प्रॉपगेंडा समचार वेबसाइट दी वायर (The Wire) अपनी कुछ हालिया रिपोर्ट्स , जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय आईटी सेल (IT Cell) के प्रमुख अमित मालवीय पर आरोप लगाए गए थे, के कथित ई-मेल स्क्रीनशॉट पर अब गम्भीर सवालिया-निशान लग गए हैं।
मेटा (फेसबुक और इंस्टाग्राम की मालिकाना कम्पनी) प्रकरण पर ‘दी वायर’ की रिपोर्ट मनगढ़ंत ही साबित हुई है। यह बयान मेटा की ओर से पहले भी जारी किया गया है। इसी कड़ी में अब ‘दी वायर’ का एक और शातिराना कारनामा सामने आया है। ‘दी वायर’ ने जिन स्क्रीनशॉट को सबूत के तौर पर अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है, वो फेक पाए गए हैं।
इस स्क्रीनशॉट में देखा जा सकता है कि दी वायर को यह ई-मेल बुधवार, 12 अक्टूबर 2021 को आया। जबकि असल में यह ई-मेल वर्ष 2022 का होना चाहिए। हालाँकि, दी वायर ने इसे कम्प्यूटर में दिनाँक, समय, वर्ष की गड़बड़ी बताया और बाद में इसे ठीक भी किया।
यहाँ हैरानी की बात यह है कि साल 2021 में 12 अक्टूबर को बुधवार नहीं बल्कि मँगलवार था। अब सवाल उठता है कि यह स्क्रीनशॉट अगर सच में साल 2022 की जगह 2021, कम्प्यूटर में गड़बड़ी के कारण था तो फिर मँगलवार की जगह बुधवार होना कैसे सम्भव है?
कम्प्यूटर में दिनाँक की गड़बड़ी में भी आदर्श स्थिति तो यह होती है कि जिस दिनाँक को जो भी दिवस आ रहा है, वह कभी नहीं बदलता। यह सरासर स्क्रीनशॉट से छेड़छाड़ या फोटोशॉप की कारस्तानी प्रतीत होती है। दी वायर ने भी यही किया है। दी वायर ने साल तो बदल दिया लेकिन दिवस बदलना भूल गया।
ऊपर वाले स्क्रीनशॉट की भाँति एक और स्क्रीनशॉट जिसमें शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2021 दिखाई दे रहा है। जबकि, साल 2021 में इस दिन गुरुवार था और स्क्रीनशॉट इस दिन को शुक्रवार बता रहा है। दी वायर ने इस झूठ को कम्प्यूटर की गड़बड़ी बताते हुए अपना पल्ला झाड़ने का असफल प्रयास किया था, हालाँकि वायर ने दिवस में गड़बड़ी के पीछे की शातिराना हरकत का जिक्र तक नहीं किया है, न ही इस पर कोई सफाई दी है?
इस पूरे प्रकरण पर अनधिकृत सूत्रों के हवाले से तमाम मनगढंत कहानियाँ रचने के बाद दी वायर अब पीछे हट गया है। इसकी एक वजह यह भी है कि दी वायर के झूठ के पुलिन्दे को ढहते अधिक समय नहीं लगा।
इस झूठ पर देश-विदेश से लगातार आलोचनाओं का सामना करने के बाद अब दी वायर ने एक बयान जारी कर इस पूरे प्रकरण को यहीं समाप्त करने की घोषणा भी कर दी है। दी वायर तथा इसके संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन ट्विटर पर मेटा कम्पनी के अधिकारियों से किए अपने संवादों को सच साबित कर पाने में बुरी तरह नाकाम रहे।