कल्पना कीजिए कि भारत का प्रधानमंत्री कहीं कोई किसी तरह का पप्पू या कोई मफलरवाला हो जाए! अगर आप उस तबाही की कल्पना नहीं कर पा रहे, जो ऐसे लोगों के आने से होगी, तो जरा एक नजर अमेरिका पर डालिए। वहाँ बायडेन की सरकार आते ही लिबरल-प्रगतिशील कहलाने वाली जमातों में विश्वव्यापी ख़ुशी की लहर तो याद ही होगी।
ये सरकार कैसे सत्ता में आई, अब इसका एलन मस्क ने खुलासा कर डाला है। जैसा भारत में दो-तीन फिल्में (तास्कंद फाइल्स, कश्मीर फाइल्स) लगातार बनाकर विवेक अग्निहोत्री ने ‘फाइल्स’ शब्द को भ्रष्टाचार-घोटालों से जोड़ा है, उसका असर भी ट्विटर के इस नए खुलासे में नजर आया। एलन मस्क ने ट्विटर के जरिये चुनाव को प्रभावित करने का ये खुलासा भी ‘द ट्विटर फाइल्स’ नाम से ही किया है!
एलन मस्क के ‘द ट्विटर फाइल्स’ नाम से किए गए खुलासे के बाद से ट्विटर की भूतपूर्व कानूनी मामलों की प्रमुख विजया गड्डे की गिरफ़्तारी की मांग भी उठने लगी है।
अनगिनत सोशल मीडिया ट्वीट/पोस्ट में कई नामी-गिरामी लोग भी विजया गड्डे पर मुकदमा चलाने की मांग करते पाए गए। अपने खुलासे में मस्क ने ट्विटर में उस दौर में चल रहे आन्तरिक संवाद के कई दस्तावेज सार्वजनिक किए हैं। पिछले अमेरिकी चुनावों के दौरान डेमोक्रेटिक पार्टी अपनी लिस्ट ट्विटर को भेज देती थी।
ऐसी ही सूचियों के जरिये ट्विटर ने ट्रम्प के शासन के दौरान अमेरिका के प्रेस सेक्रेटरी को भी प्रतिबंधित कर दिया था। राष्ट्रपति ट्रम्प को प्रतिबंधित करने पर तो काफी हंगामा भी हुआ था। हाल ही में ये भी पता चला है कि बच्चों से जुड़ी पोर्नोग्राफिक फिल्मों को ट्विटर से हटाने के पीड़ितों के निवेदन को भी ट्विटर विजया गड्डे जैसों के दौर में ठुकराता रहा था।
एक कंपनी के तौर पर एक पक्ष की बात मानकर चुनावों के दौर में दूसरे पक्ष के लोगों को प्रतिबंधित करने का आरोप ट्विटर पर केवल एक ही देश में नहीं रहा। भारत में ट्विटर के कर्मचारी जातिवाद को बढ़ावा देते पोस्टर लिए दिखे थे। लेफ्ट-लिबरल और तथाकथित प्रगतिशील गिरोहों के इशारे पर भारत का पक्ष रखने वालों के अकाउंट भी ट्विटर ने विजया गड्डे जैसों के दौर में कई बार प्रतिबंधित किए।
जब आन्तरिक ईमेल सामने आये, तो ये स्पष्ट हो गया है कि इस ‘सेंसरशिप’ की कमान सँभालने वालों में से प्रमुख खुद विजया गड्डे भी थीं। ‘हंटर बायडेन मामले’ पर लिखे हर वाक्य को सेंसर कर देने के लिए भी विजया गड्डे जानी जाती है।
उसी दौर में व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कालेइघ मैकईनेनी (Kaleigh McEnany) का अकाउंट भी प्रतिबंधित कर दिया गया था। अगर “हंटर बाईडेन” मामले पर चर्चा हुई होती, तो इस भ्रष्टाचार की जानकारी के बाद चुनावी नतीजे निश्चित रूप से अलग होते।
जब हंटर बाईडेन के लैपटॉप में कई विवादास्पद ईमेल पाए जाने की खबर 2020 के यूएस चुनावों के समय सामने आई थी तो ट्विटर और विजया गड्डे ने उसे पूरी तरह दबा दिया था। इनके बारे में यूएस कांग्रेस (डेमोक्रेटिक) के रो खन्ना ने लिखा था कि “न्यूयॉर्क पोस्ट अति दक्षिणपंथी है तो भी उसमें आई खबर को सेंसर कर देना, सही नहीं है”।
इस मामले पर तब के ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी ने भी कहा था कि हंटर बायडेन लैपटॉप मामले को सेंसर कर देने को सही नहीं ठहराया जा सकता। उस समय ‘द न्यूयॉर्क पोस्ट’ ने कहा था कि इन ईमेल की जानकारी उनके पास ट्रम्प के भूतपूर्व रणनीतिकार स्टीव बैन्नन के जरिए आई थी और उसने सीधे ट्रम्प के निजी वकील रूडी गिउलिआनि से ये ईमेल हासिल किए थे।
इसे चुनावों के समय किया जाने वाला दुष्प्रचार बताकर दबा दिया गया था। उस वक्त भी कई लोगों का मानना था कि ये अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन का सीधा सीधा उल्लंघन है। ट्विटर के तब के अधिकारियों ने इस पर कोई सुनवाई नहीं की।
इस किस्म के झूठ के जरिये चुनावों को प्रभावित करने का दोष केवल विजया गड्डे पर भी नहीं आएगा। उस समय योएल रोथ ट्विटर के “विश्वास एवं सुरक्षा” (ट्रस्ट एंड सेफ्टी) के विभाग के प्रमुख थे। उन्होंने हंटर बाईडेन लैपटॉप की कहानी को गायब करने को सही ठहराया था।
उन्होंने कहा था कि ये समाचार हैक किये गए सबूतों पर आधारित है। इस तरह के मामलों में 2016 में हुई घटनाओं से सबक लेते हुए, कहानी को बढ़ने, फलने-फूलने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए।
ये एक सफ़ेद झूठ था। एफईसी से झूठ कहने कि ट्विटर को गुप्तचर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हंटर बाईडेन को हैक किया गया था, के लिए अब योएल रोथ पर मुकदमा किये जाने की बात भी हो रही है। अब ये मांग भी कुछ “ब्लू टिक धारी” हैंडल्स से सामने आ रही है।
विजया गड्डे की तस्वीर जिसमें वो हिलेरी क्लिंटन के साथ खड़ी दिखती हैं, वो उन्होंने स्वयं ही ट्वीट की थी।
अब सवाल ये है कि जैसा भारत में छोटे-अजीब बाल रखने वाली एक पत्रकार के साथ तस्वीरें खिचाने को कई लोग अपशकुन मानते हैं, कहीं वैसी ही छवि अमेरिका में विजया गड्डे की तो नहीं बनने वाली?