वाम-लिबरल वर्ग The Kerala Story (द केरला स्टोरी) फ़िल्म की लोकप्रियता से बौखलाया हुआ है। रवीश कुमार से ले कर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी तक इसी की तर्ज़ पर ‘गुजरात फाइल्स’ (Gujarat Files) बनवाने निकले थे मगर माफ़ी माँगनी पड़ गई। देखते हैं क्या है गुजरात फाइल्स का मामला।
हमें है शौक़ कि बे-पर्दा तुम को देखेंगे, तुम्हें है शर्म तो आँखों पे हाथ धर लेना… शायर ने यहाँ पर मन की बात तो लिख दी लेकिन शायर ने ये नहीं बताया कि किसकी आँखों पर हाथ धर लेना? वैसे दाग की इस शायरी जैसा ही कुछ हाल पिछले कुछ समय से देश के वाम-लिबरल गिरोह का है।
आपको कश्मीरी पंडितों की त्रासदी पर बनी विवेक अग्निहोत्री की फ़िल्म द कश्मीर फ़ाइल्स याद होगी ही? लेफ्ट लिबरल्स ने इस फ़िल्म के बनने के बाद कहा था कि कश्मीर में हिंदुओं पर अत्याचार तो हुए थे, लेकिन इतने नहीं हुए। ये वो लोग थे जिन्होंने इस फ़िल्म के आने से पहले कभी ये तक ऐक्सेप्ट नहीं किया था कि कश्मीर में कभी इस क़िस्म का अत्याचार भी हुआ।
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अब यही लोग एकबार फिर नींद से जागे हैं और इन्हें नया असाइनमेंट मिला है। ये असाइनमेंट है द केरल स्टोरी फ़िल्म को प्रॉपगैंडा साबित करने का। इसके लिए कमान थामी है ‘द वायर’ की सीनियर प्रॉपगेंडिस्ट आरफ़ा ख़ानम शेरवानी और ‘RJ in disguise’ सायमा ने। एक नाम और भी इस लिस्ट में शामिल है, वो है रवीश कुमार चचा का।
The Kerala Files को प्रॉपगेंडा कहने वाले चाहते थे Gujarat Files बनवाना
इस्लामी धर्मांतरण की साजिशों को मेनस्ट्रीम की बहस में लाने वाली इस फ़िल्म से कट्टरपंथी, लिबरल और वामपंथी गैंग इतने परेशान हैं कि इसकी काट के लिए वो अब, गुजरात को लेकर प्रोपेगेंडा शुरू कर रहे हैं। द वायर ने National Crime Record Bureau (NCRB) के आँकड़ों का हवाला देकर दावा किया, कि गुजरात से 5 साल में करीब 40,000 महिलाएँ गायब हुईं हैं। इन आधे-अधूरे डेटा को लाकर प्रॉपगैंडा करने वालों का फैक्ट चेक ख़ुद गुजरात पुलिस ने किया है।
द वायर जैसे कुछ Propganda पोर्टल्स अपने कुछ पोस्ट में ये कहते देखे जा रहे हैं कि साल 2016 से 2020 के बीच गुजरात से 40,000 से ज़्यादा महिलाएँ लापता हुई हैं।
व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के कुलपति रवीश कुमार ने तो अपने फ़ेसबुक पोस्ट में साहित्यिक होते हुए लिखा, “नरेंद्र मोदी से पूछो, गुजरात की लड़कियां कहाँ ग़ायब हो गई हैं? 6 करोड़ गुजराती की अस्मिता की बात करने वाले नरेंद्र मोदी बता सकते हैं कि चालीस हज़ार लड़कियाँ कहाँ हैं? हिंदू राष्ट्र की प्रयोगशाला गुजरात में लड़कियों को ग़ायब करने का कौन सा प्रयोग चल रहा है? क्या यह भयानक नहीं है? ऐसा क्यों हुआ होगा?”
इन पंक्तियों में आप ध्यान से देखिए सारे कीवर्ड्स हैं – “हिंदू, मुस्लिम, गुजरात नरेंद्र मोदी, भयानक और कुछ प्रश्नवाचक चिन्ह” भी, इसमें अगर कुछ नहीं है तो वो है सच। और इसी वजह से रवीश कुमार को अगले फ़ेसबुक पोस्ट में माफ़ी भी माँगनी पड़ी। यही रवीश कुमार अगले पोस्ट में लिखेंगे कि देश में हिंदू-मुसलमान हो रहा है और लोग व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी पर झूठ फैला रहे हैं।
तो असली मामला क्या है ये गुजरात पुलिस ने ख़ुद बता दिया। सोमवार 8 मई, 2023 को गुजरात पुलिस ने ट्विटर पर बताया कि जिन लापता महिलाओं की वो बात कर रहे हैं, उन 41,621 महिलाओं में से 39,497 को खोज कर उनके परिवारों से वापस मिलाया जा चुका है।
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अपने ट्वीट में गुजरात पुलिस ने बताया है कि लापता महिलाओं की संख्या NCRB ने दी ज़रूर है, लेकिन इनमें से 95% महिलाओं को तलाश कर उनके परिवार से मिलाया जा चुका है। पुलिस ने इन महिलाओं के लापता होने की वजह पारिवारिक विवाद, घर से भाग जाना, परीक्षा में फेल होना आदि बताया है। गुजरात पुलिस ने ये भी बताया कि गुमशुदगी के इन मामलों में यौन शोषण या अंगों के लिए मानव तस्करी से जुड़े होने का सबूत नहीं मिला है।
गुजरात पुलिस ने बताया है कि लापता होने वालों की खोज स्थानीय पुलिस सुप्रीम कोर्ट के मानकों के अनुसार करती है, और ये डाटा राष्ट्रीय स्तर की एक विशेष वेबसाइट पर इसलिए अपलोड किया जाता है ताकि जाँच में अन्य राज्यों की पुलिस की मदद हो सके।
वास्तव में, आरफ़ा ख़ानम जैसे लोग जब इस क़िस्म की खबरें शेयर करते हैं, तो वो ये नहीं बता रहे होते कि वो इन महिलाओं या लड़कियों के लिए चिंतित हैं, बल्कि वो ये बताना चाह रहे होते हैं कि अगर केरल में ऐसा हुआ भी हो, तो क्यों ना गुजरात जैसे किसी राज्य की छवि को नुक़सान पहुँचाया जा सके।
ये तब और भी स्पष्ट हो जाता है जब आरफ़ा ख़ानाम इस फ़िल्म के ख़िलाफ़ सिलसिलेवार ट्वीट कर इसे प्रॉपगैंडा बताती है। यानी इन्हें उन लड़कियों की चिंता नहीं है जिन्हें बहला फुसला कर बर्बाद कर दिया जाता है, इनकी पहली चिंता ये है कि कहीं ‘रिलिजन ऑफ़ पीस’ का कोई फैक्ट चेक ना कर दे, जबकि कोर्ट कुछ ही दिन पहले इस फ़िल्म का फैक्ट चेक करते हुए बोल चुकी है कि केरला स्टोरी फ़िल्म का सिर्फ़ ISIS से संबंध है ना कि किसी के रिलिजन से। आरफ़ा ख़ानम को लगता है कि काश झूठ को भी फोटो की तरह फ़ोटोशॉप कर के स्ट्रेच किया जा सकता, लेकिन हक़ीक़त में ऐसा नहीं होता ।
आरफ़ा का मक़सद है कि इस प्रकार की खबर को द केरला स्टोरी फिल्म से कनेक्ट किया जाए और उस फिल्म को केरल में होने वाली लव जिहाद की घटनाओं से जोड़कर प्रॉपगैंडा किया जाए। यही वजह है कि कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे ‘गुजरात स्टोरी’ नाम देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को घेरने की कोशिश की और लिखा कि इसकी कहानी कौन दिखाएगा?
बता दें कि द केरला स्टोरी फ़िल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से कट्टरपंथी समूहों द्वारा, ग़ैर मुस्लिम लड़कियों को ब्रेनवाश कर उन्हें ISIS जैसे आतंकी संगठनों के लिए सेक्स स्लेव बना दिया जाता है।
हाल ही में रिलीज़ हुई ये फिल्म केरल में हुई लव जिहाद की साजिशों को बेनक़ाब करती है। इस फ़िल्म को जहां बड़े स्तर पर लोगों द्वारा सराहा जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे प्रदेश की सरकारों ने इसे बैन भी कर दिया है। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस फ़िल्म को अपने -अपने प्रदेश में टैक्स फ्री करने की घोषणा कर दी है।