आज संविधान दिवस पर नीचे की दोनों तस्वीरों को ध्यान से देखिए। पहली तस्वीर 2011 की है जब गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी जी ने संविधान गौरव यात्रा का आयोजन किया था। उस समय उन्होंने हाथी की पीठ पर Constitution की प्रतिलिपि रखकर उसके सम्मान में यात्रा निकाली थी और स्वयं पैदल चलकर उसे नेतृत्व दिया था।
दूसरी तस्वीर जून 2024 की है जब तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद पीएम मोदी एनडीए संसदीय दल की बैठक में हिस्सा लेने संसद के सेंट्रल हॉल में पहुँचे थे। तब पीएम मोदी ने संविधान को अपने हाथों में लेकर सिर माथे से लगाया था, उसे नमन किया था।
अब तीसरी तस्वीर देखिए। 2014 में जब पीएम मोदी पहली बार बतौर सांसद संसद में पहुँचे तो उन्होंने संसद में घुसने से पहले सिर झुकाकर माथा टेककर संसद को नमन किया था।
ये हैं पीएम मोदी, जिन्हें कांग्रेस पार्टी और इकोसिस्टम संविधान विरोधी साबित करने का असफल प्रयास कर रहा है।
सवाल ये है कि राहुल गाँधी को भले ही भाजपा मंदबुद्धि कहती है, बालकबुद्धि कहती हैं लेकिन फिर भी उन्हें इतनी समझ तो होनी चाहिए कि हाथी को बार-बार ऊँट बोलने से वो ऊँट नहीं बन जाएगा, वो हाथी ही रहेगा।
संविधान के प्रति- संसद के प्रति- देश के लोकतंत्र के प्रति- देश की लोकतांत्रिक मान्यताओं और व्यवस्थाओं के प्रति पीएम मोदी का सम्मान और विश्वास कोई आज से नहीं है, बनावटी, दिखावटी या फिर सजावटी नहीं है बल्कि वो सम्मान भाजपा की नीतियों में है- भाजपा के संस्कारों में है- भारतीय संस्कारों में है। पीएम मोदी के राजनीतिक संस्कार भी उन्हीं नीतियों से बने हैं। ऐसे में आप उन्हें कैसे संविधान विरोधी सिद्ध कर पाएंगे?
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कितनी भी बड़ी मशीनरी के साथ आप प्रोपेगेंडा में जुटे रहें लेकिन प्रत्यक्ष दिखाई दे रहे सत्य को कोई नहीं ठुकरा सकता। देश की जनता पिछले दस वर्षों से देख रही है कि कैसे पीएम मोदी ने संविधान को जन-जन तक पहुँचाया है।
उन्होंने Constitution की उच्च मर्यादाओं का न सिर्फ पालन किया बल्कि सर्वोच्च मर्यादाएं स्थापित भी की हैं। ये पीएम मोदी ही हैं जिन्होंने संविधान दिवस की घोषणा की। उनके आह्वान करने के बाद, उनके शुरूआत करने के बाद ही अब पूरे देश में प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस उत्सव के तौर पर मनाया जाता है
यह पीएम मोदी ही हैं जिनके कार्यकाल में देश में राष्ट्रपति शासन लगना लगभग बंद हो गया। यह पीएम मोदी ही हैं जिनके कार्यकाल में देश में वास्तविक तौर पर सहकारी संघवाद स्थापित हुआ।
2014 से पहले हम देखते थे कि कैसे केंद्र में जिस भी पार्टी की सरकार होती थी वो विपक्षी पार्टी के शासन वाली राज्य सरकारों के साथ भेदभाव करती थी। हर दिन ऐसी ख़बरों से अख़बार भरे रहते थे कि केंद्र सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। पैसे नहीं दे रही है और आज ये सब पूरी तरह से ख़त्म हो गया है। केंद्र सरकार सभी राज्य सरकारों के साथ समान व्यवहार करती दिखाई देती है।
सिर्फ इतना ही क्यों, पीएम मोदी ने संविधान को आम लोगों तक पहुँचाया। संविधान को लेकर तमाम तरह के कार्यक्रम किए गए। वेब पॉर्टल लॉन्च किए गए। जनता की सहभागिता के लिए क्विज कंपटीशन जैसे तमाम कार्यक्रम समय-समय पर किए जाते हैं।
इसका उद्देश्य एक ही है आम लोगों को संविधान के महत्व से अवगत कराना और ये सब काम पीएम मोदी कर रहे हैं, जिन पर राहुल गांधी संविधान विरोधी होने का आरोप लगाते हैं।
एक बात और याद रखिए Constitution को पूरे देश में पीएम मोदी ने ही लागू किया है। केंद्र की मोदी सरकार ने ही आर्टिकल 370 हटाया उससे पहले देश में दो संविधान होते थे। जम्मू और कश्मीर के लिए एक और पूरे देश के लिए दूसरा।
आर्टिकल 370 हटाकर जम्मू और कश्मीर का संविधान भी ख़त्म किया गया। इससे बड़ी श्रद्धा संविधान के प्रति और क्या हो सकती है? इससे बड़ी श्रद्धांजलि हमारे संविधान निर्माताओं के प्रति और क्या हो सकती है? इसके बाद भी कांग्रेसी इकोसिस्टम पीएम मोदी को संविधान विरोधी बताता है तो हँसने के सिवाय और क्या ही कहा जा सकता है।
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मत भूलिए कि देश के परिपक्व मतदाता अपने सामने ये सबकुछ होते हुए देख रहे हैं। वे देख रहे हैं कि कैसे नया संसद भवन बना तो पुराने संसद भवन को पीएम मोदी ने ‘संविधान सदन’ में बदल दिया।
ऐसे में हाथ में लाल किताब पकड़कर कोई कितना भी चीखता रहे कि संविधान खतरे में है लेकिन सच्चाई क्या है वो लोग देख रहे हैं और बार-बार पीएम मोदी के लिए मत करके वे इस बात की पुष्टि भी करते हैं कि लाल किताब दिखाकर सच्चाई छिपाई नहीं जा सकती।
इसके साथ ही यह भी याद रखिए कि कांग्रेस की सरकारों ने अपने निहित स्वार्थों के चलते सत्ता में रहते हुए Constitution में कई ऐसे बदलाव किए हैं जो वास्तविक संविधान में कभी थे ही नहीं।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण वक्फ़ बोर्ड का मामला है। संविधान निर्माताओं ने वक्फ़ बोर्ड से संबंधित कुछ भी संविधान में नहीं रखा था लेकिन कांग्रेस ने तुष्टीकरण की राजनीति के लिए वक्फ़ बोर्ड की व्यवस्था बनाई।
ऐसे में एक बात कही जा सकती है कि प्रोपेगेंडा फैलाने से, लाल किताब हाथ में पकड़कर वीडियो बनाने से, संविधान का रक्षक नहीं बना जा सकता बल्कि वास्तव में संविधान के अनुसार कार्य करने से और संविधान की सर्वोच्चता को स्थापित करने के लिए कार्य करने वालों को संविधान का वास्तविक रक्षक कहा जा सकता है और आज पीएम मोदी सही मायनों में यही करते दिखाई दे रहे हैं।