्त हुई है। रिपोर्ट समय पर न मिलने पर उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को फटकार लगाकर 2,459 मदरसों की जांच के आदेश दिए हैं।
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ज्ञात हो कि बिहार के मदरसों में सरकारी अनुदान को लेकर लूट का आरोप लगाते हुए सीतामढ़ी के मो. अलाउद्दीन बिस्मिल द्वारा याचिका दायर की गई थी। मोहम्मद अलाउद्दीन बिस्मिल के वकील राशिद इजहार का कहना है कि फर्जी कागजों के दम पर मोटी रकम मदरसों को दी जा रही है। साथ ही उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि माध्यमिक शिक्षा के विशेष निदेशक मोहम्मद तस्नीमुर रहमान द्वारा दी गई रिपोर्ट में फर्जी कागजात पर जिले में करीब 88 मदरसों द्वारा सरकारी अनुदान लेने की बात सामने आई है।