प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 अप्रैल को केरल की पहली वन्दे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई। यह देश की 15वीं वन्दे भारत एक्सप्रेस है। 8 माह में आरंभ की जाने वाली यह 13वीं वन्दे भारत एक्सप्रेस है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले 12 अप्रैल को राजस्थान को वन्दे भारत की सौगात दी थी। वन्दे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का मुख्य कार्य यात्रियों को एक प्रमुख शहर से दूसरे शहर तक कम समय में पहुँचाना है। वन्दे भारत एक्सप्रेस का मुख्य उद्देश्य वही है जो कभी शताब्दी के लिए माना गया था।
देश में चलने वाली सभी वन्दे भारत और शताब्दी ट्रेन 9 घंटे से कम का सफ़र करती हैं। देश की पहली वन्दे भारत एक्सप्रेस फरवरी 2019 में वाराणसी-नई दिल्ली के बीच चलाई गई थी।
वन्दे भारत एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस के विकल्प के तौर भी देखी जा रहीं हैं। आने वाले समय में शताब्दी एक्सप्रेस के तहत चलने वाली गाड़ियों को वन्दे भारत से बदले जाने की भी योजना है। सरकार का लक्ष्य है कि देश में जल्द से जल्द 75 वन्दे भारत एक्सप्रेस चलाई जाएं।
प्रश्न उठता है कि यदि वर्तमान सरकार मात्र 4 वर्षों के भीतर 15 वन्दे भारत चला सकती है, जिसमें से 13 वन्दे भारत मात्र 8 महीनों में चलाई गई हैं तो फिर वर्ष 1988 में चालू की गई शताब्दी ट्रेनों की संख्या 2017 तक 29 वर्षों में मात्र 21 ही क्यों पहुँच सकी?
1988 के बाद लम्बे समय तक देश के प्रमुख शहरों को कम से कम 1-1 शताब्दी एक्सप्रेस क्यों नहीं दी जा सकी?
शताब्दी एक्सप्रेस को वर्ष 1988 में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में चलाया गया था। चेयरकार वाली ये ट्रेने भी तेज गति से एक प्रमुख शहर को दूसरे प्रमुख शहर से जोड़ने के लिए चलाई गईं थी।
पहली शताब्दी भोपाल से नई दिल्ली के बीच चलाई गई थी, जबकि आखिरी शताब्दी एक्सप्रेस वर्ष 2017 में गुवाहाटी से अरुणाचल प्रदेश के नाहर लागुन के बीच चलाई गई थी।
दशकों तक देश को तेज गति से यात्रा का एक जरिया देने में पिछली सरकारें क्यों विफल रही?
इसके पीछे शायद लालफीताशाही, रेलवे के ट्रैक मेंटेनेस में कम खर्च, रेलगाड़ियों को बड़े स्तर पर न बनाकर उनकी कीमत कम न कर पाना और लम्बी दूरी की ट्रेनों पर अधिक फोकस करने जैसे कारण शामिल हो सकते हैं।
नई वन्दे भारत एक्सप्रेस शताब्दी से तेज भी हैं और बहुत बड़े स्तर पर रेलवे में शामिल हो रहीं हैं। वन्दे भारत एक्सप्रेस की औसत गति 83 किलोमीटर प्रति घंटा है, 14 वन्दे भारत ट्रेनों में से 3 वन्दे भारत 90-96 किलोमीटर/घंटा, 5 ट्रेनें 81-85 किलोमीटर/घंटा और बाकी ट्रेनें भी काफी तेज रफ़्तार से चलती हैं।
नई वन्दे भारत एक्सप्रेस 180 किलोमीटर/घंटा की रफ़्तार से चलने में सक्षम हैं। यहाँ यह बात ध्यान देने वाली है कि इन गाड़ियों की औसत गति में इनके रुकने का समय, दुर्गम एवं वन क्षेत्रों में धीमे चलने के कारण लगा समय भी शामिल होता है।
इसके उलट अगर शताब्दी ट्रेनों को देखा जाए तो अधिकाँश शताब्दी ट्रेने 60-70 किलोमीटर/घंटा की औसत रफ़्तार से चलती हैं। एक-दो शताब्दी एक्सप्रेस ही 80 किलोमीटर प्रति घंटा से ऊपर की औसत गति प्राप्त कर पाई हैं।
नई वन्दे भारत एक्सप्रेस के कम समय में लगातार नए रूट्स पर चलने के पीछे कई वजह हैं। इसके निर्माण से लेकर नए रूट पर चलाने तक सरकार ने कई अहम् निर्णय लिए हैं।
निर्माण के लिए बड़ी संख्या निर्धारित की गई है जिससे कीमत में कमी और लक्ष्य के स्पष्ट होने का फायदा मिला है। इसके अतिरिक्त जिन रूट पर यह रेलगाड़ी चलाई जा रही हैं उन पर लगातर सिग्नल और ट्रैक सुधारे जा रहे हैं जिससे इनकी औसत गति बढाई जा सके।
जहाँ शताब्दी एक्सप्रेस की संख्या 21 पर ही सीमित हो कर रह गई, वहीं वन्दे भारत के लिए सरकार के पास बड़ी योजनाएं हैं। हाल ही में 200 नई वन्दे भारत गाड़ियों के लिए भी आर्डर दे दिए गए हैं।
इनमें मात्र चेयरकार वाली वन्दे भारत ही नहीं बल्कि स्लीपर वन्दे भारत भी होंगी। इनके निर्माण के लिए सरकारी के साथ निजी क्षेत्र की भी सहायता ली गई है।
नई रेलगाड़ी चलाने के मामले में वर्तमान सरकार वन्दे भारत के अतिरिक्त तेजस एक्सप्रेस भी चलाई गईं हैं। वर्तमान में देश के अंदर 5 तेजस एक्सप्रेस चल रही हैं, इसमें 2 निजी ऑपरेटर IRCTC द्वारा चलाई जाती हैं।
वन्दे भारत एक्सप्रेस को प्रधानमन्त्री ने वर्तमान में मिशन के तौर पर लिया है। इसके लिए तेजी से कार्य आगे बढ़ रहा है और आने वाले वर्षों में अधिकाँश बड़े शहर और राज्य वन्दे भारत से जुड़ चुके होंगे।
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