बिहार में जातिगत सर्वे 2022 की रिपोर्ट की प्रामाणिकता को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। इसी कड़ी में किन्नर एसोसिएशन ने सवाल खड़े किए हैं। दरअसल, जातिगत सर्वे की इस रिपोर्ट में किन्नर समाज की जनसंख्या 825 बताई गई है। इस बात बिहार का किन्नर समाज नाराज है। एसोसिएशन का कहना है कि महागठबंधन सरकार ने बिहार में ट्रांसजेंडर की जनसंख्या गलत बताई है, यह एक भद्दा मजाक है।
अमर उजाला ने पटना नगर निगम में किन्नर एसोसिएशन की ब्रांड एंबेसडर रेशमा प्रसाद के हवाले से लिखा है कि “बिहार सरकार द्वारा ट्रांसजेंडर की संख्या गलत बताई गई है। इतने किन्नर तो केवल पटना के टोल प्लाजा, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन पर दिख जाएंगे। 2,500 से 3,000 किन्नर केवल पटना में हैं।”
रेशमा आगे कहती हैं कि “मैं बिहार सरकार पर सवाल नहीं उठा रही हूं। लेकिन, जो आंकड़े जारी किए गए हैं, वह गलत हैं। ऐसे आंकड़ें को किन्नर समाज स्वीकार नहीं कर पाएगी। पूरे बिहार में मात्र 825 ही किन्नर है, यह आंकाड़ा गलत है।”
किन्नर एसोसिएशन का कहना है कि हजारों ट्रांसजेंडर ऐसे हैं जिनके पास जातीय गणना करने वाली टीम नहीं आई है। बता दें कि बिहार में ट्रांसजेंडर समाज को जाति के रूप में गिना गया है और उन्हें कोड 22 दिया गया है।
बिहार किन्नर एसोसिएशन ने जातिगत सर्वे की रिपोर्ट का एक तरह से फैक्ट चेक किया है। किन्नर एसोसिएशन का कहना है कि साल 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, 40,897 ट्रांसजेंडर केवल बिहार में थे। वहीं, मतदाता पहचान पत्र के अनुसार 5,000 से अधिक ट्रांसजेंडर बिहार में मौजूद हैं।
वहीं, एसोसिएशन ने तंज कसते हुए नीतीश सरकार से पूछा है कि अब या तो वोटर आईडी के आंकड़े गलत हैं या फिर जनगणना की रिपोर्ट गलत है?
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