स्वतंत्र पत्रकार मैट टैबी (Matt Taibbi) ने 2 मार्च, 2023 के दिन ट्विटर फ़ाइल्स से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक की। इसमें टैबी ने दावा किया है कि एक संस्था भारत में सत्ताधारी दल भाजपा से जुड़े लोगों के ट्विटर अकाउंट सेंसर करना चाहती थी।
टैबी ने बताया कि किस तरह से अटलांटिक काउंसिल की अमेरिका द्वारा फंड की जाने वाली डिजिटल फोरेंसिक रिसर्च लैब यानी DFR लैब कथित तौर पर ‘हिंदू राष्ट्रवाद’ और खासकर भाजपा से जुड़े ट्विटर अकाउंट को सेंसर करना चाहती थी।
DFR लैब ने जिन ट्विटर एकाउंट्स को प्रतिबंधित करने या शैडो बैन करने के लिए ट्विटर को ईमेल भेजा था, उनमें प्रमुख नाम भाजपा नेता कपिल मिश्रा, पूर्व रेलवे मंत्री पीयूष गोयल, भाजयूमो नेता ताजिंदर पाल सिंह बग्गा आदि के नाम शामिल हैं। इस नई खुलासे से स्पष्ट होता है कि अमेरिका द्वारा फंड की जाने वाली इस DFR लैब का बीजेपी और राष्ट्रवादियों के प्रति घृणा का पुराना इतिहास है।
टैबी के द्वारा दावा किया गया है कि DRF की इस रिपोर्ट में 40,000 भारतीय ट्विटर अकाउंट्स भाजपा और हिंदू राष्ट्रवाद के लिए कथित तौर पर गलत व्यवहार में शामिल थे। अप्रैल 2019 में समाचार एजेंसी रॉयटर्स द्वारा भी यह रिपोर्ट की गई थी।
DFR के लिए दी वायर से जुड़े विवादित नाम आयुष्मान कौल ने तैयार की थी रिपोर्ट?
आपको बता दें, अटलांटिक काउंसिल की DFR लैब के लिए यह रिपोर्ट कनिष्क करण और आयुष्मान कौल ने जारी की थी। आयुष्मान कौल प्रॉपगैंडा मीडिया वेबसाइट ‘दी वायर’ के लिए भी समय समय पर लेख लिखते रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि DFR लैब के लिए यह रिपोर्ट बनाने में आयुष्मान कौल ने ही कनिष्क करण की मदद की थी।
आयुष्मान कौल प्रॉपगैंडा समाचार पोर्टल ‘द वायर’ की फ़ेक ‘टेक फॉग’ और ‘मेटा स्टोरी’ का भी हिस्सा थे। आयुष्मान ने ही देवेश के साथ मिलकर फ़र्ज़ी टेक फॉग और मेटा स्टोरी बनाई थी। देवेश सभी सोशल मीडिया से गायब हो गए लेकिन आयुष्मान अभी भी @LogicallyAI नामक कम्पनी के साथ काम कर रहे हैं।
अटलांटिक काउंसिल और @DFRLab के निदेशक @GrahamBrookie ने आयुष्मान कौल को वर्ष 2019 में अपना ‘सबसे नया डिजिटल शेरलॉक’ (Newest Digital Sherlock) कहा था। यह वही आयुष्मान कौल है जिसने लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान एक लेख लिखा जिसमें उन्होंने दावा किया कि बीजेपी और कांग्रेस ने चुनाव के दौरान हेरफेर की थी।
आपको याद होगा कि अप्रैल 2019 में लगभग सभी मीडिया संस्थानों ने बताया था कि फेसबुक ने कांग्रेस से जुड़े 687 पेज अपने मंच से हटा दिए। लेकिन असल में सच्चाई यह थी कि फेसबुक ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों के पेज हटा दिए गए थे।
The Wire: पेगासस के आरोपों से Meta तक, लम्बा है ‘फोटोशॉप पत्रकारिता’ का षड्यंत्र
हालाँकि इसमें भाजपा के समर्थक वो पेज हटाए गए जिनमे फ़ॉलोअर्स की संख्या अधिक थी जबकि कांग्रेस के ऐसे पेज हटाए गए जिनके पास नाम मात्र की फ़ॉलोअर संख्या थी। यहाँ तक कि 20 लाख फॉलोअर्स वाले बड़े भाजपा समर्थक पेज ‘द इंडियन आई’ को भी हटा दिया गया था।
जब यह रिपोर्ट सामने आई, तो कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ही मीडिया के सवालों का जवाब देने के लिए आगे आए और उन्होंने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि ‘अभी कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगी।’
इसमें भी दिलचस्प बात यह है कि मनीष तिवारी अटलांटिक काउंसिल के सीनियर फेलो रह चुके हैं। यानी वही अटलांटिक काउंसिल जो @DFRLab को चलाता है।
साल 2017 में, मनीष तिवारी ने वाशिंगटन डीसी में अटलांटिक काउंसिल में राहुल गांधी की मेजबानी की थी। दूसरी तस्वीर, एकदम दायें, भरत गोपालस्वामी, मनीष तिवारी ने किसी भी तत्काल सहायता के लिए फेसबुक पर उनके नाम की सिफारिश की थी
@DFRLab ने CAA, JNU हिंसा, लव जिहाद के बारे में भ्रामक लेख प्रकाशित किए हैं। डीएफआर लैब के निदेशक ग्राहम ब्रुकी का मानना है कि भारतीय ट्विटर यूजर्स रूस के समर्थक हैं और भारत रूस को दुनिया से अलग-थलग करने में मदद नहीं कर रहा।
PIB द्वारा Fake साबित होने पर हटानी होगी खबर
डीएफ़आर लैब ने फर्जी खबरों और सोशल मीडिया बॉट्स का मुकाबला करने के नाम पर भारत में होने जा रहे आम चुनावों के ख़िलाफ़ प्रॉपगैंडा फैलाने की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। ध्यान देने की बात यह है कि यह सब जानकारियाँ ऐसे समय में सार्वजनिक हो रही हैं जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी विदेशों में जा कर भारत के विरुद्ध अपमानजनक दावे एवं मोदी सरकार पर बेबुनियाद आरोप लगाने में व्यस्त हैं।