उत्तराखण्ड के जोशीमठ से ज़मीन और पहाड़ों की धँसने की खबरें सामने हैं। तक़रीबन 500 से ज्यादा घरों में दरार आ चुकी है। वहीं गत बृहस्पतिवार सुबह से प्रशासन के मुख्य अधिकारी और राज्य आपदा प्रबंधन की टीम जोशीमठ के प्रभावित इलाकों मे डोर-टू-डोर निरीक्षण कर रहे हैं।
गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार व आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार ने भी विभिन्न घरों मे सर्वेक्षण किया। भू-धंसाव के मद्देनज़र गढ़वाल आयुक्त आईएएस सुशील कुमार ने जोशीमठ पर अब राष्ट्रीय स्तर की सुरक्षा के दिशा-निर्देश दिए हैं।
गढ़वाल कमिशनर सुशील कुमार के माध्यम से शुक्रवार दोपहर को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के कमांडेंट को एक पत्राचार जारी किया गया है, जिसमें एनडीआरएफ के दल की शीघ्र अति शीघ्र तैनाती की माँग की गई है। चमोली जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने पत्र में जोशीमठ शहर के भीषण भू-धंसाव की जानकारी दी है। स्थानीय लोगों की सुरक्षा हेतु एनडीआरएफ की तैनाती का आग्रह किया गया है।
यूं तो वर्तमान में जोशीमठ के 38 परिवार सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित किए जा चुके हैं परंतु अनिश्चितता की स्थिति अभी भी बनी हुई है। भीषण आपदा का भय अभी भी बना हुआ है। इसी के चलते एनडीआरएफ के दल, राहत बचाव कार्य से लेकर स्थानीय लोगों के स्थानांतरण हेतु माँग उठी थी।
चमोली जिलाधिकारी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, चमोली पुलिस व उत्तराखण्ड सूचना प्रसारण विभाग को भी टैग किया है। जिलाधिकारी चमोली ने एक अन्य आदेश भी जारी किया है, जिसके तहत नियमित भू-धंसाव से ग्रसित हो रहे निवास स्थान, होटलों एवं अन्य संरचनाओं के मूल्यांकनों की तकनीकी जांच के लिए पीआईयू डिविजन के तकनीकी कर्मचारियों को अग्रिम आदेशों तक सहायता हेतु नियुक्त कर दिया गया है। वर्तमान में पीआईयू की टीम बद्रीनाथ धाम के मास्टर प्लान का तकनीकी आकलन कर रही है।
इसी बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भू-धंसाव के संदर्भ में शुक्रवार सुबह एक उच्च स्तरीय बैठक की जिसमें प्रभावी परिवारों के पुनर्वास से लेकर जोशीमठ के पुनरोद्धार की योजनाओं पर बड़े निर्णय लिए गए। अब मुख्यमंत्री धामी शनिवार को ग्राउन्ड ज़ीरो पर जाकर वर्तमान स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं।
बहरहाल, जोशीमठ में भयावह स्थिति का कारण, लगातार हो रहे निर्माण कार्यों,जमीनी खतरों पर शोधकर्ताओं की अनदेखी व पर्यटकों की लापरवाही को बताया जा रहा है।