लोकसभा चुनाव के पहले आए विधानसभा चुनाव परिणामों ने कितने नेताओं को राजनीतिक धरातल दिखाने का काम किया है इसे समझने के लिए तमिलनाडु में डीएमके सरकार के मंत्री उदयनिधि स्टालिन का बयान ही काफी है।
दरअसल तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन का कहना है बीजेपी ने सनातन धर्म को डेंगू और मलेरिया बताने वाले उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका भाषण उठाया और उनके बारे में बात की। उन्होंने कहा कि उन्होंने (सनातन धर्म के अनुयायियों के) नरसंहार का आह्वान नहीं किया था।
हालांकि स्टालिन ने किसी भी संबंध में माफी मांगने से इंकार कर दिया है पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि वे अपने बयान से पलट गए हैं।
जाहिर है कि उन्होंने सितंबर में न सिर्फ सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया से कर इसके खात्मे की बात की थी बल्कि इसपर विवाद के बाद कहा था कि वो सनातन के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे। ऐसे में अब 3 माह बाद उनको यह याद आना कि उनके बयान के साथ छेड़छाड़ की गई थी, दिलचस्प है।
उदयनिधि स्टालिन अपने बयानों को लेकर कितने गैर-जिम्मेदार रहे हैं यह उन्होंने दिखा दिया है। चुनावों से पहले स्टालिन सहित इंडि गठबंधन के नेताओं ने हिंदू विरोधी रणनीति अपनाई थी। यही कारण था कि गठबंधन के कई नेताओं ने स्टालिन का समर्थन किया था। हालांकि विधानसभा चुनावों में आए परिणाम ने यह बात साबित कर दी कि देशवासी अब धार्मिक विरोध या धार्मिक तुष्टिकरण को नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं।
विधानसभा चुनाव परिणामों ने सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं किया है बल्कि उदयनिधि स्टालिन जैसे नेताओं को यह संदेश दिया है कि वे धार्मिक तुष्टिकरण औऱ वोट बैंक के नाम पर अब हिंदुओं का अपमान नहीं कर सकते। स्टालिन ने जिस प्रकार अपने बयान से दूरी बनाई है उससे लग रहा है कि वे इस बात को समझ रहे हैं कि तमिलनाडु में आगामी लोकसभा चुनाव में उनका बयान उन्हें कितना नुकसान पहुँचाने वाला है।
हजारों वर्षों से संस्कृति का केंद्र रहे तमिलनाडु में जन्म लेकर उदयनिधि स्टालिन इतना नहीं समझ पाए कि धर्म औऱ राजनीति अलग नहीं हो सकते। धर्म राजनीति को मार्ग दिखाता है, राजनीति धर्म को नहीं। हालांकि स्वयं को ईसाई कहने में गर्व महसूस करने वाले धर्मांतरित स्टालिन तमिल संस्कृति के बारे में क्या ही जानेंगे।
स्वयं को पेरियार का फॉलोवर बताकर वे पहले ही अपना संविधान विरोधी पक्ष जगजाहिर कर चुके हैं। संविधान जला चुके पेरियार से समानता सीखने वाले स्टालिन ने जिस सनातन धर्म को राजनीतिक हमले का निशाना बनाया, उसके अनुयायियों ने उनकी राजनीतिक जमीन हिला कर रख दी है।
यह भी पढ़ें- उदयनिधि स्टालिन हिंदू नहीं, भारतीय संस्कृति की समाप्ति चाहते हैं