उत्तर प्रदेश की योगी सरकार न केवल प्रदेश की छवि सुधारने में लगी हुई है बल्कि पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश की छवि में आए सुधार के बारे में लोगों को बताने के लिए लगातार प्रयास भी कर रही है। प्रदेश में उद्योग धंधे लगाने और नया निवेश जुटाने के उद्देश्य से सरकार एक बार फिर से ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का आयोजन करने जा रही है।
यह आयोजन फरवरी 2023 में होना है। इससे पहले निवेशकों को प्रदेश की तैयारियों के बारे में बताने के लिए योगी सरकार ने अफसरों और मंत्रियों की विदेशों में भेजी है।
योगी सरकार अब तक तीन निवेशक समिट करा चुकी है। तीनों समिट में भारत के कई बड़े उद्योगपतियों ने निवेश करने की हामी भरी थी। पिछली निवेशक समिट जून 2022 में ही हुई थी। सरकार का दावा है कि प्रदेश में अपराध पर नियंत्रण लगाकर उन्होंने उद्योगों के लायक माहौल तैयार किया है।
आगामी निवेशक समिट के लिए सरकार ने मेक्सिको, कनाडा, दुबई, जापान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका समेत 20 देशों में रोड शो का आयोजन करने का फैसला लिया है। जिनमें से कई रोड शो सफलतापूर्ण आयोजित किये जा चुके हैं।
दुनिया का चक्कर लगा रहे उत्तर प्रदेश के मंत्री-अफसर
इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक की अगुवाई वाला दल मेक्सिको और विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना वाला दल कनाडा के दौरे कर के आया है। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार कनाडा की कम्पनी ने कानपुर में 2000 करोड़ की लागत से एक मल्टी स्पेशियालटी अस्पताल बनाने के लिए निवेश करने के लिए MOU पर हस्ताक्षर किए हैं।
वहीं कनाडा के लिए गए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अगुवाई वाले दूसरे दल ने भी बरार कम्पनी के साथ प्रदेश में निवेश को लेकर बातचीत की।
इसके अतिरिक्त एक दल उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना की अगुवाई में लंदन पहुँचा है। लन्दन गए हुए दल ने भी कई वित्तीय संस्थाओं से बातचीत की। आने वाले दिनों में सरकार बेल्जियम, स्वीडन, साउथ अफ्रीका एवं ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य कई देशों में निवेश के लिए रोड शो आयोजित करके निवेश जुटाने में जुटी है।
इससे पहले हुई समिट से हुआ है फायदा
इससे पहले वर्ष 2018 में प्रदेश सरकार ने बड़े स्तर पर समिट का आयोजन किया था जिसका उद्घाटन प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने किया था।
उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि इस समिट ने 4.68 लाख करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित किया गया था। इस वर्ष के लिए सरकार का दावा है कि वह 10 लाख करोड़ रूपए के निवेश आकर्षित करेगी। इसके लिए सरकार ने विदेशों के अतिरिक्त देश के प्रमुख शहरों दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद समेत 7 शहरों में रोड शो आयोजित करने की योजना बनाई है।
सरकार का उद्देश्य है कि वह प्रदेश में निवेश लाने के साथ ही बड़े पैमाने पर रोजगार भी पैदा कर सकेगी। ऐसे में उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में बड़े पैमाने पर होने वाले पलायन को भी रोका जा सकेगा। सरकार ने रक्षा उत्पादन के लिए प्रदेश में एक्सप्रेसवे के साथ ही डिफेन्स कॉरिडोर भी बनाया है। इस कॉरिडोर में अब तक 12,000 करोड़ रूपए के निवेश भी हो चुके हैं।
1 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने की है योजना
2018 की निवेशक समिट के दौरान प्रधानमन्त्री मोदी ने कहा था कि वे यह देखना चाहेंगे कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में से कौन सा प्रदेश पहले 1 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनता है। ऐसे में सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश को अगले पांच साल में 1 ट्रिलियन (80 लाख करोड़) की अर्थव्यवस्था बनाया जाए।
वर्तमान में उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 21.7 लाख करोड़ है। आने वाले समय में इसे चार गुना करने के लिए सरकार का बड़ा ध्यान प्रदेश के रोड इन्फ्रा को संवारने पर है। आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस वे की संख्या 13 हो जाएगी जिनकी लम्बाई 3200 किलोमीटर होगी। ऐसे में उत्तर प्रदेश के पास देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेस वे नेटवर्क होगा।