आम आदमी पार्टी के नेता और अरविन्द केजरीवाल सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार (सितम्बर 22, 2022) को दिल्ली की राऊज एवेन्यू जिला न्यायालय में कहा कि जैन ने बीमारी का नाटक किया और खुद को अस्पताल में भर्ती कराया, जिसे दिल्ली सरकार द्वारा प्रशासनिक रूप से चलाया जा रहा है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आप (AAP) नेता सत्येन्द्र जैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले को एक विशेष अदालत को स्थानान्तरित करने के लिए याचिका दायर की है। जिला सत्र न्यायाधीश विनय कुमार गुप्ता ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। आदेश सुनाया जाना अभी बाकी है। इसकी अगली सुनवाई 30 सितम्बर को होनी है।
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले को ट्रांसफर करने के लिए, तर्क देते हुए कहा कि शहर में स्वास्थ्य और जेल मंत्री के रूप में कार्य करने के बाद जैन डॉक्टरों और जेल अधिकारियों को प्रभावित कर सकते हैं। खराब स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत की माँग करते हुए जाली दस्तावेज भी बनवा सकते हैं।
सॉलिसिटर जनरल राजू ने कोर्ट को बताया कि सत्येन्द्र जैन प्रभावशाली व्यक्ति हैं। विभिन्न दस्तावेजों को रिकॉर्ड में लाने के बावजूद जैन जाली दस्तावेज पेश कर सकते हैं, इसलिए ईडी को मामले पर फैसला देने वाले विशेष न्यायाधीश के खिलाफ पूर्वाग्रह की आशंका है। हालाँकि, न्यायाधीश ने इस पर विचार करने से इनकार कर दिया है।
सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अदालत पर पक्षपात का आरोप लगाया
एसवी राजू ने अदालत से कहा कि जैन हिरासत में रहने के बावजूद अपनी पसन्द के अस्पताल में रहे। जैन ने अपने स्वास्थ्य की गम्भीर चिन्ता बताते हुए अदालत की कार्यवाही को स्थगित करने की कई बार माँग की और बाद में अंतरिम जमानत की मांग करने वाली याचिका को वापस ले लिया गया।
राजू ने कहा कि अगर इस बात में सच्चाई होती तो इस याचिका को वापस नहीं लिया जाता।
सत्येन्द्र जैन ने याचिका दायर की थी कि मैं बहुत बीमार हूँ, बुरी हालत में हूँ, हिल नहीं सकता, मुझे सहायता की आवश्यकता है। एसवी राजू ने कहा कि जैन बीमारी का नाटक कर रहे हैं लेकिन न्यायाधीश ने इस बिन्दु पर हमारे तर्कों पर विचार ही नहीं किया।
एसवी राजू ने कहा कि अस्पताल का प्रबंधन किया गया, वाले तर्क को न्यायाधीश खारिज कर सकते हैं लेकिन न्यायाधीश ने इस पर बात ही नहीं की, इस पर बहस ही नहीं की।
जेल मंत्री के तौर पर सत्येन्द्र जैन का जिक्र करते हुए एसवी राजू कहते हैं कि जेल कर्मचारी और जेल अधीक्षक उनके अधीन थे लेकिन न्यायाधीश ने हमारी कोई भी दलील नहीं मानी। राजू ने आगे कहा कि एक आम आदमी भी जानता होगा कि अगर अस्पताल का नेतृत्व करने वाला कोई मंत्री भर्ती होता है तो उस अस्पताल में उसकी जाँच कैसे होगी।
सत्येन्द्र जैन की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने प्रवर्तन निदेशालय के आवेदन को दुर्भावनापूर्ण बताते हुए कहा कि अब मामले की सुनवाई अपने अंतिम चरण में है। ईडी ने 15 सितम्बर से पहले कोई आशंका क्यों नहीं जताई।
अदालत सत्येन्द्र जैन और अन्य दो आरोपितों अंकुश जैन और वैभव जैन की जमानत याचिकाओ पर दलील सुन रही थी। जमानत की यह सुनवाई अन्तिम चरण में थी। सत्येन्द्र जैन और उनके दोनों साथी फिलहाल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने सत्येन्द्र जैन और अन्य के खिलाफ कथित आय से अधिक संपत्ति मामले में संबंधित पाँच कम्पनियों की 4.81 करोड़ रुपए की संपत्ति भी जब्त की थी।