चुनाव का मौसम सपने देखने का मौसम होता है। लोग सपने देखते हैं, अपने देखते हैं और अपनों के सपने देखते हैं। जिनके अपने बिना उनसे पूछे सपने देखते हैं, वे सबसे पहले अपनों को देख लेते हैं ताकि अनअथॉराइज्ड सपनों को तोड़ा जा सके। कोई राज्य के सपने देखता है तो कोई राज्य से आगे जाकर राष्ट्र के देखता है। कोई प्रधानमंत्री बनने के सपने देखता है तो कोई प्रधानमंत्री मेकर बनने के देख लेता है। राजनीति का क्षेत्र है इसलिए देखे जाने वाले सपने औक़ात पर कम और जज्बात पर अधिक डिपेंड करते हैं। बाप बेटे की मालिकाना हक वाली पार्टी रही तो बाप अपने बेटे को राज्य का मालिक बनाकर ख़ुद राष्ट्र का मालिक बनने के सपने देखता है। दिल्ली का मालिक देश का मालिक बनने के सपने देखता है।
सपने स्वीकार्यता ऐसी कि फैमिली की मालिकाना हक वाली पार्टी के लोग क्रॉस फ़ैमिली सपने देख लेते हैं। जी हाँ, लोकतंत्र की यही महिमा है। सपने फैमिली से बाहर जाकर क्रॉस फैमिली भी देखे जा सकते हैं। जैसे संजय राउत उद्धव ठाकरे के सपने देख लेते हैं। इससे फैमिली-ओन्ड पार्टी का आंतरिक लोकतंत्र मजबूत बना रहता है।
व्यंग्य: रवीश कुमार ही सुपरमैन या क्लार्क कैंट तो नहीं?
ऐसा ही क्रॉस फ़ैमिली सपना तेज प्रताप जी ने देखा। वे बता रहे थे कि उनके सपने में मुलायम सिंह जी आए और उन्होंने उनके साथ साइकिल चलाई। मुलायम सिंह जी के साइकिल चलाने को लेकर शायद ही कोई शंका जाहिर करे। इस मामले में नेताजी की मास्टरी ऐसी थी कि वे सोते हुए तेज प्रताप जी के सपने में भी साइकिल चला सकते हैं। हाँ, फिर अगर किसी को शंका हो तो तेज प्रताप जी से सवाल पूछ सकता है। यही पूछ ले कि नेताजी ने साइकिल सहयात्री पद के लिए उनको क्यों चुना? आख़िर साइकिल उनकी, अखिलेश उनके तो फिर उन्होंने तेजू जी के साथ क्यों चलाई? चलिए, अखिलेश जी को नहीं भी चुना तो धर्मेंद्रर जी चुन लेते लेकिन यूपी के नेताजी सपने में साइकिल सहयात्री पद के लिए बिहार के तेज प्रताप जी को काहे ल चुनेंगे जी?
तेज प्रताप जी बहुत लौजिकल नेता हैं। पहले सपने में साइकिल चलाने के कारणों को और बाद में नींद से जागकर साइकिल चलकर ऑफिस जाने के कारणों को उन्होंने बहुत क़रीने से समझाया। इसलिए हम निश्चिन्त हैं कि ऊ आपके सवाल का जवाब भी लौजिकल ही रखेंगे। ऊ कह सकते हैं कि; नेताजी अखिलेश को केतना बार साइकिल देकर देख चुके हैं। आ अखिलेश जी जब जागते हुए साइकिल नहीं चला सके तो सोते हुए का चलाएंगे? ये उनके लिए और मुश्किल होगा। अखिलेश भैया पहिले 2017 में फिर 2019 में और फिर 2022 में साबित कर दिए कि उनको अभी तक साइकिल चलाने नहीं आया इसलिए नेताजी हमको चुने।
नेताजी भी अपनी साइकिल को चलते हुए देखने की इच्छा शायद अभी तक त्याग नहीं पाये हैं। इसलिए ही वे तेजू जी तक को टेस्ट कर ले रहे हैं।
अच्छी बात ये रही कि तेज प्रताप जी नेताजी के टेस्ट में पास हो गए। तेजू जी ने बताया कि नेताजी उनसे सपने में तब मिले जब वे वृंदावन जा रहे थे। वृंदावन मथुरा से दूर नहीं है। ऐसे में जब श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मामला कोर्ट में पहुँच गया है तो नेताजी का तेज प्रताप जी के साथ मथुरा की ओर जाना बनता है। क्या पता नेताजी अब अयोध्या को लेकर पछता रहे हों। ये सोचते हुए कि वहाँ जो किए वो नहीं करना चाहिए था। शायद उसकी भरपाई वृंदावन जाकर की जा सकती है। आख़िर सामने इलेक्शन भी तो है ऐसे में मथुरा को लेकर भी काहे पछताया जाए?
व्यंग्य: नया साल भी एक मानसिक स्थिति है
तेज प्रताप जी का तो मथुरा आना-जाना कई वर्षों से है तो नेताजी को लगा कि इस बार साइकिल चलाने को लेकर इसे टेस्ट कर लेते हैं। सपने में पास हो गया तो नींद से जागकर भी साइकिल पर चलवा लेंगे। आपके मन में अगर यह सवाल यह उठ रहा है कि नेताजी ने सपने में लालू जी को टेस्ट क्यों नहीं किया तो आप बिलकुल लौजिकल व्यक्ति नहीं हैं। लालू जी अभी सिंगापुर में हैं। दो चार किलोमीटर का बात अलग था बाकी ऊ साइकिल चलाकर उहाँ से भारत आ पाएंगे?
जैसा मैंने पहले ही कहा कि सपने देखने का मौसम है तो हो सकता है कल को राहुल गांधी भी सपना देख लें। वे देख सकते गे कि वायनाड जाते हुए रास्ते में उन्हें जॉर्ज सोरोस मिल गए। सोरोस अपना हाथ आगे किये राहुल जी की ओर बढ़े आ रहे हैं। पास पहुँच कर हाथ मिलाते हुए कहेंगे; टुम्हारा हाठ खितना आछा हाए। हम टुम्हारा टेस्ट लेना माँगटा। चलो हाम अउर टुम हाथ फकड़ खर डिल्ली चलते हाय। हम डेखना छाहटा है कि टुम हमारा गाइडेंस में डिल्ली पहुँच पाटा हाय खी नाही!
उधर ऐसा ही कोई सपना केसीआर देख सकते हैं। वे सपना देख सकते हैं कि हैदराबाद में विपक्ष की रैली करवाने का इंतज़ाम कर रहे हैं।किन नेताओं को इन्वाइट किया जाएगा उनकी सूची बन रही है। वे पेन को दांत में दबाये सोच रहे हैं कि ममता दीदी को इनवाइट किया जाए या नितीश कुमार को? इन्वाइट करें तो ये लोग आएंगे? वे सोच ही रहे हैं कि तभी फाइजर के सीईओ का कॉल आता है। इन्होंने हेलो किया और उधर से आवाज़ आई; टुम मोडी का सामने एथना ट्राय किया पर हमारा कंपनी को वैक्सीन का ऑर्डर नहीं डिलवा सका। सुना कि टूम रैली कर रहा है मैन! टुम टो ईथना पॉपुलर है। टुम्हारा रैली में लाखों आडमी लोग आएगा मैन। खम से ख़म उनको वैक्सीन लगवाने का ही ऑर्डर दे दो मैन। अभी टो टुम्हारा कंट्री में इलेक्शन भी आ रहा है। फंड भी लगेगा …
सब अपना अपना सपना तेज प्रताप जी की तरह रिपोर्ट करने लगें तो सोचिए कैसे-कैसे सपने सुनने और पढ़ने को मिलेंगे। एक से बढ़कर एक। पर यह तभी संभव हो सकेगा जब सारे नेताओं में अपने सपने बताने की राजनीतिक शक्ति तेजू जी के जितनी हो। पर क्या यह संभव है?