शनिवार, 29 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी समिति ने सर्वसम्मति से दिल्ली घोषणापत्र को अपनाया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद विरोधी समिति की यह विशेष बैठक भारत में आयोजित की गई।
यह बैठक 28 अक्टूबर को मुंबई के ताज होटल और 29 अक्टूबर को नई दिल्ली ताज पैलेस में आयोजित की गई थी, जिसमें सदस्य देशों के प्रतिनिधियों, यूएन अधिकारियों, नागरिक समाज संस्थाओं और शोधकर्ताओं ने हिस्सा लिया था। यह बैठक नई और उभरती तकनीकों के इस्तेमाल पर केंद्रित थी।

क्या है दिल्ली घोषणा पत्र ?
इस बैठक में जिस दस्तावेज के बिंदुओं पर सहमति बनी, उसे ही दिल्ली घोषणापत्र (Delhi Declaration) कहा गया। जिसमें आतंकवाद के लिए प्रयोग में लाई जा रही नई और उभरती प्रौद्योगिकियों का मुकाबला करने पर चर्चा की गई। साथ ही, इसमें यह बात दोहराई गई कि आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरों में से एक है।
बैठक में भारत ने भविष्य में मुख्यतः तीन विषयों पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया।
- आंतकवाद हेतु प्रयुक्त की जा रही सूचना और संचार प्रौद्योगिकी एवं नयी तकनीकों का मुकाबला (डिजिटल आतंकवाद)
- नई भुगतान तकनीकों और वित्तीय लेनदेन के तरीकों से संबंधित खतरे
- आतंकवादियों द्वारा प्रयोग की जा रही मानव रहित हवाई तकनीक के दुरुपयोग से उत्पन्न खतरे
भारत ने वैश्विक स्तर पर इस प्रयास की प्रभावशीलता सुदृढ़ करने का संकल्प व्यक्त किया। साथ ही आतंकवाद को किसी भी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह से नहीं जोड़े जाने की बात भी कही।
इस दिल्ली घोषणा में ,आतंकवाद उद्देश्यों के लिए प्रयोग किये जा रहे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित इंटरनेट और अन्य सूचना और संचार तकनीकों के बढ़ते उपयोग पर चिंता व्यक्त की गयी।
इसके अलावा, यह माना गया कि वित्तीय तकनीकों में नवाचार, जैसे कि क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म, आंतकवादियों के लिए वित्तपोषण का स्रोत बनने का जोखिम पेश करते हैं। साथ ही, विश्व में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों के ख़िलाफ बढ़ रहे हवाई हमलों पर चिंता पेश की और इसे देखते हुए, सभी सदस्य देशों से अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत अपने दायित्वों के अनुरूप आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
भारत ने दिल्ली घोषणा के माध्यम से, आतंकवाद की उभरती नई तकनीकों के उपयोग का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए सदस्य राष्ट्रों और सीटीईडी (Counter-Terrorism Committee Executive Directorate) के साथ निजी क्षेत्र और महिला संगठनों सहित समाज के अन्य नागरिकों के स्वैच्छिक सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
इसके अलावा, भारत ने आतंकवाद को रोकने के लिए आईएसआईएल, जिसे दाएश और अल-कायदा और उनके सहयोगियों के रूप में भी जाना जाता है, के उन तरीकों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने की आवश्यकता पर बल दिया जिनमें यह आतंकी संगठन नई भर्तियां कर आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देते हैं। साथ ही भारत ने हथियारों, सैन्य उपकरणों, और विस्फोटक उपकरणों जैसे आईईडी के अवैध हस्तांतरण की निंदा की।
दिल्ली घोषणापत्र के प्रभाव
- आपको बता दें ,इन बिंदुओं के लागू होने के बाद आतकंवाद को समर्थन एवं शरण देने वाले राष्ट्रों के लिए मुश्किलें पैदा होंगी।इन देशों के लिए आतंकवादी संगठनों को वित्तीय मदद पहुंचाना अब आसान नहीं होगा। बैठक में सभी सदस्य देशों से कहा गया कि वो आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों को पहचानने में मदद करेंगे और वित्त सुविधा देने वाले, समर्थन करने वालों को अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक कार्यवाही करने में मदद करेंगे।
- डिजिटल आतंकवाद का मुक़ाबला करने में सदस्य देशों की मदद करने के लिये, दिशानिर्देशक सिद्धान्तों का एक नया मसौदा तैयार किया जाएगा, जो कि क़ानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होगा। इसमें इन ख़तरों से निपटने में वैसी ही टैक्नॉलॉजी के प्रयोग से मिलने वाले अवसरों व सर्वोत्तम तौर-तरीक़े जुटाए जाएंगे।
- आतंकवाद को पोषित कर रहे पाकिस्तान के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा सकता है। इस घोषणा पत्र में शामिल कई विषयों को भारत पहले से ही वैश्विक मंच पर उठाता रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा कि राष्ट्र को अस्थिर करने में दुष्प्रचार, कट्टरता और षड्यंत्र की अहम भूमिका है। इसे फ़ैलाने में आतंकियों और आतंकवादी समूहों के टूलकिट में इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म शक्तिशाली हथियार बनते जा रहे हैं।