तेलंगाना हाईकोर्ट ने सोमवार (26 दिसंबर, 2022) को भारत राष्ट्र समिति (BRS) विधायकों के खरीद-फरोख्त के मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को स्थांनातिरत कर दिया है। मामले में अब तक जारी जाँच राज्य पुलिस की विशेष जाँच टीम (SIT) द्वारा की जा रही थी।
तेलंगाना हाईकोर्ट के जस्टिस बी. विजयसेन रेड्डी द्वारा सुनाए गए निर्णय में पुलिस द्वारा अब की गई जांच और SIT को भंग कर दिया गया है। इससे पहले नवंबर, 2022 में हाईकोर्ट ने SIT के लिए ये सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए थे कि उनकी जांच स्वतंत्र हो और सात सदस्यीय विशेष जाँच दल को किसी भी राजनीतिक और कार्यकारी प्राधिकरण को रिपोर्ट नहीं करना चाहिए।
केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने तेलंगाना के विधायक खरीद-फरोख्त के मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट द्वारा लिए गए निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट का फैसला केसीआर सरकार के मुंह पर तमाचा है।
रेड्डी का कहना है कि हाईकोर्ट का आदेश इस बात की पुष्टि करता है कि ये पूरा मामला मनगंढ़त है और इसमें कोई दम नहीं है। उन्होंने कहा कि पूरा प्रकरण केसीआर का निर्माण है। लोग उनके वंशवादी शासन से नाराज हैं, ये उनके लिए निराशा का कारण बन गया है। रेड्डी ने केसीआर सरकार पर झूठे मामले में जनता के पैसे बर्बाद करने का आरोप लगाया और कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा आधिकारिक तंत्र का गलत उपयोग किया गया है साथ ही संस्थानों को भी कमजोर किया गया है।
बता दें कि मामले तब सामने आया था जब BRS विधायकों को कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के लिए संपर्क किया गया था। FIR (प्रथम सूचना रिपोर्ट) रिपोर्ट में भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 8 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
BRS विधायक पायलट रोहित रेड्डी ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की थी ताकि विधायक टीआरएस छोड़कर विधानसभा चुनावों में बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में लड़ें। तीन नामजद आरोपियों (रामचंद्र भारती, सतीश शर्मा, नंंदा कुमार) को गिरफ्तार किया गया था जब वे सत्तारूढ़ बीआरएस के चार विधायकों को कथित तौर पर रिश्वत देने की कोशश कर रहे थे। साथ ही, इन्हें स्वीकार नहीं करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की कथित चेतावनी की भी बात की गई थी।
यह भी पढ़ें- पेपर लीक मामला: CBI को जाँच की अनुमति ना देने पर राज्यवर्धन राठौर का गहलोत सरकार पर हमला
हालाँकि, इस पूरे मामले को बीजेपी ने पार्टी को बदनाम करने की सुनियोजित साजिश बताया है। हाईकोर्ट के फैसले पर बीजेपी नेता एवं एडवोकेट राम चंद्र राव का कहना है कि हाईकोर्ट ने विधायकों के खरीद-फरोख्त मामले को CBI को ट्रांसफर कर दिया है। हम फैसले का स्वागत करते हैं।
वहीं, इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मामले में आरोपित नंद कुमार से मनी लॉन्ड्रिंग के तहत सोमवार, 26 दिसंबर, 2022 को पूछताछ भी की थी। ED के संबंधित अधिकारियों से अब सीबीआई द्वारा अगले दो दिनों में पूछताछ की जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय द्वारा 1 दिसंबर, 2022 को तीनों आरोपितों को 3-3 लाख रुपए के जमानती मुचलके और इतनी ही राशि के दो मुचलके भरने की शर्त पर जमानत दे दी थी।