स्वदेशी भुगतान मैकेनिज्म, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) ने नया रिकॉर्ड कायम किया है। अप्रैल माह में UPI के माध्यम से 14 लाख करोड़ से भी अधिक का लेनदेन हुआ है। डिजिटल भुगतान के बाजार में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बना चुके UPI से अप्रैल माह में कुल 890 करोड़ लेनदेन किए गए हैं।
डिजिटल इंडिया का सबसे महत्वपूर्ण अंग UPI लगातार गति पकड़ रहा है, वित्त वर्ष 2022-23 के पहले माह अप्रैल में UPI के माध्यम से 14.07 लाख करोड़ के लेनदेन किए गए, मार्च माह में यह 14.05 लाख करोड़ थे जबकि फरवरी माह में इनकी संख्या 12.3 लाख करोड़ ही थी।
अप्रैल माह के नए आँकड़ों के साथ ही UPI ने नया कीर्तिमान रचा है, अप्रैल माह में पिछले वर्ष से तुलना की जाए तो इसमें 59% की वृद्धि हुई है।
UPI से वित्त वर्ष 2023-24 में कुल 8300 करोड़ लेनदेन किए गए थे। अप्रैल 2023 में UPI को चालू हुए 7 वर्ष हो गए हैं। इस बीच इसने भारत के डिजिटल भुगतान के बाजार में लगभग 60-65% की हिस्सेदारी ले ली है। भारत में काम करने वाली विदेशी कार्ड कंपनियों ने भी अपने बाजार में UPI के कारण घटते इस्तेमाल की शिकायत की है।

UPI के अतिरिक्त अन्य स्वदेशी भुगतान माध्यम भी लगातार अपना दायरा बढ़ा रहे हैं, मात्र कुछ जानकारियों के आधार पर किसी भी बैंक खाते में ट्रान्सफर करने वाला सिस्टम IMPS भी लगातार बढ़ रहा है। अप्रैल 2023 में इसके माध्यम से 5.21 लाख करोड़ रुपए के लेनदेन किए गए हैं।
दूसरी ओर सुगमता से आधार के जरिए पैसे निकालने एवं जमा करने की सुविधा देने वाला भुगतान माध्यम AEPS का बाज़ार भी लगातार बढ़ा है, अप्रैल माह में इसके जरिए 10 करोड़ से अधिक लेनदेन किए गए हैं। इसके जरिए 29 हजार करोड़ से अधिक का जमा निकासी किया गया है।
UPI से जुड़ी हुई सुविधाओं को लगातर बढ़ाया भी जा रहा है, कुछ ही दिन पहले UPI को क्रेडिट कार्ड से लिंक करने का विकल्प भी NPCI के जरिए उपभोक्ताओं को दिया गया था। UPI के ऊपर आने वाला पूरा खर्च अभी सरकार वहन करती है।
पिछले दिनों बड़े स्तर पर यह अफवाह फैलाई गई थी कि UPI लेनदेन पर शुल्क लगाया जाएगा। हालाँकि, वित्त मंत्रालय ने लगातार ऐसे किसी भी कदम उठाने से मना किया है और कहा है कि इसको जारी रखने का पूरा खर्च सरकार ही उठाएगी और सामान्य उपभोक्ता पर कोई भी शुल्क नहीं लगाया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे ‘पब्लिक गुड’ बताया था।
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