बीते गुरुवार को एक फेडरल जाँचकर्ता ने खुलासा किया कि कोविड-19 बेरोजगारी बीमा कार्यक्रम में अमेरिकी सरकार को स्कैमर्स द्वारा लगभग $45.6 बिलियन के घोटाले का सामना करना पड़ रहा है। इस मुद्दे की भनक लगभग एक साल पहले लगी थी और लगभग $16 बिलियन डॉलर की राशि की धोखाधड़ी होने का अनुमान लगाया गया था, जो कि नवीनतम खुलासे के बाद बहुत बढ़े हुए रूप में सामने आई है।
अमेरिकी श्रम विभाग के महानिरीक्षक द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्रॉड पेमेंट्स में $ 29.6 बिलियन की संभावित वृद्धि हुई है।
अमेरिका के कोविड -19 बेरोजगारी बीमा कार्यक्रम में बड़ा घोटाला?
वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, “वर्ष 2020 में ट्रम्प प्रशासन के दौरान शुरू हुए अमेरिकी बेरोजगार सहायता कार्यक्रम का एक गंभीर चित्र पेश करती है। इस योजना के तहत कोरोना संकट के पहले पांच महीनों में लगभग 5 करोड़ 70 लाख से अधिक परिवार साप्ताहिक मदद से लाभान्वित हुए- लेकिन जल्द ही यह कार्यक्रम अपराधियों के लिए आकर्षक मौका बन गया”।
अमेरिकी सरकार ने कोविड -19 महामारी के कारण पैदा हुए बेरोजगारी संकट से पीड़ित लोगों के लिए कई अन्य देशों की तरह एक बेरोजगार सहायता कार्यक्रम खाका तैयार कर उसे लागू किया था।
समय के साथ ‘बेरोजगारी बीमा’ नाम का यह कार्यक्रम धोखेबाजों और स्कैमर्स के लिए एक आसान लक्ष्य बन गया। फेडरल निगरानीकर्ताओं के अनुसार, स्कैमर्स ने कई तरह से घोटाले को अंजाम दिया, जैसे:-
- मुश्किल से नज़र आने वाले ईमेल्स द्वारा अलग-अलग राज्यों में आवेदन दाखिल करना और बेरोजगारी बीमा का फायदा उठाना।
- मृत व्यक्तियों के सोशल सिक्योरिटी नम्बरों का दुरुपयोग करके आवेदन करना और उनके नाम पर पैसे उठाना।
संयुक्त राज्य अमेरिका के ‘कोविड -19 बेरोजगारी बीमा कार्यक्रम’ में घोटाले का खुलासा भारत में नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ लगाए गए मनगढ़ंत आरोपों के समान दिखता है, हालांकि इन आरोपों में मौलिक रूप से अन्तर हैं।
भारत के PM-CARES फंड पर भी लगे थे आरोप
PM-CARES फंड मार्च 2021 में कोविड -19 प्रकोप के दौरान स्थापित किया गया था और यह फंड संग्रह भविष्य की आपात स्थितियों से निपटने के लिए समर्पित था। इस राष्ट्रीय फंड में भारत के कई प्रमुख नेताओं, मशहूर हस्तियों, क्रिकेटरों, सरकारी कर्मचारियों, नागरिकों और भारतीय सेना ने योगदान दिया था।
विपक्षी दलों और कई संगठनों ने कुछ ही दिनों में इस राष्ट्रीय फंड को कथित तौर पर धोखाधड़ी करार दे दिया और सत्तारूढ़ NDA सरकार से जवाब मांगने लगे। भारत के प्रमुख विपक्षी नेताओं ने PM-CARES फंड से खर्च किए जाने पर केन्द्र सरकार पर भी सवाल उठाए थे।
PM-CARES फंड पर लगे आरोपों में नहीं हुआ कुछ साबित
इसके जवाब में भारत सरकार ने स्पष्ट किया था कि “कोविड-19 राहत से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों के लिए मार्च 2021 तक ₹7,690 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं।”
संयुक्त राज्य अमेरिका को अक्सर फर्स्ट वर्ल्ड राष्ट्रों के नेता के रूप में देखा जाता है, पर अनेकों लूपहोल वाले कोविड-19 बेरोजगारी बीमा कार्यक्रम वाला अमेरिका राष्ट्रीय संकट के मूल्यांकन और प्रबंधन के साथ साथ निर्बाध राहत पहुँचाने के मामले में भारतीय प्रशासन से बहुत कुछ सीख सकता है।
PM-CARES के फंड का उपयोग आपातकालीन चिकित्सा के बुनियादी ढांचे और उपकरणों के उत्पादन और खरीद के लिए किया गया था जिसमें – ऑक्सीजन उत्पादन के लिए 1200 PSA संयंत्रों की स्थापना, 6.6 करोड़ कोविड -19 वैक्सीन खुराक की खरीद, 50 हजार मेड इन इंडिया वेंटिलेटरों का राज्यों और केंद्र द्वारा संचालित अस्पतालों को वितरण आदि शामिल थे।
भारत जैसे कई विकासशील एशियाई देशों ने घातक कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के दौरान अमेरिका और यूरोपीय देशों की तुलना में बहुत बेहतर प्रदर्शन किया था।
US Govt Faces Fraud Of $45.6 Billion Over Covid-19 Unemployment Insurance