हरियाणा के मेवात में फैले दंगों में हुई रहे भयानक हिंसा का सरलीकरण करने के लिए तमाम वामपंथी प्रॉपगेंडा नेटवर्क सक्रीय हो गया है। द वायर की नूँह हिंसा पर की गई रिपोर्ट इसी का एक उदाहरण है। प्रॉपगेंडा और फेक न्यूज को लेकर कुख्यात ‘द वायर’ ने अब मेवात स्थित नूँह के मंदिर में हिंदू महिलाओं और बच्चों को बंधक बनाए जाने की खबर का कथित ‘फैक्ट चेक’ किया है और ये साबित करने का प्रयास किया है कि उन्हें बंधक ही नहीं बनाया गया।
दरअसल, प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज ने दंगों पर जानाकारी दी थी कि सोमवार को नूँह में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान मुस्लिम दंगाइयों द्वारा एक मंदिर में लगभग 3000-4000 लोगों को बंधक बनाकर रखा गया था। अब ‘द वायर’ का कहना है कि उसने कथित तौर पर नल्हड़ महादेव मंदिर के पुजारी दीपक शर्मा से बात की जिन्होंने मंदिर में लोगों के बंधक बनाने की बात का खंडन किया है।
नूँह में हिंदू शोभायात्रा पर मुस्लिम कट्टरपंथियों के हमले को व्हाइट वॉश करने और कट्टरपंथियों को क्लीन चिट देने के लिए कट्टरपंथी समुदाय का एक गिरोह सक्रिय हो गया है। नल्हड़ महादेव मंदिर के पुजारी का कहना है कि श्रावण मास के सोमवार के कारण बड़ी संख्या में लोग मंदिर आए थे। इसके कारण मंदिर में बहुत सारे लोग जमा थे। हालांकि वो बाहर क्यों नहीं निकल पा रहे थे और यह बात ‘द वायर’ ने जानते हुए भी स्पष्ट नहीं की है।
मंदिर में पूजा करने के बाद भी महिलाओं और बच्चों सहित 3 से 4 हजार लोगों को मंदिर में छुपकर बैठना पड़ा था क्योंकि बाहर 800-900 मुस्लिम हमलावरों की भीड़ उनके निकलने का इंतजार कर रही थी।
सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो में देखा जा सकता है कि तीन ओर से पहाड़ी से घिरे नल्हड़ महादेव मंदिर के पास पहाड़ी से कट्टरपंथी भीड़ के द्वारा लगातार फायरिंग की जा रही है। बाहर गाड़ियों की आड़ में लोग स्वयं की रक्षा करते नजर आ रहे हैं जिनमें गार्ड और पुलिसकर्मी भी दिखाई दे रहे हैं।
दंगों से पूर्व मंदिर में लोग पूजा करने पहुँचे थे पर वे बाहर नहीं निकल पाए। इसका कारण बाहर फैली हिंसा और पहाड़ों से बरसती गोलियां थी। हालांकि द वायर यही दावा करेगा कि मंदिर में किसी को बंधक नहीं बनाया गया था। बंधक बनाने के लिए मंदिर में घुसपैठ की आवश्यकता को ही आधार मान रहा ‘द वायर’ वीडियो में बरसती गोलियों और हरियाणा के गृहमंत्री के बयान को झुठलाने की खातिर हर प्रयास करने के लिए तैयार है।
‘द वायर’ के इस प्रॉपगेंडा न्यूज पर कथित फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने भी ये साबित करने का प्रयास किया है कि मंदिर में कोई फंसा हुआ नहीं था। हालाँकि, न्यूज़पोर्टल दी लल्लनटॉप की एक ग्राउंड रिपोर्ट में मंदिर के पुजारी को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि मंदिर में उस समय करीब 3500 से ४००० लोग फंसे हुए थे। पुजारी यह भी कहते सुने जा सकते हैं कि बाहर उस समय हंगामा सुना जा सकता था। इस मामले में ड्यूटी मजिस्ट्रेट मुकुल कथूरिया की शिकायत पर दर्ज की गई एक एफआईआर कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।
ऑपइंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, मामले में दर्ज हुई दर्जनों एफआईआर में से सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, हरियाणा के कार्यकारी अभियंता (एक्सईएन) मुकुल कथूरिया जो कि डीएम की पोस्ट पर तैनात हैं, की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई एफआईआर में से एक में उल्लेख किया गया है कि 800-900 की इस्लामी भीड़ द्वारा मंदिर में जमा हुए भक्तों पर पथराव और गोलीबारी की गई।
हमले के दौरान मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया। जानकारी है कि डीएम कथूरिया और उनके ड्राइवर खुर्शीद, इंस्पेक्टर राजबाला और मंदिर में तैनात अन्य अधिकारियों के साथ-साथ श्रद्धालुओं पर मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ ने डंडों, बंदूकों और पत्थरों से हमला किया था।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा के मेवात के नूंह में सोमवार (जुलाई 31, 2023) को हिंदुओं की ‘बृजमंडल यात्रा’ पर मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ ने हमला कर दिया था। पीड़ित हिंदू प्रत्यक्षदर्शियों ने जानकारी दी है कि नल्हड़ शिव मंदिर पर कट्टरपंथियों की भीड़ द्वारा फायरिंग की गई। फायरिंग के कारण मंदिर में फंसे सैंकड़ों लोगों को पुलिस द्वारा रेस्कयू किया गया। हालांकि जब पुलिस लोगों को नूँह के पुलिस लाइन ले जा रही थी तब भी मुस्लिमों कट्टरपंथियों की भीड़ द्वारा पत्थरबाजी की गई थी।
सोशल मीडिया पर सिलेंडर और चाकू-तलवारों के लहराने की वीडियो लगातार सामने आ रहे हैं। हालांकि लेफ्ट-लिबरल लॉबी ने इसे व्हाइटवॉश शुरू कर दिया है। मंदिर पर हमले के वीडियो मौजूद होने के बाद भी लोगों के बंधक बनाने की बात का खंडन करना अपराध का सरलीकरण करना है। फेक न्यूज पैडलर्स क्या इस बात का जवाब दे पाएंगे कि मंदिर में उपस्थित लोग अगर बाहर निकलते तो क्या वे सुरक्षित घर पहुँत जाते?
मेवात में हिंदू त्यौहारों पर हिंसा और दलितों पर अत्याचार की खबरें सुर्खियों में बनी ही रहती हैं। इनके लंबे समय से अस्तित्व में होने का एक कारण इन अपराधों का सरलीकरण कर देना भी है। ठीक उसी तरह जिस तरह ‘द वायर’ ने मंदिर में फंसे लोगों पर कोई खतरा होने से इंकार कर दिया है। अपराध का सरलीकरण न्याय की संभावना को शून्य कर देता है।