यूनियन बजट के आते ही Memer community बहुत परेशान है कि वो इस बार वित्त मंत्री (Finance minister) निर्मला सीतारमण पर मीम नहीं बना पाएंगे, पर इनसे भी ज्यादा दुखी वो यूट्यूबर और दरबारी पत्रकार हैं जिन्होंने जमीन से लेकर डीजिटल प्लेटफॉर्म तक मिडिल क्लास को सरकार के विरुद्ध लगातार भड़काया।
भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने मिडिल क्लास पर टैक्स बोझ कम कर दिया है, अब प्रति वर्ष 12 लाख रुपये वेतन पाने वाले व्यक्तियों पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
मिडिल क्लास को सपोर्ट करने वाले इस बजट से उन यूट्यूबर्स के मुँह भी बंद हो गए हैं जिन्होंने इस मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ जबरदस्ती माहौल बनाया था। ये देखिए आकाश बनर्जी AKA फर्जी देशभक्त ने लिखा है कि 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई आयकर नहीं देना- यह बहुत बड़ी बात है। इसका अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा असर हो सकता है।
अर्थव्यवस्था पर अच्छा असर तो हमने 10 सालों में देखा ही है, साथ ही हमने ये भी देखा है कि मिडिल क्लास को सरकार के विरुद्ध करने के लिए उसे टैक्स के नाम पर उकसाया गया है। देश की जनसंख्या में करीब-करीब 40 प्रतिशत संख्या मिडिल क्लास की है औऱ उनमें से 3.5% प्रतिशत ही लोग टैक्स देते हैं, बाकियों को सरकार की सुविधाओं और लोककल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलता है पर दरबारी यूट्यूबर्स ने हमेशा मिडिल क्लास को आर्थिक आंकड़ों में उलझाए रखा है।
दरबारी पत्रकारों ने जमीन पर जाकर लोगों को मंहगाई पर उकसाया और मिडिल क्लास का मुद्दा बनाया। बार-बार यह कह कर सरकार को टारगेट किया गया कि सरकार मिडिल क्लास के ख़िलाफ़ है। दरबारी पत्रकारों को सपोर्ट करने का काम किया इनकी यूट्यूबर की लॉबी ने- ये देखिए बजट से पहले ही जर्मन यूट्यूबर dhruv rathee, mohak mangal, naman shrivastava से लेकन इन यूट्यूबर्स ने किस तरह के वीडियो बनाए हैं। क्रिएटिविटी तो देखिए कि सबके थंबनेल भी एक जैसे ही नजर आते हैं जैसे Why Middle Class in India is DYING?

भले ही मिडिल क्लास की औसत आय 2012-13 से 2022 तक तीन गुना बढ़ चुकी है पर इनके वीडियोज में मिडिल क्लास और टैक्स को मुद्दा बनाकर हमेशा सरकार का विरोध किया गया है। इसका एक कारण ये भी है कि मोदी सरकार का सबसे बड़ा कोर वोटर मिडिल क्लास है।
ये भी कमाल का पैटर्न है कि पहले मिडिल क्लास को लेकर हवा-हवाई बातें करो औऱ फिर सरकार के काम का क्रेडिट भी खाओ। ये देखिए ध्रुव राठी ने युनियन बजट से पहले मिडिल क्लास पर वीडियो बनाया और जब सरकार ने टैक्स राहत की घोषणा की तो आ गए क्रेडिट लेने।
इस पैटर्न का एक हिस्सा है मिडिल क्लास के लिए बनी लाभकारी योजनाओं छुपाना औऱ सिर्फ बड़े- बड़े डेटा से लोगों को कन्फयुज करना, अमीरों की सरकार जैसे शब्द यूज करके अपना एजेंडा चलाना। जमीन पर राहुल गांधी कहते हैं कि ये सरकार अडानी की है तो ध्रुव राठी अपने चैनल पर कहते हैं कि न नौकरी है…बस अरबपति मौज मना रहे हैं।
पर अपने वीडियोज में ये यूट्यूबर हमेशा मिडिल क्लास को सपोर्ट करने वाली योजनाओं का जिक्र करते ही नहीं है।
भारत ने 2014 में अपनी विश्व रैंकिंग में सुधार करते हुए 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से 2023 में 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना, ये कैसे संभव हुआ? ये तब हुआ जब सरकार ने बिना किसी पक्षपात के रहर वर्ग को सपोर्ट किया और उनके विकास के लिए सही योजनाएं भी चलाई। उसका आज परिणाम यह है कि 13.5 करोड़ लोग गरीबी की बेड़ियां तोड़कर नए मध्यम वर्ग में शामिल हो गए।
हम ये भी कैसे भूल रहे हैं कि 2014 में जब मोदी सत्ता में आए थे, तब आर्थिक विकास धीमा था। भ्रष्टाचार के कई हाई-प्रोफाइल मामलों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों का विश्वास लगभग खत्म हो चुका था औऱ उस समय मिडिल क्लास बोझ के तले दबा हुआ था, मंहगाई तो थी ही, इनकम भी नहीं थी।
मिडिल क्लास पर व्यूज खाने वाले युट्यूबर इसे याद क्यों नहीं रखते? आम बजट में मोदी सरकार ने 12 लाख इनकम वालों को भी टैक्स फ्री कर दिया पर मनमोहन सिंह सरकार यानी यूपीए सरकार के दौरान 2 लाख इनकम वालों से भी टैक्स लिया जाता था।
तब क्या मिडिल क्लास की परिभाषा अलग थी?
अब जब यूनियन बजट को मिडिल क्लास के फेवर में बनाया गया है, टैक्स में राहत दी गई है तो इसके लिए भी नया एजेंडा चलाया जा रहा है। ये देखिए मेल्टडाउन के बीच ये लेफ्ट-लिबरल लॉबी कह रही है कि GST के हाई रेट्स हैं, “no tax below ₹12 lakh” misleading half-truth है।
यही तो तरीका होता है एजेंडा चलाने का। पहले आसमानी सूत्रों पर वीडियो बनाओ, जमीनी दरबारियों द्वारा जमीन पर फैलाओ और जब सरकार कुछ करे तो कहा कि हमने उन्हें मजबूर कर दिया। वाह रे Youtube के सस्ते अर्थशास्त्रियों।
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