कर्नाटक सरकार कमीशन की मांग की आरोपों से घिरी हुई नजर आ रही हैं। अब एक राज्य संचालित एजेंसी कर्नाटक राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम लिमिटेड के लिए काम करने वाले विक्रेताओं ने एक आईएएस अधिकारी पर लंबित चालानों में लगभग 300 करोड़ रुपए के भुगतान के लिए 10 से 12% की छूट मांगने का आरोप लगाया है। इन आरोपों के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जांच के आदेश दिए हैं।
हालांकि आईटी/बीटी मंत्री प्रियांक खड़गे को रिपोर्ट करने वाले कर्नाटक राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम लिमिटेड (केओनिक्स) ने आयोग के दावों का खंडन किया है। वहीं राज्य में विपक्षी पार्टी बीजेपी ने मामले में निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए मंत्री के इस्तीफे की मांग की है।
संवाददाताओं से बात करते हुए केओनिक्स वेंडर्स एसोसिएशन के प्रमुख वसंत बंगेरा ने बताया कि दो माह पहले कोई परेशानी नहीं थी। भुगतान में देरी हुई, लेकिन कोई अन्य समस्या नहीं थी। फिर नए प्रशासन के चुनाव के बाद एक भ्रष्ट अधिकारी जिसे पूर्व में निलंबित कर दिया गया था को फिर से केओनिक्स के प्रबंध निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा कि वहां एक माफिया है।
बंगेरा ने संवाददाताओं से कहा कि एमडी संगप्पा ने अपने खर्चों का हवाला देते हुए हमें कटौती का भुगतान करने के लिए कहा है। उन्हें अपनी पोस्टिंग के लिए एक बड़ी रकम का भुगतान करना पड़ा है। हम 5-6 फीसदी का मुनाफा कमाते हैं तो हम उन्हें कहां से कटौती दें?
वहीं शनिवार को भी व्यापारियों के एक समूह द्वारा संगप्पा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया था जो इन आरोपों का खंडन कर रहे हैं। हालांकि मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि अगर आरोपों में कोई सच्चाई है तो वह जांच कराएंगे।
दूसरी ओर मामले को लेकर कलबुर्गी में प्रियांक खड़गे ने कहा कि पिछले 2-3 सालों में केओनिक्स में कई धोखाधड़ी हुई हैं। ऑडिट आपत्तियों और हमारे निष्कर्षों के आधार पर, हमें 250 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का संदेह है।
उनका कहना है कि राज्य के इस खंड के कुछ विश्वविद्यालयों में 1,000 रुपये की कीमत वाले टेलीविजन सेट के लिए 10,000 रुपये का शुल्क लिया जाता था। वहीं इसमें सीसीटीवी की लागत 20 गुना अधिक प्रदर्शित की गई। इसके परिणामस्वरूप दिशानिर्देशों के अनुसार कोई भी भुगतान जारी करने से पहले तीसरे पक्ष की जांच की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि हम बस सरकारी प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं।
वहीं प्रियांक के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर भाजपा के मुख्य प्रवक्ता एमजी महेश ने कहा कि मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए उन्हें इस्तीफा देना चाहिए।
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