देख रहा है बिनोद कैसे ये एलन मस्क ट्विटर पर क्रांति ला रहा है? अब वोक सबका क्या होगा? आ वोक तो अपना जगह, वोकवादी सब जनता के फ़्रीडम ऑफ़ इक्स्प्रेशन का रच्छा कैसे करेगा?
वोकवाद के समर्थकों की सभा चल रही है और इनमें से ही एक समर्थक ये सवाल कर रहा था। ट्विटर पर ट्रम्प की वापसी और ट्विटर फाइल्स जारी होने के बाद, How can we let that sink? टाइप हालात हैं।
बुद्धिजीवियों का गढ़ और वामपंथी विचारधारा वाली ट्विटर अकेडमी को ख़रीदने के बाद जब एलन मस्क अपनी कंपनी के हेडक्वार्टर पहुँचे तो हाथ में एक सिंक था। वीडियो ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा; Let that sink in।
इसे चुनौती समझिए या अंग्रेजी का सिंपलीफाई करना या समझाना कि ट्विटर को नई पहचान मिलने वाली है, सारे राज खोले जाएंगे! सो लेट्स Stay woke।
डर का माहौल था। सभा में चुप्पी पसरी हुई थी। कुर्सी के हत्थे पर कोहनी टिकाए एक वोक नेता ने बोलना शुरू किया; यार इन बदलावों का मतलब क्या है? ऐसे तो ट्विटर अपना मकसद ही खो देगा। ये तो बना ही था लोगों को जागरूक करने के लिए।
ये वोकवादी वर्ष 2006 में लॉन्च होने के बाद ट्विटर की रंगत की बात कर रहे थे। जब 140 शब्दों में अपनी बात कही जाती थी। फेसबुक पर युवा और ट्विटर पर ‘युवा नेता’ चर्चित हो चुके थे। फोन, फैक्स और चिट्ठियों को छोड़ दुनियाभर के नेता ट्वीट करके आपस में बात कर रहे थे। सरकारी काम और विचार ट्विटर की विशेषता बन चुके थे।
“शुरुआती दौर के ट्विटर की बात ही अलग थी” सभा में बैठे एक भले मानुष की आवाज आई। हमें इतनी स्वतंत्रता तो थी कि हम जब तब किसी की भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीन लेते थे। इस मस्क ने जबसे ख़रीदा है, हमारी तो स्वतंत्रता ही खत्म हो गई है। ये तो हमारी ही शैडो बैनिंग, सॉरी विज़ूअलिटी फ़िल्टरिंग न शुरू कर दे।
जिस शेडो बैन की ये वोकवादी बात कर रहे थे, वो कट्टर वामपंथी और भूतपूर्व ट्विटर सीईओ जैक डोर्सी के समय में भी था। बस अंतर इतना है कि तब ये अपने अनुसार जिसे चाहे शैडो बैन कर देते थे।
इसका सबसे अच्छा उदाहरण पत्रकार आरती टीक्कू के मामले से ले सकते हैं, जिन्होंने जिहादियों से खतरा होने पर भारत सरकार से अपनी और अपने भाई की सुरक्षा के लिए ट्विटर के जरिए गुहार लगाई तो ट्विटर ने उनको ही नोटिस भेज दिया, वो भी ट्वीट के शेडो बैन और उनका अकांउट ब्लॉक के साथ। उनकी मदद की गुहार को ‘हेट स्पीच’ बता कर डिलीट करने को कहा गया।
हालाँकि, आरती टीक्कू ने अपना ट्वीट डिलीट ना करके कोर्ट का रास्ता पकड़ा तो ट्विटर के वोकों को लगा कि मामला खुला तो दूर तलक जाएगा, इसे यहीं बन्द कर दिया जाए और आरती का अकाउंट फिर से बहाल हो गया। ये न तो पहला मामला था ना ही आखिरी। ऐसे कई मामले ट्विटर पर दिखाई दिए, जहाँ बोलने की स्वतंत्रता तो थी लेकिन, बोलना किस पक्ष में है, इसकी नहीं।
सभा में इन सबके बीच एक विद्वान ने कहा कि हमारे विचारों का कोई मोल नहीं रहा क्या? अरे हम बुद्धिजीवी बातें करते हैं तभी तो ट्विटर पर है वरना फेसबुक पर मीम ना शेयर कर रहे होते? हाँ एक बात तो है, ट्विटर पर अपनी बात का समर्थन करने के लिए लाखों फॉलोवर्स होते हैं तो लोगों को भी लगता है कि इतने लोग एक ही बात का समर्थन कर रहे हैं तो जरूर कुछ महान बात बोली होगी लेकिन, अब मस्क महाशय को उससे भी दिक्कत है तो हमारे फॉलोवर्स घट गए हैं। (Bots now left the conversation)।
सभा में बैठे इन महाशय से मैं तो पूरी तरह सहमत हूँ कि ट्विटर का प्रयोग व्यापक क्षेत्र में होता है। इससे हर नए मुद्दे पर ‘अवांछित सलाह’ के साथ स्वयं के अनुसार नैरेटिव चलाकर किसी भी बात के रुख को मोड़ने की क्षमता है। कुछ ऐसा ही खुलासा ट्विटर फाइल्स के जरिए हुआ है। इन फाइल्स में अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों से जुड़े आंतरिक दस्तावेज हैं जो एलन मस्क ने जारी किए हैं।
इनसे ये पता चला है कि कैसे डेमोक्रेटिक पार्टी एक सूची ट्विटर को भेजती थी और इसी के तहत ट्रम्प के शासन के दौरान अमेरिका के प्रेस सेक्रेटरी को सोशल नेटवर्किंग साइट पर बैन कर दिया गया था। अगर मामले की तह में जाएं तो क्या डोनाल्ड ट्रंप का बैन भी इसी से जुड़ा नजर नहीं आ रहा? खैर ट्रंप की तो वापसी हो चुकी है और बाइडेन के चुनाव पर प्रश्नचिह्न और ट्विटर के प्रभाव की चर्चा ऐसी ही वोकवादियों की सभा में मुखर हो गई है।
हालाँकि, इन सब के बीच ट्विटर की लीगल और पॉलिसी प्रमुख विजया गड्डे के इस्तीफे की माँग क्यों बढ़ रही है? डोनाल्ड ट्रंप को ट्विटर पर बैन करने के अलावा ये और भी कई बड़े कामों (इसे विवाद पढ़ें) में शामिल रही है, जैसे कि आपको वो फोटो तो याद ही होगी जिसमें ये कुख्यात पत्रकार बरखा दत्त और ट्विटर के पूर्व मालिक जैक डोर्सी के साथ खड़ी हैं और डोर्सी के हाथों में एक ‘सामाजित क्रांति’ लाने वाला पोस्टर है, जिसपर लिखा है “Smash Brahminical patriarchy” अर्थात ‘ब्राह्मणवादी पितृसत्ता से मुक्ति’।
अब जैक डोर्सी का इससे क्या सम्बन्ध है ये तो पता नहीं लेकिन विजया ने इसे करीब से देखा होगा शायद, इसलिए इसके खिलाफ वे टिट्टर ‘क्रांति’ की सूत्रधार की भूमिका में भी रही है। बात चाइल्ड पोर्नोग्राफी की हो, हंटर बाइडेन मामला हो ‘सेंसरशिप’ की कमान तो विजया गड्डे के हाथों में ही रही है और वो वोकवादियों की उम्मीदों पर पूरी तरह खरा भी उतरी है।
इतना कहकर सभा में बैठे बुद्धिजीवी ने गहरी साँस ली और पुराने अच्छे दिनों को याद किया, जब ना तो ट्विटर पर कोई रोक थी ना ही सरकार की ओर से कोई कदम उठाया जा रहा था। अब तो आगे कुआँ पीछे खाई। भारत सरकार ने नए आईटी नियम जारी कर दिए हैं तो ट्विटर पर एलन मस्क नया रिवॉल्यूशन लेकर आए हैं और ट्वीट किया कि “अच्छा समय चालू हो गया है।” वो किस के समय की बात कर रहे थे, इसका उल्लेख नहीं किया गया है।
एलन मस्क के नए ट्विटर में बैन की व्यवस्था से अधिक प्रचार की व्यवस्था है। आपके नैरेटिव को उसके आशय के साथ प्रचारित करके फैलाया जाएगा बिल्कुल वैसे ही जैसेकि ट्वीटर फाइल्स के साथ हो रहा है।
इस बात का भान होते ही लिबरल्स की सभा में सन्नाटा फैल गया। एक ने दो घूंट पानी गटक कर कहा कि वोकवाद मरेगा नहीं। नए विचार और नए भेष के साथ इसे फिर प्रसारित किया जाएगा। ठीक वैसे ही जैसे कोई कलाई पर मौली बांधकर बम फोड़ जाता है, उतनी ही शांति से प्रोपगेंडा पर नया कलेवर चढ़ाया जाएगा। इसलिए मेरे साथियों हारो मत और ‘विक्टरी साइन’ के साथ जोर से कहो Stay woke।