आत्मनिर्भर भारत की जब कल्पना की गई थी तो उसमें कई प्रकार के संदेह थे। देश को लंबा सफर तय करना था और आशंका थी कि विदेशी हाथ थामे बिना देश किस प्रकार उन्नत प्रोद्यौगिकी, मशीनरी एवं स्वास्थ्य सेवाओं में स्वदेशीकरण ला पाएगा। योजनागत नीतियां एवं दृढ़ता ऐसे कठिन कार्यों को भी संभव बना देती हैं। जाहिर है कुछ वर्ष पहले देश ने नहीं सोचा था कि स्वदेशी वैक्सीन एक महामारी से दुनिया की रक्षा करेगी। साथ ही स्वदेशी उत्पाद और तकनीकों को लेकर अन्य देश भारत की ओर देखेंगे। यह सब संभव हुआ मोदी सरकार के विजन और राष्ट्र प्रथम की नीति से। यूपीआई तकनीक की बात करें या वंदे भारत ट्रेन की आज विदेशी संगठन भारत की ओर देख रहे हैं।
वंदे भारत का स्वप्न देश को ऐसी ट्रेन उपलब्ध करवाने का था जो दुनिया में सबसे अधिक किफायत के साथ बेहतरीन हो। साथ ही इसका मेड-इन-इंडिया होना भी आवश्यक था।
किसी समय कोरी कल्पना लगने वाली यह बात देश के कौशल ने साकार की और आज 14 रूट्स पर वंदे भारत देश का गौरव बढ़ा रही है। इसका तकनीकी कौशल 18 देशों में अध्ययन का विषय हैं जो इस तकनीक को अपनाना चाहते हैं। इसमें विशेष रूप से स्थिरता, शोर और गति का ध्यान रखा गया है। देश की सबसे तेज गति से चलने वाली पूर्णतया भारतीय ट्रेन भी है। यह आत्मनिर्भर भारत का बेहतरीन उदाहरण है।
कई कारणों से वंदे भारत विशेष है। यह मेड-इन-इंडिया है, देश के युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवा रही है और आर्थिक विकास में मजबूती के साथ योगदान दे रही है। इसका एक और पहलू है, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विकास।
मोदी सरकार द्वारा JAM जैसी योजनाओं का संचालन किया गया है जिसने समाज की दिशा बदलने का काम किया। इसके साथ ही सरकार की अन्य योजनाएं भी बहुमुखी रही हैं। वंदे भारत भी प्रधानमंत्री मोदी के उस विजन का हिस्सा है जो आधुनिकता एवं सांस्कृतिक क्षेत्र के संयुक्त योग के जरिए देश का विकास सुनिश्चित कर रही है।
संपूर्ण भारत को संस्कृति के धागे में पिरोने का कार्य वर्तमान सरकार की तमाम प्राथमिकताओं में से एक है। सांस्कृतिक एकता का पुनर्जागरण की योजना पर काम करना आसान नहीं होता पर वर्तमान इस विषय को लेकर जोखिम लेने के लिये कटिबद्ध दिखाई दी है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी तकनीक और विज्ञान को अपनी योजनाओं का हिस्सा बनाते हैं पर इसके साथ ही मंदिरों का विकास, लोककलाओं को बढ़ावा देना, योग, आयुर्वेद जैसे क्षेत्रों को उन्नत कर हजारों वर्षों की विरासत का पुनरुत्थान भी किया जा रहा है। विकास कार्यों के तहत समावेशी योजनाओं का रेखांकन इस तरह किया गया है कि वे आर्थिक के साथ सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था एवं विकास को भी बढ़ावा दें। वंदे भारत के जरिए यह प्रयास साकार होता नजर आता है।
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वंदे भारत के अभी तक के तेरह रूट्स में से कम से कम 5 रूट आध्यात्मिक शहरों से कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए शुरू किए गए हैं। नई दिल्ली से वाराणसी (काशी), नई दिल्ली से कटरा (माता वैष्णो देवी), मुंबई से शिरडी, सिकंदराबाद (हैदराबाद) से तिरुपति एवं नई दिल्ली से पुष्कर (अजमेर)। ट्रेन के इन रूट्स पर नजर डालें तो यह मात्र धार्मिक स्थल पहुँचने का रास्ता नहीं है बल्कि आधुनिक जीवनशैली से जुड़े शहरों को सीधा अध्यात्म की ओर ले जाने का मार्ग भी प्रशस्त कर रहे हैं।
अध्यात्म को आधुनिकता के साथ विकसित करने के इस क्रम में अन्य वंदे भारत ट्रेन भी हैं जो सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने का काम करेगी। नई दिल्ली से उना (हिमाचल प्रदेश) तक चलने वाली वंदे भारत इसी का हिस्सा है। प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि इस वंदे भारत से प्रदेश में लोगों को हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक एवं आध्यात्मिक संपदा देखने का मौका मिलेगा।
मुंबई-सोलापुर वंदे भारत रूट हो या सिकंदराबाद-तिरुपति से भाग्यलक्ष्मी मंदिर से वेंकटेश्वर मंदिर को जोड़ने का प्रयास प्रधानमंत्री मोदी का अपना तरीका है योजनाओं में आधुनिकता एवं आध्यात्म के मिश्रण का। टेक्नोलॉजी और टूरिज्म को जोड़ना उनकी कार्यशैली की विशेषता रही है। रामायण एक्सप्रेस, भारत गौरव एक्सप्रेस उन योजनाओं का हिस्सा है, जिसके जरिए रेल क्षेत्र में विकास और सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जा रहा है।
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वंदे भारत मेड-इन-इंडिया की दिशा में वो प्रयास है जो देश के युवा कौशल में नवाचार करने का जोश पैदा कर रही है। वहीं सामान्य जनमानस के लिए यह उनके धार्मिक क्रियाओं को संपन्न करने का साधन भी बन रही है। यही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की विरासत भी है। जब बात आध्यात्म और देश की विरासत को आधुनिकता से जोड़ने की हो तो सरकार की अन्य योजनाएं भी पीछे नहीं है। विदेश मंत्री कूटनीति के लिए महाभारत एवं रामायण जैसे महाकाव्यों का उदाहरण देते हैं तो योग एवं आयुर्वेद को ग्लोबल करना भी देश के आध्यात्म को वैश्विक मंच पर रखने का ही हिस्सा था। नई शिक्षा नीति की बात हो या विज्ञान क्षेत्र की, मोदी सरकार के अधिकतर विभागों में आधुनिकता एवं अध्यात्म का संगम दिखाई देता है।
दुनिया आपकी विरासत का किस तरह आकलन करेगी यह तो भविष्य पर छोड़ देना चाहिए। जो तय किया जा सकता है वो यह है कि वर्तमान में आप निर्माणकर्ता होंगे या मात्र दर्शक। प्रधानमंत्री मोदी अपनी विरासत ऐसी ही निर्माणकर्ता की भूमिका में तैयार कर रहे हैं। देश हमेशा से सांस्कृतिक रूप से उन्नत था पर इसे अर्थव्यवस्था एवं विकास की मुख्यधारा से जोड़ कर प्रधानमंत्री मोदी ने देश को एक विजन दिया है कि देश अपनी स्वदेशी विरासत को अपना कर भी विकसित राष्ट्र का स्वपन साकार कर सकता है। वंदे भारत एक्सप्रेस इसका बेहतरीन उदाहरण है।