2024 का लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन में लड़ा। चुनावी प्रचार के दौरान अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने स्वयं को यूपी के दो लड़कों के तौर पर पेश किया। अब प्रतीत होता है कि आने वाले UP By Election 2024 में अखिलेश यादव और राहुल गांधी एक-दूसरे के विरुद्ध प्रचार करेंगे। दरअसल, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कांग्रेस पार्टी यूपी विधानसभा की उपचुनाव वाली सभी 10 सीटों पर तैयारी में जुटी है। दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ‘शांत’ दिखाई दे रही है। मजे की बात ये है कि 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में इन 10 में से एक भी सीट पर कांग्रेस नहीं जीती थी।
UP By Election 2024 में कांग्रेस की तैयारी
इन सीटों पर कांग्रेस की तैयारी का अंदाजा इस बात से लगा लीजिए कि पार्टी ने प्रदेश के नेताओं के साथ-साथ, कांग्रेस के 4 सचिव, पहली बार चुने गए 5 सांसद और कई प्रभारी इन सीटों की चुनावी तैयारी के लिए उतार दिए हैं।
कांग्रेस की इस तैयारी को देखकर ही सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। सवाल यह है कि अमूमन बड़े चुनावों में भी देरी से चुनाव प्रचार की शुरूआत करने वाली कांग्रेस पार्टी UP By Election 2024 की इन 10 सीटों के लिए इतनी गंभीर क्यों है? वो भी तब जब विधानसभा चुनाव में पार्टी ने यहाँ से एक भी सीट नहीं जीती थी।
कांग्रेस ये जो कर रही है इसे दवाब की राजनीति कहते हैं। कांग्रेस ऐसा करके समाजवादी पार्टी पर दवाब बनाने का प्रयास कर रही है। दरअसल, कांग्रेस पार्टी 10 में से 4 सीट चाहती है लेकिन समाजवादी पार्टी अधिकतम 1 सीट कांग्रेस को देना चाहती है।
कांग्रेस इस बात पर अड़ गई है कि उसे 4 सीट से नीचे कुछ स्वीकार्य नहीं है। समाजवादी पार्टी इस बात पर अड़ गई है कि 4 सीटें कांग्रेस को नहीं देगी। बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए कांग्रेस पार्टी फिलहाल सभी सीटों पर तैयारी करती दिखाई दे रही है।
अब देखना होगा कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में सहमति बनती है या नहीं। राजनीति के जानकार कहते हैं कि दोनों पार्टियों में सहमति बनने की संभावना बहुत कम है। इसके पीछे कई कारण हैं।
पहला तो यह कि लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद दोनों ही दलों को लगता है कि उत्तर-प्रदेश में वे दोनों अब ‘जीवित’ हो गए हैं। ऐसे में वे कितनी भी सीटों पर चुनाव लड़ लें, जीत जाएंगे। एक तरह से उत्तर-प्रदेश को लेकर वे अति-आत्मविश्वास से भरे दिखाई दे रहे हैं।
ऐसे में दोनों में से कोई भी पार्टी दूसरी पार्टी को एक भी सीट अधिक देने के मूड में दिखाई नहीं दे रही है। इसके साथ ही दोनों ही दलों को ये भी लगता है कि उत्तर-प्रदेश में भाजपा को हराने का ‘फॉर्मूला’ उन्होंने ढूंढ लिया है। सीट बंटवारे पर तकरार बढ़ने का एक कारण ये भी है।
UP By Election 2024 होगा निर्णायक
इसको बड़े राजनीतिक कैनवस पर समझते हैं कि कैसे सीटों का बंटवारा दोनों दलों के गठबंधन पर संकट ले आया है। कुछ दिन पहले ही कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवारों के नाम जारी किए हैं।
समाजवादी पार्टी हरियाणा में एक सीट मांगती रह गई लेकिन राहुल गांधी ने अखिलेश को एक भी सीट हरियाणा में नहीं दी।
याद रखिए, मध्य-प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही हुआ था जब अखिलेश यादव को एक भी सीट कांग्रेस ने नहीं दी थी ऊपर से कांग्रेस नेता कमलनाथ ने अखिलेश यादव को लेकर अपमानजनक बयान भी दिया था।
राजनीति के जानकर यह भी बताते हैं कि अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी बनाना चाहते हैं। इसलिए वे ज्यादा से ज्यादा राज्यों में पार्टी को चुनाव लड़ाना और जिताना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस इसमें रोड़ा बन रही है।
अब देखने वाली बात ये होगी कि महाराष्ट्र में कांग्रेस समाजवादी पार्टी के साथ क्या करती है- अखिलेश यादव ने महाराष्ट्र में 12 से 15 सीटों की मांग की है।
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महाविकास अघाड़ी गठबंधन समाजवादी पार्टी को किसी भी स्थिति में 12 से 15 सीटें नहीं देगा। ऐसे में पूरी संभावना है कि मध्य-प्रदेश, हरियाणा और महाराष्ट्र में ‘दुत्कारे’ जाने का बदला अखिलेश यादव यूपी में लें।
यही कारण है कि समाजवादी पार्टी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पार्टी ने स्पष्ट तौर पर अभी तक कुछ नहीं कहा है जबकि कांग्रेस का कहना है कि वह 4 सीटों से कम पर नहीं मानेगी।
ऐसे में अगर अखिलेश यादव को महाराष्ट्र में सीटों को लेकर कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला तो निश्चित तौर पर UP By Election 2024 में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन ख़तरे में पड़ सकता है।
याद रखिए, 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने गठबंधन किया था लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव आते-आते राहुल-अखिलेश का गठबंधन टूट गया और तब अखिलेश यादव, मायावती के साथ जा मिले और समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन हुआ।
2022 के यूपी विधानसभा चुनाव आते-आते अखिलेश और मायावती का गठबंधन भी टूट गया और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में दोबारा कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने गठबंधन किया।
2024 लोकसभा चुनाव के बाद अब एक बार फिर अटकलें लग रही हैं कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग राजनीतिक रास्ता अपना सकते हैं।