राहुल गाँधी का विदेश दौरा खत्म नहीं हुआ है और इसको लेकर वे एक बार फिर भारत में चर्चा में हैं। दरअसल कल राहुल गाँधी ने अमेरिका में ट्रक में सफर किया। वाशिंगटन डीसी से न्यूयार्क की इस यात्रा का वीडियो उन्होंने ट्वीट भी किया।
इससे पहले राहुल ने पिछले माह दिल्ली से चंडीगढ़ तक ट्रक से यात्रा की थी। अमेरिका वाली ट्रक यात्रा में यह ख़ास रहा कि उस दौरान भी राहुल गाँधी ने राजनीति का दामन नहीं छोड़ा और भाजपा को कोसते हुए नज़र आये। यहाँ तक कि ट्रक ड्राइवर भी राहुल के सानिध्य में ‘मुहब्बत की दुकान’ वाले नारे को रटते दिखे।
प्रश्न यह है कि 50 वर्ष में क्या राहुल गाँधी ने कभी ट्रक वालों के जीवन को नहीं समझा? महलों में पले बढ़े लोगों को क्या सामान्य जीवन देखने के लिए यात्रा पर ही निकलना पड़ता है? यदि ऐसा ही है तो शायद ऐसे ही नेताओं ने भारत में गरीबी को पर्यटन के रूप में स्थापित किया होगा।
खैर, ट्रक यात्रा करने के पीछे राहुल गांधी का उद्देश्य सामाजिक हो या राजनीतिक पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में ट्रक चालकों या उनकी समस्याओं को समझने या उनके समाधान के लिए शायद ही किसी सरकार ने सोचा हो। ऐसे में चूँकि आजादी के बाद सबसे अधिक समय तक देश में कांग्रेस की सरकार रही इसलिए यह समझा जा सकता है कि ट्रक चालकों के प्रति राहुल गांधी की समझ ऐसी विपन्न क्यों है।
वहीं वर्तमान केंद्र सरकार की बात करें तो भारत के परिवहन क्षेत्र की बात होती है तो वर्तमान केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी एवं उनके कार्यों की समीक्षा आवश्यक हो जाती है।
एक नया बदलाव
इसी वर्ष के शुरुआत में ट्रक चालकों के लिए बड़ी घोषणा करते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि ट्रक चालकों के काम के घंटे निर्धारित करने के लिए एक कानून लाया जाएगा। और वर्ष 2025 के समाप्त होने से पहले दुर्घटनाओं को 50 प्रतिशत तक कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
आज राहुल गाँधी ट्रक ड्राइवर्स से मिल रहे हैं लेकिन ये सब नितिन गडकरी ने अपनी यह घोषणा बिना किसी पीआर के की थी।
दरअसल, काम करने के गडकरी के तरीक़े की बात करें तो एक बैठक नागपुर के एक ढाबे पर की जाती है जहाँ ट्रक चालक खाने के लिए रुकते हैं। बैठक में वह ट्रक चालकों की समस्याएं जानते हैं। गडकरी इस बैठक में बताते हैं कि भविष्य में बनने वाले ट्रकों में ड्राइवर की सहजता के लिए एसी लगाना अनिवार्य हो जाएगा।
चूँकि भारत में ट्रक चालकों के आराम करने के लिए अच्छे स्थान की कमी है और इसके कारण ही राजमार्गों के किनारे अवैध और असुरक्षित पार्किंग देखी जाती है। इस समस्या को दूर करने के लिए हाल ही में नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी (एनएलपी) ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को ट्रक चालकों के लिए पर्याप्त विश्राम स्थल बनाने का काम सौंपा है।
अधिकारियों ने कहा कि यात्रियों और ट्रक चालकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए राजमार्गों और एक्सप्रेसवे के साथ-साथ सड़क के किनारे कई सुविधाओं के साथ 650 स्टेशन का विकास हो रहा है। इन स्टेशन पर ट्रकों के लिए पार्किंग स्थल, चालकों के लिए शयनकक्ष, रिपेयर हेतु दुकानें और पेट्रोल पंप होंगे।
इसके अलावा GST ने ‘वन नेशन वन टैक्स वन मार्केट’ में जो भूमिका निभाई इससे ट्रक चालकों को भी सुविधा मिली। वर्ष 2017 में समाचार पत्र ‘इकोनामिक टाइम्स’ की रिपोर्ट बताती है कि जीएसटी के बाद कैसे सड़कों से लग लगे बॉर्डर चेक पोस्ट हटने लगे और ट्रकों ने गति पकड़ी अन्यथा ट्रक राज्यों की बॉर्डर पर कई घंटे और कभी कभी तो कई कई दिन सिर्फ टैक्स भरने के लिए व्यतीत करते थे जिससे भ्रष्टाचार को ही बढ़ावा मिलता था।
ट्रक ड्राइवर्स भारत की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। आज राहुल गाँधी इनके हितैषी दिख रहे हैं लेकिन इनकी सरकार के 10 वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने ट्रक ड्राइवर्स के साथ कैसा व्यवहार किया ये भी आपको बताते हैं।
ट्रक ड्राइवर्स पर लगाया गया NSA
वर्ष 2009 में ट्रक चालकों ने अपनी कुछ मांगों के लिए एक बड़ी हड़ताल की। यूपीए सरकार ने हड़ताल के नेताओं को जेल में बंद करके हड़तालों को रद्द कर दिया। राज्य सरकारों को क्रूर विरोधी हड़ताल कानूनों (आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम) को लागू करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही तेल कंपनियों से हड़ताल करने वालों को नौकरी से हटाने का आग्रह किया। आपूर्ति को स्थानांतरित करने, ट्रकों को जब्त करने और सेना को तैनात करने की धमकी दी। तत्कालीन केंद्र सरकार ने जोर देकर कहा कि हड़ताल जारी रहने तक कोई बातचीत नहीं होगी।
भारत के तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने भी NSA के तहत गिरफ्तारी और मुकदमा चलाने की धमकी दी थी। यहाँ तक कि हड़ताल के कम से कम छः नेताओं को भी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया था, जो कि एक कठोर कानून है, जिसका इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा समझे जाने वाले किसी भी व्यक्ति को जेल में डालने के लिए किया जाता है।
तत्कालीन गृहमंत्री चिदंबरम ने हड़ताल न खत्म करने पर ट्रक ड्राइवरों को कड़ी कार्रवाई की धमकी दी थी उन्होंने कहा था कि “मैं डिटेल्स में आपसे चर्चा नहीं कर सकता लेकिन अगर सेना से किसी को बुलाना होगा तो उन्हें बुलाया जाएगा।”
आज राहुल गाँधी ट्रक ड्राइवर्स के हितैषी बने हैं क्योंकि वे विपक्ष में हैं। पक्ष में रहकर क्या किया ये आपने अभी जान लिया ।