उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश कर दिया है। इस बार का बजट 6.9 लाख करोड़ का है। बजट की मुख्य प्राथमिकताओं में इस बार इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्वास्थ्य रखा गया है। राज्य सरकार ने वर्तमान में चल रहे इन्फ्रा प्रोजेक्ट समेत कई नए प्रोजेक्ट के लिए बड़ी धनराशि आवंटित की है।
सरकार का सबसे बड़ा ध्यान इस समय उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने और प्रदेश को एक बिजनेस हब बनाने की ओर है। बजट को प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने पेश किया। इस बार का बजट वर्ष 2022-23 के बजट से लगभग 10% बड़ा है और यह उत्तर प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा बजट है।
6.9 लाख करोड़ के बजट में इस बार 1.87 लाख करोड़ रुपए कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए आवंटित किए हैं। पिछले वर्ष यह धनराशि लगभग 91 हजार करोड़ रुपए थी, यानी इस बार के बजट में इसमें लगभग 100% की वृद्धि की गई है।
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वहीं, सरकार ने लगभग 21 हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रदेश में रोड और ब्रिज बनाने के लिए की है। राज्य सरकार ने चित्रकूट धाम लिंक एक्सप्रेस-वे और झांसी लिंक एक्सप्रेस-वे बनाने की भी घोषणा की है। इससे ये दोनों नगर मुख्य एक्सप्रेस-वे से जुड़ सकेंगे।
इसके अतिरिक्त, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे बनाने की योजना पर काम होगा जिसके दोनों और इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनेगा। प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर के लिए भी 550 करोड़ की व्यवस्था की गई है। इन्फ्रास्ट्रक्चर पर और जोर देते हुए जेवर में बन रहे अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर रन-वे की संख्या को 2 से बढ़ा कर 5 कर दिया गया है।
एयरपोर्ट की संख्या और बढ़ाने के लिए सरकार ने श्रावस्ती, मुरादाबाद, अलीगढ़ जैसे शहरों में भी एयरपोर्ट के विकास में तेजी लाने की बात कही है। आने वाले समय में प्रदेश में एयरपोर्ट की संख्या 16 हो जाएगी।
बजट में युवाओं पर ख़ास ध्यान दिया गया है। कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को टैबलेट और मोबाइल फोन उपलब्ध कराने के लिए 3,600 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।
गौरतलब है कि सरकार प्रदेश के 2 करोड़ युवाओं को टैबलेट और मोबाईल फोन वितिरित करने की योजना पर काम कर रही है। वहीं दिल्ली से मेरठ के बीच निर्माणाधीन RRTS के लिए सरकार ने 1300 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है।
कानपुर और आगरा मेट्रो के लिए भी 550 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है। गोरखपुर, वाराणसी जैसे शहरों में मेट्रो परियोजना के लिए भी 100 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।
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इन्फ्रा क्षेत्र में खर्च की बढ़ोतरी के पीछे का कारण राज्य सरकार की वह सोच है जिसके अंतर्गत वह चाहती है कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर बाहरी निवेश आए। फरवरी माह में ही उत्तर प्रदेश में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया गया था जिसमें लगभग 32 लाख करोड़ रुपए के निवेश के एमओयू साइन किए गए थे।
प्रदेश सरकार का मानना है कि राज्य में निवेश आकर्षित करने के लिए मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें अपग्रेड करना भी आवश्यक है। यही कारण है कि इस बजट में भी बड़े आवंटन किए गए हैं। प्रदेश सरकार ने इसके अतिरिक्त कृषकों को फायदा पहुंचाने के लिए भी बड़े आवंटन किए हैं।
सरकार ने 1500 करोड़ रुपए का आवंटन प्रदेश के किसानों के ट्यूबवेल के बिल पर 100% छूट देने के लिए किया है। इससे कृषकों को खेतों की सिंचाई में सहायता मिलेगी। वहीं आवारा पशुओं की समस्या से निजात पाने के लिए भी बजट में 750 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।