भारत के बढ़ते फार्मा उद्योग को लगातार निशाने पर लिया जा रहा है। अब एक ताजा मामला उज्बेकिस्तान का है, मध्य-एशियाई देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 28 दिसम्बर को एक बयान जारी कर ‘भारत में निर्मित’ कफ सिरप के विषाक्त होने की बात कही और बताया कि सिरप के ओवरडोज की वजह से उसके देश में 18 बच्चों की मृत्यु हुई है।
गत अक्टूबर माह में गाम्बिया में बच्चों की मौत भारत में निर्मित सिरप पर भी कुछ ऐसा ही आरोप लगाया गया था। हालाँकि, बाद में भारत सरकार ने कम्पनी को क्लीन चिट दे दी थी। गाम्बिया के स्वास्थ्य विभाग ने भी भारत में निर्मित सिरप को बच्चों की मौत का दोषी मानने से इंकार किया था। इस मामले पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी सवालों के घेरे में है।
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गाम्बिया मामले में बिना जांच के ही हरियाणा के सोनीपत में मेडन फार्मा द्वारा निर्मित सिरप को दोषी बता दिया गया था। ‘द पैम्फलेट’ ने दिल्ली स्थित गाम्बिया दूतावास से बात करके और अन्य रिपोर्ट का अध्ययन करके बताया था कि अभी मामला अपने नतीजे तक नहीं पहुंचा है और सिरप के विषाक्त पाए जाने और बच्चों की मौत में आपस में कोई सम्बन्ध अभी तक स्थापित नहीं किया जा सका है।
क्या कहा उज्बेकिस्तान ने?
उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 28 दिसम्बर को जारी किए गए एक बयान में भारत में बनी और उज्बेकिस्तान को निर्यात की गई एक सिरप ‘डॉक 1 मैक्स’ (Dok 1 Max Syrup) के सेवन के कारण 18 बच्चों की मृत्यु हुई है। सिरप की निर्माता मैरीऑन बायोटेक (Marion Biotech) है जो कि राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा में स्थित है।
उज़्बेकिस्तान में बच्चों की मौत की असली वजह
उज्बेकिस्तान द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि उसके देश में सिरप लेने वाले 21 बच्चे बीमार पड़े, जिनमें से 18 बच्चों की मृत्यु हो गई है। उज़्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी बताया कि इन बच्चों ने इस सिरप को अधिक मात्रा में बिना डॉक्टर की सलाह के लिया था।
मंत्रालय ने बताया कि इस सिरप को दिन में 1 से 2 बार ही 100 से 125 मिलीग्राम मात्रा में लिया जाना चाहिए, जबकि इन बच्चों ने इससे कहीं अधिक मात्रा और ज्यादा बार इस सिरप का उपयोग किया।
अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार, उज़्बेकिस्तान में हुई बच्चों की मौत का कारण ‘भारतीय दवा कंपनी’ नहीं बल्कि बिना डॉक्टर की सलाह के दवा का इस्तेमाल करना है, जबकि किसी भी मीडिया चैनल की हेडिंग में आप यह बात नहीं देखेंगे।
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स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा कि सिरप की जांच करने पर यह पाया गया कि सिरप में एथलीन ग्लाइकोल नाम का रसायन मात्रा से अधिक पाया गया है। आगे मामले की जांच की जा रही है। मामले की आगे कार्रवाई के लिए इसे देश की कानून एजेंसियों को दे दिया गया है।
भारत ने मांगी जानकारी
भारत की दवा नियामक संस्था CDSCO ने इस मामले पर उज्बेकिस्तान से जानकारी मांगी है। CDSCO ने मामले की जांच करने को भी कहा है। इसके अतिरिक्त दवा नियामक एजेंसियों ने मेरीऑन बायोटेक कम्पनी की निर्माण इकाई की भी पड़ताल की है और नमूने इकट्ठे किए हैं।
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इससे पहले गाम्बिया वाले प्रकरण पर जांच में कम्पनी मेडन को क्लीन चिट दी थी। मामले पर राज्यसभा में देश के रसायन राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने एक बयान में बताया था कि मेडन कम्पनी की निर्माण इकाई से लिए गए नमूने सही पाए गए हैं।
उज़्बेकिस्तान मामले पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने क्या कहा
अब इस पूरे प्रकरण पर भारत के विदेश मंत्रालय का भी बयान सामने आया है, साप्ताहिक प्रेस वार्ता में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने उज़्बेकिस्तान मामले पर कहा है, “हमने इस विषय में 18 बच्चों की मौत के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स को भी देखा है। यह पिछले दो महीनों में हुई हैं। उज्बेकिस्तान की संस्थाएं बच्चों की मौत और उसके सिरप से सम्बन्ध के बारे में जाँच कर रही हैं। हमने उनके स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज़ को भी देखा है।”
प्रेस वार्ता में विदेश मंत्रालय ने कहा, “उज्बेकिस्तान की सरकार ने हमारे साथ आधिकारिक रूप से इस मामले को नहीं उठाया है। हमारे उज्बेकिस्तान में स्थित दूतावास ने उज्बेक एजेंसियों से घटना के विषय में जानकारी मांगी है। हम हमें यह जानकारी भी मिली है कि मामले में कानूनी कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। कुछ व्यक्तियों को गिरफ्तार भी किया गया है जिसमें दवा कम्पनी के स्थानीय प्रतिनिधि भी शामिल हैं। इस संदर्भ में हम उन्हें राजनयिक सहायता भी पहुचाएगें। मुझे यह भी जानकारी मिली है कि उज्बेक और भारतीय दवा नियामक आपस में संपर्क में हैं। नोएडा स्थित कम्पनी की निर्माणी का भी मुआयना किया गया है और मामले में जाँच जारी है।”
भारत ने इस सम्बन्ध में जो जानकारी WHO से मांगी वह नहीं दी गई, ऐसे में WHO भी सवालों के घेरे में है। ‘द पैम्फलेट’ द्वारा गाम्बिया में बच्चों की मृत्यु और उनके सिरप से सम्बन्ध के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब भी WHO ने नहीं दिया।
इस बीच यह भी खबर आ रही है कि उज्बेकिस्तान ने इस कम्पनी के स्थानीय प्रतिनिधि को गिरफ्तार कर लिया है।
मामले पर शुरू हुई राजनीति
अभी उज्बेकिस्तान के मामले पर जांच जारी है। किन्तु इस बीच इस मामले पर राजनीति चालू हो गई है। कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस खबर के बहाने भारत के फार्मा उद्योग पर निशाना साधा है।
कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि पहले गाम्बिया में 70 बच्चों की मौत और अब उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत हो गई है। मोदी सरकार को भारत को दुनिया का दवाईखाना कहना बंद करना चाहिए और दुनिया को भारत के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
हालाँकि, जयराम रमेश का ट्वीट सच्चाई से परे है। गाम्बिया विवाद में अब साफ़ हो चुका है कि भारत निर्मित सिरप बच्चों की मौत का कारण नहीं थी। ऐसे में लगातार भारत की बढ़ते फार्मा उद्योग की छवि बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
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