देवभूमि उत्तराखंड में अवैध कब्जों के ख़िलाफ़ सरकार के अभियान में वन भूमि की ‘सफ़ाई’ का काम प्रगति पर है। धामी सरकार के इस अतिक्रमण मुक्त अभियान में अभी तक 1000 हेक्टेयर वन भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त करवा लिया गया है। इसके अलावा 463 अवैध मजारें ‘समतल’ कर दी गई हैं।
हालांकि अभी भी 9000 हेक्टेयर वन भूमि पर अवैध कब्जा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक एक-एक इंच सरकारी जमीन को खाली नहीं करवा लिया जाता।
गौरतलब है कि वर्तमान में उत्तराखंड स्थित नैनीताल में भी शत्रु संपत्ति, बारापथर के जंगल से घोड़ा बस्ती को भी कब्जा मुक्त करवा लिया गया है। इससे पहले धामी सरकार का बुल्डोजर, पछुवा देहरादून में ढकरानी इलाके में चला था। जहां यूजेवीएनएल की जमीन को 500 से ज्यादा पक्के मकान तोड़कर कब्जा मुक्त करवाया गया था।
अतिक्रमण बनाम न्यायालय
उत्तराखंड सरकार ऋषिकेश में आईडीपीएल की जमीन कब्जा मुक्त करवा रही थी, लेकिन यहाँ हाईकोर्ट द्वारा स्टे मिल गया। 23 जुलाई से जब प्रशासन की टीम ने आईडीपीएल के आवासीय भवनों को तोड़ना शुरू किया तो इसके विरोध में आईडीपीएल वासियों ने हरिद्वार राजमार्ग पर जाम भी लगाया था। कुछ लोगों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी।
अतिक्रमण हटाने के अलावा, मुख्यमंत्री धामी ने घोषणा की थी कि राज्य सरकार राज्य में जमीन खरीदने के इच्छुक लोगों की पृष्ठभूमि की जांच करेगी। ‘अभी तक राज्य में जमीनें बिना किसी जांच के खरीदी जा रही थीं। अब खरीदारों की पृष्ठभूमि की जांच के बाद ही इसकी अनुमति दी जाएगी ताकि पता चल सके कि वे राज्य में जमीन क्यों खरीदना चाहते हैं, वे राज्य में क्यों आना चाहते हैं और यहां क्यों रहना चाहते हैं।
‘अतिक्रमण हटाओ अभियान’ के नोडल अधिकारी डॉ. पराग मधुकर धकाते बताते हैं, कि सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर अभियान जारी है, अभी तक 1000 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि अतिक्रमण मुक्त हो चुकी है। यहां से 463 अवैध मजारें और 45 मजहबी स्थल भी हटाए गए हैं।”
डॉ. धकाते को 19 अप्रैल को वन भूमि पर, विशेषकर धार्मिक और अन्य गतिविधियों की आड़ में अवैध अतिक्रमणों की पहचान करने और उन्हें हटाने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया था।
धकाते ने बताया कि इन दिनों वृक्षारोपण अभियान चल रहा है। पौधारोपण लक्ष्य पूरा होते ही ये अभियान फिर तेजी पकड़ेगा। धकाते ने बताया कि हल्द्वानी गौलापार बागजला क्षेत्र में भी अतिक्रमण चिन्हित किया गया है। उसके अलावा आमपोखरा वन रेंज में भी अतिक्रमण चिन्हित किया गया है। उन्होंने कहा कि नदी क्षेत्र में भी अतिक्रमण है, बेहतर यही है कि अवैध रूप से बसे लोग खुद खाली कर दें अन्यथा नुकसान उन्हीं का हो जाना है।
उन्होंने बताया कि वन विभाग के अलावा अन्य विभाग भी सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटा रहे हैं जिनमें पीडब्ल्यूडी शहरी विकास और राजस्व विभाग शामिल है।
धकाते ने कहा कि उत्तराखंड कैबिनेट ने अतिक्रमण रोकने के लिए एक अधिनियम अध्यादेश लाने को मंजूरी दे दी है। उम्मीद है, अगले विधानसभा सत्र में इसे मंजूरी मिल जाएगी, इसमें अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ सीधे आईपीसी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया जाएगा और इसमें दस साल तक की सजा का प्रावधान किया जाना प्रस्तावित है।
उत्तराखंड: ‘फूड ब्लॉगर’ हरीश रावत के शासन में घूस दे कर चुने गए 20 दरोगा निलंबित