23 अगस्त, 2024 को उत्तर-प्रदेश के बलिया के कांग्रेसी नेता भोलानाथ पांडेय का निधन हो गया। यह वही कांग्रेसी नेता थे जिन्होंने गांधी परिवार के प्रति वफादारी दिखाने के लिए अपने साथी के साथ मिलकर एक प्लेन हाईजैक कर लिया था। इससे भी बड़ी बात यह है कि कांग्रेस पार्टी ने इन्हें और इनके साथी दूसरे हाईजैकर को ‘वफादारी’ का जीवनभर इनाम दिया। आइए, The IC 410 Hijacking Case विस्तार से समझते हैं।
IC 410 Hijacking Case: कांग्रेस नेता थे हाईजैकर्स
20 दिसंबर, 1978 को इंडियन एयरलाइन्स की फ्लाइट संख्या IC 410 ने शाम 5 बजकर 45 मिनट पर लखनऊ से दिल्ली के लिए उड़ान भरी। बोइंग 737 में 126 पैसेंजर और 6 क्रू के सदस्य मिलाकर कुल 132 लोग सवार थे। प्लेन अपने तय समय पर दिल्ली में लैंड करता उससे पहले 2 यात्री अपनी सीट से उठे और प्लेन के आगे के हिस्से में आ गए।
इन दो यात्रियों के नाम थे- भोलानाथ पांडेय और देवेंद्र पांडेय। इन दोनों यात्रियों ने एयर होस्टेस को किसी तरह से चकमा दिया और प्लेन की कॉकपिट में घुस गए।
इसके बाद जो हुआ उसने प्लेन में मौजूद सभी 132 लोगों की सांसें रोक दी। कॉकपिट से पायलट एम.एन. बत्तीवाला ने एक घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्लेन हाईजैक हो गया है। प्लेन में बैठे 126 यात्रियों और 6 क्रू के सदस्यों का गला सूख गया। तभी कॉकपिट से एक और घोषणा होती है। “हम वाराणसी की ओर जा रहे हैं।”
क्या आप जानते हैं कि प्लेन हाईजैक करने वाले दोनों हाईजैकर्स भोलानाथ पांडेय और देवेंद्र पांडेय कौन थे? यह दोनों हाईजैकर्स कांग्रेस पार्टी के नेता थे।
कांग्रेस पार्टी के इन नेताओं ने पायलट से कहा कि वे प्लेन को नेपाल या फिर बांग्लादेश ले चलें। पायलट ने पर्याप्त ईंधन न होने का हवाला दिया। ऐसे में कांग्रेस नेताओं ने प्लेन को वाराणसी ले जाने के लिए कहा।
वाराणसी में लैंडिंग के बाद कांग्रेस नेता भोलानाथ पांडेय और देवेंद्र पांडेय ने दो मांगें रखी। पहली यह कि जेल में बंद इंदिरा गांधी को रिहा किया जाए। दूसरी यह कि इंदिरा गांधी और संजय गांधी के ऊपर दर्ज सभी मुकदमे वापस लिए जाएँ।
इंदिरा गांधी को रिहा कराना चाहते थे हाईजैकर्स
अब आप समझ गए होंगे कि इन कांग्रेसी नेताओं ने गांधी परिवार के प्रति वफादारी दिखाने के लिए प्लेन हाईजैक किया था। मनमोहन सिंह ने भी 10 साल वफादारी निभाई। नाम के प्रधानमंत्री वह स्वयं बने रहे और सरकार सोनिया गांधी चलाती दिखी। मल्लिकार्जुन खड़गे भी वफादारी निभाते दिख रहे हैं। नाम के कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे हैं, जबकि पार्टी गांधी परिवार चलाता दिखता है।
जब सोनिया गांधी और राहुल गांधी के कुत्ते तक पर कांग्रेस नेता जान-न्योछावर करते हैं। आह! और वाह! करते हैं, तब कुछ लोग कहते हैं कि ये होती है वफादारी। उन लोगों को समझना होगा कि कांग्रेस पार्टी में वफादारी की ये ‘परंपरा’ दशकों से चली आ रही है। मनमोहन सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे और सुप्रिया-जयराम-पवन खेड़ा के बहुत पहले से कांग्रेस में ‘वफादारी’ और ‘तपस्या’ का कल्चर रहा है।
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हम अपने IC 410 Hijacking Case पर आगे बढ़ते हैं। कांग्रेसी नेताओं ने प्लेन हाईजैक किया था क्योंकि वे इंदिरा गांधी को जेल से रिहा करवाना चाहते थे। प्रश्न उठता है कि इंदिरा गांधी जेल में कैसे पहुंची?
देखिए, इमरजेंसी के बाद हुए चुनावों में जनता पार्टी की सरकार बनी। मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। सरकार बनने के बाद जनता पार्टी में आपसी सिर-फुटव्वल शुरू हो गई। ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने स्वयं को पुनर्जीवित करने के लिए देशभर में जनता पार्टी सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन शुरू कर दिए।
इसी बीच 19 दिसंबर, 1978 को लोकसभा ने इंदिरा गांधी को “breach of privilege and contempt of the House” के आरोप में सदन की प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त कर दिया और उन्हें जेल भेज दिया। संसद के शीतकालीन सत्र के ख़त्म होने तक इंदिरा गांधी को जेल में रहना था।
कांग्रेस पार्टी ने इंदिरा गांधी को जेल भेजने के विरुद्ध प्रदर्शन शुरू कर दिए। इसी क्रम में इंदिरा गांधी और कांग्रेस के प्रति अपनी वफादारी दिखाने के लिए बलिया के इन दो कांग्रेसी नेताओं ने प्लेन हाईजैक किया था।
उधर, कांग्रेस नेता प्लेन हाईजैक करके वाराणसी एयरपोर्ट पर ले गए और यहाँ उन्होंने उत्तर-प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रामनरेश यादव से बात कराने की मांग की। मुख्यमंत्री रामनरेश यादव लखनऊ से वाराणसी पहुँचे।
हाईजैकर्स कांग्रेसी नेताओं और सरकार के बीच रातभर बातचीत चलती रही लेकिन इन वफ़ादार कांग्रेसी नेताओं ने यात्रियों को नहीं छोड़ा। पूरी रात यात्रियों को प्लेन के अंदर बंद करके रखा गया। पूरी रात यात्री डरे, सहमे, घबराए, परेशान प्लेन में बैठे रहे। दूसरे दिन सुबह 6.30 बजे इन कांग्रेसियों ने सरेंडर कर दिया।
कांग्रेस ने किया हाईजैकर्स को पुरस्कृत
अब इससे आगे IC 410 Hijacking Case में जो हुआ वो बहुत ध्यान से पढ़िए। दोनों कांग्रेसी नेताओं को वाराणसी से सरकारी प्लेन में लखनऊ लाया गया। यहाँ जब उन्हें गिरफ्तार किया गया तब वे दोनों ‘इंदिरा गांधी जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे। अंग्रेजी समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार दोनों नेताओं को प्लेन हाईजैक करने के लिए कांग्रेस के ही दूसरी नेताओं ने पैसे दिए थे।
26 दिसंबर, 1978 को इंदिरा गांधी जेल से रिहा हो गई। बाद के वर्षों में लोकसभा चुनाव हुए और इंदिरा गांधी दोबारा केंद्र की सत्ता में आ गई। तब इन नेताओं को वफादारी का इनाम मिलना शुरू हुआ।
इंदिरा गांधी के सत्ता में आते ही प्लेन हाईजैक करने वाले कांग्रेसी नेता भोलनाथ पांडेय और देवेंद्र पांडेय को जेल से रिहा कर दिया गया। दोनों के ऊपर जो भी केस दर्ज थे उन्हें हटा लिया गया। इतना ही नहीं, दोनों को यूपी विधानसभा चुनाव 1980 में कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया और दोनों चुनाव जीत गए। इसके बाद 1989 में भोलानाथ पांडेय दोबारा कांग्रेस के विधायक बने।
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दोनों कांग्रेसी नेताओं का प्लेन हाईजैक करने बाद पार्टी में कद बहुत बढ़ गया था। उन्हें गांधी परिवार का सबसे करीबी समझा जाता था। कांग्रेस पार्टी ने भोलानाथ पांडेय को पहले यूथ कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव बनाया फिर कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव भी बनाया।
मीडिया में इस हाईजैक की चर्चा बहुत कम हुई, जो चर्चा हुई भी वो भी बहुत हल्के तरीके से हुई। हाईजैक को ‘कॉमेडी’ की तरह से दिखाया गया। इन पार्ट टाइम हाईजैकर्स और फुल टाइम कांग्रेसी नेताओं ने खिलौने वाली बंदूक और बॉल का इस्तेमाल हाईजैकिंग के लिए किया था, ऐसे में बार-बार उसे कॉमेडी का रंग देने का प्रयास किया गया।
सवाल है क्यों? इंडियन एयरलाइन्स का प्लेन हाईजैक हुआ था, चाहे जैसे भी हुआ हो, उसे इतने हल्के में क्यों लिया गया? 132 लोगों की जान को कांग्रेसी नेताओं ने खतरे में डाल दिया था।
132 लोगों को बंधक बनाकर रखा, उसे हल्के में क्यों लिया गया? कांग्रेस पार्टी से भी इसको लेकर कभी सवाल नहीं पूछा गया कि उन्होंने हाईजैकर्स को पुरस्कृत क्यों किया?