नेशनल सैंपल सर्वे सर्वे (NSSO) द्वारा शुक्रवार (24 फ़रवरी, 2023) को जारी नवीनतम वार्षिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के अनुसार, भारत की बेरोजगारी दर जुलाई-जून 2021-22 में पांच साल के सबसे निचले स्तर पर गिरकर 4.1% हो गई है।
उल्लेखनीय है कि NSSO ने अप्रैल, 2017 में PLFS की शुरुआत की थी। PLFS के आधार पर बेरोजगारी दर, कार्यकर्ता संख्या अनुपात (WPR), श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) जैसे श्रम बल संकेतकों का अनुमान देते हुए श्रमिकों की व्यापक स्थिति की जानकारी मिलती है। व्यक्ति की साप्ताहिक स्थिति यानी CWS के तहत ऐसे व्यक्ति को बेरोजगार माना जाता है अगर उसे सप्ताह के दौरान किसी भी दिन एक घंटे के लिए भी काम नहीं मिलता है। हालांकि, उसने काम की मांग की या काम के लिए उपलब्ध था।
2021-22 की अवधि के दौरान, ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों में बेरोजगारी दर घटकर क्रमशः 3.2% और 6.3% हो गई, जो 2020-21 की अवधि में क्रमशः 3.3% और 6.7% थी। इस दौरान कोविड संबंधी प्रतिबंधों के प्रभाव की वजह से बेरोजगारी दर अधिक थी।
2021-22 में ग्रामीण महिलाओं के लिए बेरोजगारी दर (2.1%) ग्रामीण पुरुषों (3.8%) की तुलना में कम थी। जबकि शहरी क्षेत्रों में पुरुषों (5.8%) की तुलना में महिलाओं (7.9%) की दर अधिक थी।
नवीनतम सर्वेक्षण में श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) भी दिखाया गया है, जो आबादी में काम करने वाले या काम करने वाले लोगों का प्रतिशत दिखाता है। पिछले पांच वर्षों में 2018-19 में 37.5% से बढ़कर 2021-22 में 55.2% हो गया है।
शहरी क्षेत्रों में महिलाओं में भी कम हुई बेरोज़गारी
इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर अक्टूबर-दिसंबर 2022 के दौरान घटकर 7.2% रह गई। वहीं, इसी उम्र की शहरी महिलाओं की बेरोजगारी दर 10.5% से घटकर 9.6% पर आ गई। इससे एक साल पहले समान अवधि में यह दर 8.7% थी। NSSO ने शहरी भारत के लिए त्रैमासिक PLFS सर्वेक्षण जारी किया, जिसमें जुलाई-सितंबर FY23 तक लगातार पांच तिमाहियों में गिरावट के बाद यह आँकड़े पाए गए।
एअर इंडिया की ऐतिहासिक 470 एयरक्राफ्ट खरीदने की डील: अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस ने जताई खुशी
दिसंबर तिमाही के दौरान पुरुषों के लिए बेरोजगारी की दर मामूली रूप से घटकर 6.5% हो गई, महिलाओं की संख्या क्रमशः 6.6% और 9.4% से बढ़कर 9.6% हो गई। दिसंबर तिमाही में LFPR सितंबर तिमाही के 47.9% से मामूली बढ़त के साथ 48.2% हो गया।
वहीं, केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा 20 फरवरी, 2023 को दी गई जानकारी के अनुसार, ईपीएफओ ने दिसंबर, 2022 में कुल 14.93 लाख सदस्य जोड़े हैं। पेरोल डेटा की वार्षिक तुलना के आधार पर साल 2021 के दिसंबर महीने की तुलना में साल 2022 के दिसंबर महीने में कुल सदस्यता में 32,635 की बढ़त दर्ज की गई है। मंत्रालय के अनुसार, दिसंबर, 2022 में जोड़े गए 14.93 लाख सदस्यों में से करीब 8.02 लाख नए सदस्य हैं, जो पहली बार ईपीएफओ के सामाजिक सुरक्षा दायरे में आए हैं।