वैसे तो G-20 के मूल में अर्थव्यव्स्था और आर्थिक सहयोग है पर भारत जैसे सभ्यतामूलक राष्ट्र के लिए G-20 मात्र अर्थव्यवस्था की बात नहीं हो सकती थी और यह दिखाई दिया कल यानी 10 सितंबर को समाप्त हुए G-20 के शिखर सम्मेलन में जिसमें एकत्र हुए वैश्विक नेताओं के समक्ष भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को अभूतपूर्व ढंग से प्रस्तुत किया गया।
सरकार की आयोजन समिति ने न केवल “भारत मंडपम” नामक एक सांस्कृतिक मंडप की स्थापना की बल्कि इतिहास, परंपराओं और सभ्यताओं की उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करने वाली विभिन्न भौतिक और डिजिटल कलाकृतियाँ, स्थापनाएँ और प्रदर्शन प्रस्तुत किए।
भारतवर्ष पाँच हज़ार वर्ष से भी अधिक पुरानी सांस्कृतिक विरासत के साथ दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है। प्राचीन मंदिरों से लेकर आधुनिक कला तक तथा शास्त्रीय नृत्य से लेकर बॉलीवुड तक, भारतीय संस्कृति विविध और जीवंत है। भारत मंडपम की कल्पना वैश्विक नेताओं को भारतीय संस्कृति के कुछ सबसे उल्लेखनीय प्रतीकों और पहलुओं से परिचित कराने के उद्देश्य से की गई थी। सावधानीपूर्वक तैयार किए गए प्रदर्शनों का उद्देश्य मेहमानों को भारत की सांस्कृतिक उत्कृष्टता का महत्व समझाना और अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के समक्ष एक तरह से देश की सॉफ्ट पावर का प्रदर्शन करना था जिसे बखूबी किया गया।
“वसुधैव कुटुंबकम: एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” थीम के साथ प्रदर्शनी का उद्देश्य वैश्विक सांस्कृतिक संबंधों का जश्न मनाना और आपसी समझ को बढ़ावा देना था। कुछ प्रमुख प्रदर्शनों में 28 फीट ऊंची कांस्य नटराज प्रतिमा, कोणार्क सूर्य मंदिर का एक छोटा मॉडल तथा महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम की प्रतिकृतियां शामिल हैं। अन्य कलाकृतियों में एक डिजीटल मोनालिसा, मैग्ना कार्टा कॉपी, ग्रांड कैन्यन के चित्र, बोल्शोई बैले की प्रस्तुति और बहुत कुछ थीं।
जहां भारत ने कोणार्क सूर्य मंदिर, ऋग्वेद, नटराज प्रतिमा, साबरमती आश्रम तथा पाणिनि की अष्टाध्यायी के अंश प्रदर्शित किए गए, वहीं एक डिजीटल मोनालिसा और मैग्ना कार्टा की प्रति अन्य संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करती दिखाई दी। फ्रांस ने मनुष्य के अधिकार, अमेरिका ने स्वतंत्रता की घोषणा और नीदरलैंड ने ग्रांड कैन्यन का प्रदर्शन किया। दक्षिण कोरिया, रूस, और तुर्की ने अमूर्त विरासत श्रेणी के माध्यम से चुनाव, नृत्य तथा तीरंदाजी प्रस्तुत की। दक्षिण अफ्रीका ने श्रीमती प्लेस की 25 लाख वर्ष पुरानी खोपड़ी साझा की। भारतीय कला रूपों और आधुनिक स्टार्टअप के प्रदर्शन ने समकालीन रचनात्मकता पर प्रकाश डाला गया।
भारत द्वारा प्रस्तुत नटराज की एक बड़ी मूर्ति भारत के नृत्य, संगीत तथा आध्यात्मिक परंपराओं के प्रतीक के रूप में है। कोणार्क सूर्य मंदिर मॉडल प्राचीन भारतीय वास्तुकला के शिखर के दर्शन हुए तो साबरमती आश्रम की प्रतिकृतियां गांधीजी के अहिंसा आंदोलन की याद दिला रही थी। 30,000 वर्ष से अधिक पुरानी भीमभेटका पेंटिंग, प्रागैतिहासिक कला में एक खिड़की थीं। ऋग्वेद पांडुलिपि के अंशों ने भारत की दार्शनिक विरासत को व्यक्त किया। अन्य प्रदर्शनियों ने भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रभावी ढंग से दर्शाया।
इस अनूठी ‘फिजिटल’ प्रदर्शनी ने वैश्विक नेताओं को अमूल्य कलाकृतियों के माध्यम से विविध सांस्कृतिक विरासत की झलक प्रदान की। शिखर सम्मेलन के बाद, इसे भविष्य के राष्ट्रपतियों के लिए डिजिटल रूप से संरक्षित किया जाएगा। संस्कृति गलियारे ने एक मानव परिवार के रूप में हमारे साझा इतिहास और परंपराओं की सराहना करने के लिए एक यादगार मंच बना दिया था जिसकी सराहना विश्व भर के राष्ट्राध्यक्षों ने की।