वाराणसी के जिला न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को काशी विश्वनाथ के साथ स्थित ज्ञानवापी ढाँचे के सर्वेक्षण की अनुमति दे दी है। न्यायालय के समक्ष यह याचिका 4 हिन्दू महिलाओं ने लगाई थी। ASI अब इस बात की जांच करेगा कि क्या वर्तमान ढाँचे को मंदिर के ऊपर निर्मित किया गया था।
इस मामले की सुनवाई 14 जुलाई को हुई थी, जिसके बाद अब इसमें निर्णय आया है। याचिका लगाने वाली महिलाओं ने कोर्ट से मांग की थी कि उन्हें पूरे वर्ष इस ढाँचे में पूजा करने की अनुमति दी जाए। जिला जज एके विश्वेश ने यह निर्णय सुनाया है कि सर्वेक्षण सुबह 8 बजे से 12 बजे के बीच होना चाहिए। हालाँकि, इस दौरान नमाज की गतिविधि चलती रहेगी।
मामले में हिन्दू पक्ष की तरफ से पेश होने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा है कि मुझे अब यह जानकारी मिली है कि मेरे आवेदन को स्वीकार करते हुए जिला न्यायालय ने विवादित क्षेत्र के भीतर सर्वेक्षण के आदेश दिए हैं। इसी मामले में हिन्दू पक्ष के दूसरे वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा है कि यह इस मामले में बड़ा बदलाव है।
हिन्दू पक्ष की महिलाओं द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया था कि ज्ञानवापी में एक स्वयंभू (स्वयं से प्रकट होने वाला) शिवलिंग मौजूद है जिसे बाद में मुग़ल आक्रान्ताओं ने नष्ट किया है। याचिका में कहा गया है कि वर्तमान स्थिति से पता लगता है कि यहाँ पर मंदिर था। इस याचिका में एडवोकेट आयुक्तों द्वारा ज्ञानवापी के सर्वे के दौरान शिवलिंग मिलने की भी बात की गई थी।
याचिका में यह भी कहा गया है कि पूरे परिसर की वैज्ञानिक ढंग से जांच की जानी चाहिए। गौरतलब है कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के अतिरिक्त काशी और मथुरा में हिन्दुओं के पवित्र स्थलों से तोड़फोड़ मुग़ल काल में हुई थी।
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