फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल्स डीलर्स असोसिएशन (FADA) ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए हाल ही में वाहन बिक्री के आँकड़े जारी किए। जारी किए गए आँकड़ों में दुपहिया, तिपहिया, भारी वाहन, कारों समेत ट्रैक्टर आदि की बिक्री के आंकड़े सम्मिलित हैं।
भारत का ऑटोमोबाइल बाजार, अमेरिका और चीन के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार है। बड़ा बाजार होने के अतिरिक्त, भारत ऑटोमोबाइल का बड़ा निर्माता भी है और इस क्षेत्र का देश की अर्थव्यवस्था और निर्माण क्षेत्र में बड़ा योगदान है।
इसका निर्माण क्षेत्र में लगभग 35% और कुल अर्थव्यवस्था में 7% का हिस्सा है। यह भारत में रोजगार का बड़ा स्रोत भी है। केंद्र सरकार के एक विभाग NSDC के अनुसार, वर्ष 2022 तक इस क्षेत्र द्वारा देश में 1.5 करोड़ लोगों को रोजगार मिलने की बात कही गई थी।
ऐसे में इसके संबंध में आने वाले आँकड़े देश की आर्थिक स्थिति की भी एक तस्वीर सामने रखते हैं। ग्रामीण बाजारों से लेकर शहरी बाजारों और कृषि क्षेत्र में तेजी-मंदी के बारे में एक अनुमान लगाने में सहायता करते हैं।
वित्त वर्ष 2022-23 के आँकड़े इसलिए भी अहम हैं क्योंकि पिछले दो वित्त वर्षों के बाद यह कोरोना महामारी के प्रभाव से मुक्त पहला वित्त वर्ष था।
ट्रैक्टर-बाइक की बिक्री में तेजी, ग्रामीण बाजार में तेजी के संकेत
ट्रैक्टर और दुपहिया वाहनों की बिक्री की दृष्टि से वित्त वर्ष 2023 अच्छा रहा है। सभी श्रेणी की कुल बिक्री में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 21% की वृद्धि हुई है।
दुपहिया वाहन(2W), जिनकी बिक्री भारत के ग्रामीण बाजार में अर्थव्यवस्था की तेजी का अनुमान देती है, 19% की दर से बढ़ी है। वित्त वर्ष 2022-23 में कुल 1.59 करोड़ दुपहिया वाहनों की बिक्री हुई है।
यह हमें बताता है कि ग्रामीण बाजारों में मांग लगातार बनी हुई है और कोरोना के बाद के प्रभाव से बाजार उबर चुके हैं। इन बाजारों में मांग का वापस आना यह भी बताता है कि देश में कृषि क्षेत्र भी तेजी पर रहा है क्योंकि इन बाजारों में अधिकाँश बिक्री फसल सीजन के बाद होती है।
ग्रामीण क्षेत्र से ही जुड़ा हुआ एक और आँकड़ा ट्रैक्टरों की बिक्री का है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान ट्रैक्टरों की रिकॉर्ड बिक्री हुई। वित्त वर्ष में 8.27 लाख ट्रैक्टरों की बिक्री हुई। वित्त वर्ष 2021-22 में यह संख्या 7.8 लाख थी।
ट्रैक्टरों की बिक्री के आँकड़े को वर्ष 2022 के रबी के बुवाई के आँकड़े से भी जोड़ कर देखा जा सकता है। केंद्र सरकार द्वारा दिसम्बर 2022 में जारी किए गए रबी सीजन के बुवाई आँकड़ों के अनुसार 2022 में पिछले सीजन की तुलना में 26 लाख हेक्टेयर अधिक बुआई हुई थी।
ऐसे में यह संभावना है कि यह ट्रैक्टरों की बिक्री के पीछे का एक बड़ा कारण बना है। इसके अतिरिक्त बैंकिंग क्षेत्र का सस्ते दरों पर कृषि उत्पादों के लिए लोन उपलब्ध कराना भी एक कारण है।
बैंकिंग सेक्टर पिछले तीन वित्त वर्षों में अपनी समस्याओं से उबरने में सफल रहा है। इसके कारण प्राथमिकता के लिहाज़ से कृषि क्षेत्र में क्रेडिट बढ़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उपज अच्छी रहने के कारण अर्थव्यवस्था में तेजी रही है।
कारों की बिक्री ने तोड़ा रिकॉर्ड, पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भी बढ़त के संकेत
वित्त वर्ष 2022-23 में सवारी गाड़ियों (Passenger Vehicle) की बिक्री ने रिकॉर्ड बनाया है। सवारी गाड़ी सेगमेंट में 36.2 लाख वाहनों की बिक्री हुई है। पिछले वर्ष की तुलना में इसमें 23% की वृद्धि दर्ज हुई है। इसने कोरोना के पहले का भी रिकॉर्ड तोड़ा है, वर्ष 2019 में देश में 32 लाख वाहनों की बिक्री हुई थी।
सवारी गाड़ियों की बिक्री बाजार में तेजी को समझने को एक महत्वपूर्ण जरिया हो सकती है। इन आँकड़ों से यह पता चलता है कि देश अब कोरोना महामरी के बुरे आर्थिक प्रभाव से उबर चुका है और नई मांग में लगातार वृद्धि आई है। लगातार बढ़ती मांग देश में निर्माण क्षेत्र की प्रगति को भी दर्शाती है।
सवारी गाड़ियों की बिक्री में बड़ा हिस्सा उन गाड़ियों का है जिनके लिए कार लोन लिए जाते हैं। ऐसे में यह भी पता चलता है कि पिछले लगभग 1 साल से ब्याज दरों में हलकी सी बढ़त आने के बाद भी कर्जे मिलना आसान रहा है।
पिछले वर्ष में सप्लाई चेन की समस्याओं के कारण गाड़ियों की बिक्री पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा था। ताजा आँकड़े को देखने से पता चलता है कि भारतीय कम्पनियों ने इस समस्या का भी हल ढूंढ लिया है।
इसके अतिरिक्त सबसे अधिक चौंकाने वाले आँकड़े तिपहिया वाहनों(3W) की बिक्री से सामने आए हैं। तिपहिया वाहनों की बिक्री में 84% की बढ़त देखी गई है। तिपहिया वाहनों की बिक्री 2022-23 में 7.6 लाख रही जो कि वर्ष 2021-22 में 4.17 लाख रही थी।
तिपहिया वाहनों की बिक्री एक से अधिक मायनों में अलग है। रिपोर्ट के अनुसार, कुल बिक्री में से 52% वाहन इलेक्ट्रिक थे। यह देश में बढ़ते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों के इन्फ्रास्ट्रक्चर को दर्शाता है।
इसके अतिरिक्त बिकने वाले वाहनों में से लगभग 85% वाहन सवारी ढोने वाले थे। इसका अर्थ यह है कि देश में कोरोना के कारण लगी बंदिशों के पूरी तरह खत्म होने के बाद अब आवाजाही में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
जिसके कारण इस क्षेत्र में भी मांग काफी तेज है। एक अन्य आयाम यह भी है कि रिक्शा अधिकांश किसी भी शहर के अंदर या आसपडोस के ग्रामीण क्षेत्र से आवाजाही के लिए उपयोग होते हैं।
ऐसे में इनकी बढ़ी हुई बिक्री यह बताती है कि देश में न केवल आवाजाही बढ़ी है बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार भी बढ़ा है।
देश में औद्योगिक क्षेत्र और माल की आवाजाही से बढ़ी भारी वाहन की बिक्री
छोटे वाहनों की बिक्री के अतिरिक्त देश में भारी मालवाहक वाहनों की बिक्री में भी बढ़त दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 2022-23 में देश में 9.39 लाख ऐसे वाहनों की बिक्री हुई जिनका उपयोग माल और सवारी ढोने मिएँ किया जाता है।
इनमें से 2.93 लाख भारी वाहन(Heavy Commercial Vehicles) थे। इसमें अधिकाँश संख्या ट्रकों की है। इनकी बिक्री में 48% का उछाल आया है। देश का लोजिस्टिक्स क्षेत्र अभी भी बड़े पैमाने पर रोड यातायात पर निर्भर है जिसमें ट्रकों के माध्यम से माल की आवाजाही होती है।
वर्तमान में देश के लगभग 70% माल को ढोने का काम ट्रक ही करते हैं ऐसे में इस क्षेत्र की बढ़त यह बताती है कि देश में उद्योग धंधों में तेजी है। माल के उत्पादन और उपभोग में बढ़त को इससे मापा जा सकता है।
औद्योगिक तेजी को हाल ही में सामने PMI के आँकड़ों के भी समझा जा सकता है। वर्ष 2022-23 के लिए औसत PMI आँकड़ों को सामने रखा जाए तो यह 55.5 के स्तर पर रहा है, जिसका अर्थ है कि देश में विनिर्माण क्षेत्र पूरे वित्त वर्ष में लगातार मजबूत बना रहा। ऐसे में भारी वाहनों की बिक्री पर भी इसका प्रभाव पड़ा है।
ऐसे में वाहन बिक्री के आँकड़े हमें यह बताते हैं कि देश के बाजार में मांग और आपूर्ति दोनों बनी हुई है। भारत की अर्थव्यवस्था का वैश्विक अस्थिरता के बीच अच्छा प्रदर्शन करना राहत की बात है।
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