जो कांग्रेसी पत्रकार राजदीप सरदेसाई कुछ समय पहले तक भारत में जातियों को बांटने की बात कर रहे थे वह अमेरिका चुनाव में हुई डॉनल्ड ट्रंप की जीत से बौखलाते हुए अमेरिकियों को काले और गोरे में बांटना चाहते हैं।
सवाल है कि ट्रम्प की जीत से राजदीप सरदेसाई क्यों बौखलाए हुए हैं? दरअसल ट्रंप की जीत से धक्का केवल राजदीप सरदेसाई को ही नहीं बल्कि उनके पूरे इकोसिस्टम को लगा है इस लिबरल इकोसिस्टम में राणा आयूब,आरफा ख़ानम शेरवानी, यूट्यूब पत्रकार रवीश कुमार भी आते हैं।
शुरुआत राजदीप सरदेसाई से :
कथित पत्रकार राजदीप सरदेसाई हमला करने में सबसे तेज़ हैं यह दो कदम आगे निकले सरदेसाई जी के पोस्ट को देखिए वो सवाल कर रहे हैं Was America really ready for a women of colour of mixed race, the answer is no – वो सीधे तौर पर हैरिस की नस्ली पहचान को आगे रख रहे थे,जबकि ऐसा करना अक्सर नस्लीय हमले में आता है ।
इसमें वो एक डेटा भी शेयर करते हैं और दिखाने का प्रयास किया गया कि अमेरिका में व्हाइट मैन एंड वूमेन ने ट्रंप को अपने वोट दिए तो वही ब्लैक मैन एंड वूमेन ने हैरिस को अपने वोट दिए यानी वह यहां साफ-साफ काले और गोरों में भेदभाव कर रहे हैं और यह भी बता रहे हैं कि अमेरिका नस्लीय एवं सांस्कृतिक रूप से विभाजित है और 2024 का अमेरिका चुनाव इसी आधार पर हुआ।
मगर Rajdeep sardesai ये कभी हाइलाइट नहीं करेंगे की 2024 का अमेरिकी चुनाव वास्तव में Inflation, Wokeism, Illegal Immigration के मुद्दों पर हुआ है इन्हीं मुद्दों को आगे रखकर अमेरिकी जनता ने ट्रंप को वोट देकर उन पर विश्वास जताया है।
अब आगे बढ़ते हैं राणा आयूब, आरफा खानुम शेरवानी और रविश कुमार की ओर :
जैसे राणा आयूब प्रधनमंत्री मोदी की छवि को अपने इंटरनेशनल मीडिया पोर्टल वाशिंटन पोस्ट में ख़राब करने की कोशिश करती रहती हैं ठीक वैसे ही ट्रम्प की जीत के बाद यह हथकंडा उनपर भी अपनाया जा रहा है। वो अमेरिकी राष्ट्रीपति ट्रम्प को convicted criminal घोषित करना चाहती हैं। मैडम लगातार सोशल मीडिया पर सक्रिय बनी हुई है और लगातार ट्रंप के खिलाफ पोस्ट किये जा रहे हैं।
कुछ इसी तरह हमें आरफा खानुम शेरवानी भी करती नज़र आई। वो पोस्ट कर रही हैं Looks like, this is it ! मानो ट्रम्प की जीत से अरफ़ा खानुम शेरवानी का सब कुछ ख़तम हो गया हो, वो लिख रही हैं, The world has become a little more darker, grimier and hopeless place मानो अरफ़ा मैडम को हर रोज़ एक नया ज़ख़्म मिल रहा हो। ठीक इसी तरह यूट्यूब पत्रकार रवीश कुमार भी ट्रम्प की जीत से शायद खुश नहीं वो भारतीयों से सवाल कर रहे हैं।
अब अंत में यही कहना है कि ये कथित पत्रकार इस ज़ख़्म से खुद ही उबरना नहीं चाहते, तो यह दिन ब दिन गहरा होता जा रहा है यही कारण है कि समाज में यह नफरत फैलाने का काम करते हैं मगर हम निरंतर ही इन कथित पत्रकारों पर नज़र बनाये हुए हैं ताकि इनके प्रोपेगंडा का खुलासा किया जाए।
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